Jan Gan Man: अलगाववादियों, अफजल के भाई और आजादी चाचा जैसे आतंकी समर्थकों को कश्मीरी जनता ने चुनावों में करारा सबक सिखाया है

Shagun Parihar
ANI

हम आपको बता दें कि अलगाववाद की राह पर चलने वाले प्रमुख लोगों में इंजीनियर रशीद के नेतृत्व वाली अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) और जमात-ए-इस्लामी के उम्मीदवार भी शामिल हैं, जो चुनावों में कोई बड़ा प्रभाव डालने में विफल रहे।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने आतंकवाद और अलगाववाद की राह पर चलने वालों को करारा सबक सिखाया है। तमाम अलगाववादी, आतंक के आरोपों का सामना कर रहे लोग तथा आतंकवादियों के रिश्तेदार चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन जनता ने सबको घर बैठा दिया। यही नहीं, जनता ने आतंक का शिकार बने परिवार की सदस्या को इस चुनाव में जीत दिलाकर यह भी दर्शा दिया है कि आतंक के पीड़ितों के साथ वह पूरी दृढ़ता के साथ खड़ी है। उम्मीद है कि अलगाववादी विचारधारा पर चलने वाले उम्मीदवारों को विधानसभा चुनावों में मिली बड़ी हार उन्हें देश के साथ चलने की सीख देगी।

हम आपको बता दें कि अलगाववाद की राह पर चलने वाले प्रमुख लोगों में इंजीनियर रशीद के नेतृत्व वाली अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) और जमात-ए-इस्लामी के उम्मीदवार भी शामिल हैं, जो चुनावों में कोई बड़ा प्रभाव डालने में विफल रहे। कुलगाम से जमात-ए-इस्लामी के ‘प्रॉक्सी’ उम्मीदवार सयार अहमद रेशी और लंगेट से चुनाव लड़ रहे शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद के भाई खुर्शीद अहमद शेख का प्रदर्शन ही थोड़ा बहुत ठीकठाक रहा। हालांकि कुलगाम में सयार अहमद रेशी को हार का सामना करना पड़ा, वहीं खुर्शीद अहमद शेख ने लंगेट से जीत हासिल कर ली। लेकिन इन समूहों से जुड़े अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, जो मतदाताओं की स्पष्ट अस्वीकृति को दर्शाता है। इंजीनियर रशीद की एआईपी ने 44 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। हालांकि कई की जमानत भी जब्त हो गई। जमात-ए-इस्लामी ने चार उम्मीदवार उतारे थे और चार अन्य का समर्थन किया था, लेकिन रेशी के अलावा, सभी न्यूनतम समर्थन भी हासिल करने में असफल रहे। 

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इसके अलावा, अफजल गुरु के भाई ऐजाज अहमद गुरु को सोपोर विधानसभा सीट पर करारी हार का सामना करना पड़ा, उन्हें मात्र 129 वोट मिले जो ‘इनमें से कोई नहीं’ (नोटा) विकल्प के लिए डाले गए 341 वोटों से काफी कम है। इसके अलावा, एक अन्य चेहरे, ‘आजादी चाचा’ के नाम से चर्चित सरजन अहमद वागय को भी नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार के खिलाफ बड़ी हार का सामना करना पड़ा। वागय बीरवाह में अपनी जमानत बचाने में बमुश्किल कामयाब रहे। हम आपको बता दें कि सरजन अहमद वागय वर्तमान में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत जेल में हैं। यह स्पष्ट है कि चुनाव परिणाम राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव और अलगाववादी राजनीति को खारिज किए जाने का संकेत है।

हम आपको यह भी बता दें कि भारतीय जनता पार्टी की एकमात्र महिला उम्मीदवार शगुन परिहार ने किश्तवाड़ सीट से जीत दर्ज की है। शगुन के पिता और चाचा करीब पांच साल पहले एक आतंकवादी हमले में मारे गए थे। शगुन ने इस चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस के अनुभवी नेता एवं पूर्व मंत्री सज्जाद अहमद किचलू को हराया है। शगुन उन 28 भाजपा उम्मीदवारों में से एक हैं जिन्होंने चुनाव में जीत हासिल की। वह जम्मू-कश्मीर में चुनाव जीतने वाली तीन महिलाओं में भी शामिल हैं। चुनाव में शगुन को 29,053 वोट मिले और उन्होंने किचलू को 521 वोटों के मामूली अंतर से हराया। पूरी मतगणना प्रक्रिया के दौरान उन्होंने बढ़त बनाए रखी। शगुन ने कहा कि उनकी जीत सिर्फ उनकी नहीं है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर के राष्ट्रवादी लोगों की भी जीत है। उन्होंने कहा, ‘‘यह उनका आशीर्वाद है।’’

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