मध्य प्रदेश में रहेंगे अब दो जोन, रैड एवं ग्रीन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की जनता को किया संबोधित
प्रदेश में लॉकडाउन-4 के अंतर्गत सभी जिलों को दो जोन रैड एवं ग्रीन में बांटा गया है। सभी संक्रमित क्षेत्रों में विशेष प्रतिबंध जारी रहेंगे। मुख्यमंत्री ने सोमवार को दूरदर्शन के माध्यम से प्रदेश की जनता को संबोधित कर रहे थे।
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की जनता को संबोधित करते हुए कहा है कि हमारे यशस्वी, युगदृष्टा एवं दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समय रहते ही कोरोना संकट को पहचाना, उसकी गहराई समझी तथा उससे बचने की पुख्ता रणनीति बनाकर लागू की, जिसके चलते हम कोरोना संकट को नियंत्रित कर पाने में सफल हुए है। मध्यप्रदेश में काफी हद तक कोरोना पर नियंत्रण पा लिया गया है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में लॉकडाउन-4 अलग ढंग एवं अलग स्वरूप में होगा। हमें जान के साथ जहान भी बचाना है। इसके स्वरूप के संबंध में मध्यप्रदेश की जनता, सभी वर्ग, जिलों के क्राइसिस मैनेजमेंट समूहों से प्राप्त सुझावों के अनुसार निर्णय लिया गया है। प्रदेश में लॉकडाउन-4 के अंतर्गत सभी जिलों को दो जोन रैड एवं ग्रीन में बांटा गया है। सभी संक्रमित क्षेत्रों में विशेष प्रतिबंध जारी रहेंगे। मुख्यमंत्री ने सोमवार को दूरदर्शन के माध्यम से प्रदेश की जनता को संबोधित कर रहे थे।
उन्होनें कहा कि मध्यप्रदेश में हम काफी हद तक कोरोना को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं। कोरोना प्रकरणों के दोगुना होने की दर 01 अप्रैल को 3 दिन थी, जो कि 01 मई को बढ़कर 14 दिन हो गई। वर्तमान में यह दर 17.2 दिन है, जो कि जल्दी ही 20 दिन हो जाएगी। हमारी कोरोना स्वास्थ्य दर (रिकवरी रेट) 01 मई को 19.03 प्रतिशत थी, जो 18 मई को बढ़कर 46 प्रतिशत से अधिक हो गई है, परंतु अभी पूरी सावधानी एवं सतर्कता की आवश्यकता है। हमें डरना नहीं है, घबराना नहीं है, पूरी सावधानियां बरतनी है। हमने प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की है।
मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि कोरोना के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है, परंतु हमने गरीबों, मजदूरों, किसानों, बच्चों आदि की सहायता के लिए 16 हजार करोड़ रूपए से अधिक की राशि उनके खातों में अंतरित की, जिससे समाज के किसी भी वर्ग को दिक्कत एवं तकलीफ न आए। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हमारे प्रवासी मजूदर भाई-बहन बिल्कुल भी चिंता न करें। सभी को बसों एवं ट्रेनों के माध्यम से उनके घर तक पहुंचाया जा रहा है। इसके लिए 91 से अधिक ट्रेन तथा हजारों बस अभी तक लगाई गई हैं। साथ ही प्रदेश के एक जिले से दूसरे जिले तक भी मजदूरों को पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा सरकार उनके भोजन, राशन तथा उन्हें कार्य दिलवाने की भी व्यवस्था कर रही है। जिन मजदूर भाईयों का राशन कार्ड नहीं है, उन्हें भी नि:शुल्क राशन दिया जा रहा है। जो कार्य करना चाहते हैं तथा जिनका जॉब कार्ड नहीं है, पंचायतों के माध्यम से उनका जॉब कार्ड बनवाकर उन्हें काम दिया जा रहा है। शासन ने निर्णय लिया है कि इन्हें संबल योजना की भी पात्रता होगी। संबल योजना गरीब का सुरक्षा कवच है जो उनकी हर आवश्यकता की पूर्ति करता है।
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम दूसरे प्रदेशों के मध्य प्रदेश में फंसे मजदूरों का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं। हम प्रदेश में इन्हें पैदल नहीं चलने देंगे तथा भूखा नहीं सोने देंगे। हर मजदूर को वाहनों के माध्यम से राज्य की सीमा तक पहुंचाया जा रहा है। इस कार्य में लगभग 01 हजार बसें रोज लगी है। उन्हें भोजन, चाय, नाश्ता आदि सारी सुविधाएं प्रदान की जा रही है। शासन-प्रशासन के साथ ही हमारी जनता भी इनसे अतिथि जैसा व्यवहार कर रही है। समाजसेवी संस्थाएं उन्हें जूते-चप्पल पहना रहे है। मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि मजदूरों के आने-जाने की प्रक्रिया में कुछ दुर्घटनाएं भी हुई है। औरंगाबाद में हुई दुर्घटना में प्रत्येक दिवंगत मजदूर के परिवार को 5-5 लाख रूपये की सहायता उपलब्ध कराई गई है। बड़वानी दुर्घटना में मृतक मजदूर के परिवार को 14 लाख रूपये की सहायता दी गई है। इसके साथ ही प्रदेश के बाहर के मजदूर जो मध्य प्रदेश में दुर्घटनाग्रस्त होते हैं उनके लिए प्रति मजदूर मृत्यु पर एक-एक लाख रूपए तथा घायल होने पर 25-25 हजार रूपए की सहायता दी जाएगी।
अपने संबोधन में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में गेहूँ उपार्जन के अंतर्गत अभी तक 90 लाख मीट्रिक टन से अधिक समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है तथा किसानों को 10 हजार करोड़ रूपए से अधिक का भुगतान भी किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि किसान भाई बिल्कुल चिंता न करें हम उनका एक-एक दाना खरीदेंगे। किसान भाई एसएमएस मिलने पर ही अपनी उपज बेचने उपार्जन केन्द्र पर आएं तथा एक-दूसरे से दो गज की दूरी रखें एवं सभी सुरक्षा उपाय अपनाएं। चना, मसूर एवं सरसों के समर्थन मूल्य पर खरीदी का कार्य भी जारी है। सरकार ने किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर फसल ऋण दिलवाने की व्यवस्था पुन: लागू की है। गत दिनों प्रदेश के 15 लाख किसानों को फसल बीमा की लगभग 2290 करोड़ रूपए की राशि उनके खातों में अंतरित हुई।
इस दौरान उन्होनें कहा कि सरकार विद्यार्थियों का भी पूरा-पूरा ध्यान रख रही है। उनके लिए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। कोरोना संकट को देखते हुए 10वीं के विद्यार्थियों के बचे हुए पेपर नहीं होंगे, 12वीं के पेपर 8 से 16 जून के बीच होंगे। चूंकि इस समय विद्यालय बंद हैं अत: निजी स्कूल विद्यार्थियों से ट्यूशन फीस के अलावा और कोई शुल्क नहीं ले सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना संकट से ध्वस्त अर्थव्यवस्था को पुन: खड़ा करने के लिए विभिन्न आर्थिक पैकेज दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम इन्हें आदर्श रूप से जमीन पर उतारेंगे। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया है, हम उस पर चलकर मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाएंगे। इसके लिए खाका तैयार किया जा रहा है तथा शीघ्र ही आपके समक्ष रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सब मिलकर मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लें। हमें अभी कुछ समय और कोविड के साथ जीना है तथा अपनी अर्थव्यवस्था को भी गति देना है। हमें पूरी सावधानी एवं संतुलित रूप से चलना होगा जिससे कोरोना संक्रमण फैले नहीं और जिन्दगी भी रफ्तार पकड़े। काम कठिन है परंतु हमारा हौसला बुलंद है।
'कौन कहता है आसमान में सूराख नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।'
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि पूरे प्रदेश को दो जोन रैड एवं ग्रीन में बांटा गया है। रैड जोन के अंतर्गत इंदौर, उज्जैन जिले का संपूर्ण क्षेत्र, भोपाल, बुरहानपुर, जबलपुर, खण्डवा एवं देवास के नगर पालिक निगम तथा मंदसौर, नीमच, धार व कुक्षी के नगर पालिका क्षेत्र होंगे। प्रदेश के शेष सभी जिले ग्रीन जोन में रखे गए हैं। एक सप्ताह तक यहाँ बाजार बंद रहेंगे तथा इसके बाद समीक्षा कर निर्णय लिया जाएगा। लॉकडाउन-4 के दौरान सभी कन्टेनमेंट क्षेत्रों में विशेष प्रतिबंध जारी रहेंगे तथा केवल अत्यावश्यक गतिविधियों की अनुमति होगी। इस जोन के भीतर और बाहर लोगों का आना-जाना प्रतिबंधित रहेगा, केवल मेडिकल इमरजेंसी और आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति की जा सकेगी। कंटेनमेंट एरिया में उद्योग संचालित नहीं होंगे परंतु इनके बाहर सभी स्थानों पर उद्योग संचालित किये जा सकेंगे।
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