जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे ललन सिंह? आरसीपी सिंह के जबाव में छिपा है बड़ा इशारा
माना जा रहा है कि ललन सिंह की नाराजगी को कम किया जा सकता है। इसी को लेकर मंत्री पद की शपथ लेने के बाद जब आरसीपी सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने इशारों ही इशारों में बड़ी बात कह दी।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को मोदी कैबिनेट में जगह दी गई है। आरसीपी सिंह फिलहाल इस्पात मंत्रालय संभालेंगे। इन सबके बीच अगर देखा जाए खबर जदयू में नाराजगी की भी आ रही है। माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह को केंद्र में मंत्री बनना राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को रास नहीं आ रहा है। ललन सिंह लोकसभा में जदयू के संसदीय दल के नेता हैं। माना जा रहा है कि ललन सिंह की नाराजगी को कम किया जा सकता है। इसी को लेकर मंत्री पद की शपथ लेने के बाद जब आरसीपी सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने इशारों ही इशारों में बड़ी बात कह दी।
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आरसीपी सिंह से बार-बार यह सवाल किया गया कि ललन सिंह मंत्री क्यों नहीं बने? आरसीपी सिंह को भी शायद इसी सवाल का इंतजार था। उन्होंने तुरंत कहा आप लोग सुबह से यह सवाल पूछ रहे हैं और इसका जवाब हम जरूर देंगे। आरसीपी सिंह ने इसके आगे कहा कि हम और ललन सिंह कोई अलग थोड़े ही है। मुझमें और ललन बाबू में कोई फर्क है क्या? हम लोग साथ हैं और मजबूती से आगे भी साथ रहेंगे। आरसीपी सिंह के इस बयान के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। खबर यह है कि आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बनने के बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को छोड़ सकते हैं क्योंकि दोनों पद को एक साथ संभाल पाना मुश्किल होगा।
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ऐसे में सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आरसीपी सिंह के बाद अब जदयू का अध्यक्ष कौन बन सकता है। आरसीपी सिंह के बयान को समझे तो उन्होंने कहीं ना कहीं इशारों इशारों में ललन सिंह को लेकर बहुत कुछ साफ कर दिया है। अगर आरसीपी सिंह और ललन सिंह में कोई अंतर नहीं है तो क्या ललन सिंह पार्टी अध्यक्ष बन सकते हैं? हालांकि अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष बदले जाते हैं एक और नाम खूब लिया जा रहा है। वह नाम उपेंद्र कुशवाहा का है। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा हाल में ही पार्टी में शामिल हुए हैं। ऐसे में उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी तो नहीं दी जाएगी। इसके अलावा फिलहाल यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार लव-कुश समीकरण से बाहर निकलना चाहते हैं। बिहार में सवर्ण जाति के वशिष्ठ नारायण सिंह की जगह उमेश कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान आरसीपी सिंह को सौंपी गई।
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लेकिन विपक्ष भी सवाल लगातार यह उठा रहा है कि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू एक जाति की पार्टी रख बनकर रह गई है। दरअसल, नीतीश कुमार और आरसीपी से एक ही जाति और एक ही जगह से आते हैं। ऐसे में ललन सिंह के लिए संभावनाएं ज्यादा है। ललन सिंह जनाधार वाले नेता हैं और जदयू में सवर्ण जाति से आने वाले बड़े नेताओं में शुमार हैं। वाह आरसीपी सिंह की तरह नीतीश कुमार के विश्वासपात्र भी हैं। ऐसे में अगर उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है तो इसमें किसी को हैरानी नहीं होगी।
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