मध्य प्रदेश के राज्यपाल राजभवन में कर रहे संरक्षित खेती, पैदा हो रही है मौसमी सब्जियाँ
रसायन और कीटनाशकों के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए संरक्षित और पारम्परिक खेती को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि राजभवन में संरक्षित खेती का व्यावहारिक स्वरूप तैयार किया गया है। इस विधि में मिट्टी पर निर्भरता कम होती है। इस विधि से उद्यानिकी फसलों का अधिक उत्पादन सरलता से होता है।
भोपाल। मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन की पहल पर राजभवन में संरक्षित खेती का कार्य तेजी से प्रगति पर है। आधुनिक उद्यानिकी खेती का व्यावहारिक उदाहरण प्रस्तुत करने हाईटेक पॉली हाऊस का निर्माण किया गया है। पॉली हाऊस में टमाटर, लाल-पीली शिमला मिर्च, धनियाँ, पालक, मैथी, लाल भाजी, ब्रोकली और सलाद के पौधों का रोपण किय गया है।
राज्यपाल के सचिव मनोहर दुबे ने बताया कि राजभवन के पॉली हाऊस में वर्ष-भर सब्जियों का उत्पादन होगा। पॉली हाऊस में उगाई गई सब्जी की गुणवत्ता उत्तम होती है। खुले में की गई खेती की तुलना में पॉली हाऊस में नियंत्रित वातावरण में खेती होने से फसल की उत्पादकता भी कई गुना अधिक बढ़ जाती है। यह कीट-व्याधियों से भी मुक्त होती है। जैविक सब्जी उत्पादन भी सरलता से होता है। पॉली हाऊस में हाईब्रिड टमाटर के 150 पौधे रोपे गए हैं। इनसे अनुमानत: 7.5 क्विंटल उत्पादन होगा। इसी तरह खीरे के 255 पौधे लगाए गए हैं। इनसे 10 क्विंटन उत्पादन होना संभावित है। शिमला मिर्च के 80 पौधे लगे हैं। इनसे करीब ढाई क्विंटल शिमला मिर्च का उत्पादन होगा। उन्होंने बताया कि पत्ती वाली हरी सब्जियों का पॉली हाऊस में औसत उत्पादन लगभग दो से तीन किलोग्राम होता है। राजभवन के पॉली हाऊस में मेथी, पालक, चौलाई, लाल भाजी 146-146 वर्ग फीट में और धनिया 292 वर्ग फीट में लगाई गई है।
मनोहर दुबे की माने तो रसायन और कीटनाशकों के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए संरक्षित और पारम्परिक खेती को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि राजभवन में संरक्षित खेती का व्यावहारिक स्वरूप तैयार किया गया है। इस विधि में मिट्टी पर निर्भरता कम होती है। इस विधि से उद्यानिकी फसलों का अधिक उत्पादन सरलता से होता है। नगरीय क्षेत्रों के निवासी इस आधुनिक विधि से अपने घरों पर बिना मिट्टी के भी जरूरत के अनुसार सब्जियाँ उगा सकते हैं। राजभवन में इस विधि का व्यावहारिक रूप पॉली हाऊस तैयार किया गया है। यहाँ से किसान और सब्जी उत्पादक सीख-समझकर संरक्षित खेती को अपना सकते हैं।
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