Ram Mandir को लेकर आया बड़ा अपडेट, नेपाल की नदी में मिलने वाली शिला से बनेगी रामलला की बालस्वरूप मूर्ति
अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के मुख्य गर्भगृह के लिए भगवान श्रीराम की बाल रूप मूर्ति का निर्माण नेपाल की पवित्र नदी कालीगण्डकी से आए शिलाओं से होगा। गण्डकी प्रदेश के मुख्यमंत्री खगराज अधिकारी पोखरा के विंध्यवासिनी मंदिर में शिला को सौंपेंगे।
अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के मुख्य गर्भगृह में नेपाल की पवित्र नदी कालीगण्डकी से आए शिलाओं से भगवान राम की बाल रूप मूर्ति का निर्माण किया जाएगा। नेपाल के गण्डकी प्रदेश सरकार की ओर से आज अयोध्या ले जाने वाली शिला जनकपुर के जानकी मंदिर को हस्तान्तरण कर दिया जाएगा जहाँ से 30 जनवरी को अयोध्या भेजा जाएगा।
गण्डकी प्रदेश के मुख्यमंत्री खगराज अधिकारी पोखरा के विंध्यवासिनी मंदिर में शिला को सौंपेंगे। कालीगण्डकी से 23 टन और 15 टन के दो शिलाऐं भेजी जाने वाली हैं। गण्डकी राज्य सरकार के आवश्यक प्रबंध के तहत देवशिला को जनकपुर लाने का कार्यक्रम है। जनकपुर से अयोध्या भेजने की व्यवस्था भी नेपाल ही करेगा।
राम मंदिर के गर्भगृह में नेपाल द्वारा भेजे गए शिला से भगवान श्रीराम के बाल रूप में प्रतिमा बनने जा रही है। राम मंदिर की मूल छवि नेपाल के देवशिला की होगी। जानकारों का मानना है कि इससे कालीगण्डकी क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध और भी मजबूत होंगे।
'कालीगण्डकी की देवशिला को जनकपुरधाम ले जाने के बाद, हम इसे जुलूस के साथ अयोध्या भेजेंगे' जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास के उत्तराधिकारी राम रोशन दास ने काठमाण्डू से प्रकाशित राष्ट्रिय दैनिक नया पत्रिका को बताया। उनके मुताबिक अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जानकी मंदिर के महंत से कालीगण्डकी की शिला उपलब्ध कराने के कार्य में समन्वय का अनुरोध किया था।
पन्द्रह दिसम्बर को नेपाली कैबिनेट की बैठक में कालीगण्डकी नदी की शिला भेजने का फैसला किया गया था। उसके बाद निवर्तमान प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउवा ने गण्डकी प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कृष्ण चंद्र नेपाली से शिला प्राप्ति की आवश्यक व्यवस्था के लिए अनुरोध किया। तब नेपाल और भारत के विशेषज्ञों की एक टीम को कालीगण्डकी में दो चट्टानें मिलीं। अयोध्या ले जाए गए शिला का पन्द्रह जनवरी अर्थात मकर संक्रान्ति को पूजन किया गया, जिसमें कांग्रेस नेता व सांसद बिमलेंद्र निधि, गण्डकी प्रदेश प्रमुख (राज्यपाल) पृथ्वीमान गुरुंग, निवर्तमान मुख्यमंत्री नेपाली व अन्य महत्वपूर्ण लोग शामिल हुए।
देवशिला के चयन हेतु नेता विमलेन्द्र निधि, विश्व हिंदू परिषद नेपाल के महामन्त्री जितेंद्र कुमार सिंह, विश्व हिंदू परिषद भारत के केन्द्रीय मन्त्री पंकज सिंह, कालीगण्डकी के जानकार तथा चट्टान विशेषज्ञ डॉ. कुलराज चालीसे सहित अन्य लोग सक्रिय थे। चालिस के अनुसार प्रारंभ में मुस्ताङ में एक और शिला का चयन किया गया था, पर चूँकि उसे अयोध्या ले जाना सम्भव नहीं था, अत: अन्नपूर्णा-धवलागिरी हिमपर्वतों के बीच की दो शिलाएँ ले जाने का निर्णय लिया गया। इस साल देवशिला को जनकपुर से अयोध्या उपहार स्वरूप भेजा जाएगा।
विश्व हिंदू परिषद नेपाल के महामंत्री जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अयोध्या में राम की मूर्ति तैयार करने में नौ महीने का समय लगेगा। पूर्व उप प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता निधि ने नया पत्रिका को बताया "अयोध्या में बनने वाले श्री राम मंदिर के गर्भगृह में नेपाल स्थित कालीगण्डकी से ली गई शिला से तराशी गई मूर्ति रखने का महत्व हमेशा रहेगा। इस कार्य को करने का सौभाग्य प्राप्त करने पर गर्व है। इससे नेपाल और भारत के बीच सदियों से चले आ रहे सांस्कृतिक संबंध और मजबूत होंगे।"
यूएमएल के केंद्रीय सदस्य और विदेश मामलों के विभागीय उप प्रमुख कृष्ण बहादुर केसी ने कहा "मुक्तिनाथ उद्गम स्थल से निकली कालीगण्डकी नदी की शिला अपने आप में पवित्र है। अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में पवित्र कालीगण्डकी नदी का पत्थर रखने का मतलब न केवल नेपाल और भारत के सांस्कृतिक संबंधों का विषय है, बल्कि हम कालीगण्डकी के तटीय क्षेत्र के निवासियों के लिए भी गर्व का विषय है।
राम मंदिर का निर्माण मार्च 2020 से चल रहा है। राम मंदिर 70 एकड़ जमीन पर बन रहा है, जिसकी लंबाई 360 फीट, चौड़ाई 235 फीट और ऊंचाई 161 फीट होगी। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की वेबसाइट में कहा गया है कि मंदिर में पांच मंडप और बीच में एक गर्भगृह होगा। गर्भगृह भूतल पर होगा, जबकि प्रथम तल पर राम दरबार का निर्माण किया जा रहा है।
जनवरी 2024 को राम मंदिर का उद्घाटन कर दर्शनार्थियों के लिए खोलने की तैयारी चल रही है। द मिंट के अनुसार, राम मंदिर और परिसर के निर्माण के लिए लगभग 20 अरब रुपये खर्च होने का अनुमान है। अनुमान है कि अकेले मंदिर के निर्माण में साढ़े पांच अरब रुपये खर्च होंगे। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सरकार से फंड नहीं मिला है। ट्रस्ट के परियोजना निदेशक वीके मेहता ने जानकारी दी है कि अब तक श्रद्धालुओं द्वारा 32 अरब रुपये से अधिक सहयोग प्राप्त हो चुका है।
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