Prabhasakshi NewsRoom: Jaishankar ने LAC मुद्दे पर China को चेताया, Britain-Canada को बढ़ती Khalistani Activities पर जमकर सुनाया

S Jaishankar
ANI

जहां तक विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीन के शीर्ष राजनयिक से मुलाकात की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी से मुलाकात की और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता से संबंधित लंबित मुद्दों पर चर्चा की।

आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने जकार्ता गये विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने संबोधन में जहां चीन और पाकिस्तान पर निशाना साधा वहीं द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान भी चीन को साफ-साफ बता दिया कि भारत अपने रुख पर अडिग है। इसके अलावा विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा और ब्रिटेन के विदेश मंत्री से मुलाकात के दौरान उन देशों में बढ़ती खालिस्तानी गतिविधियों पर अपनी चिंता जताई और अमेरिका के विदेश मंत्री के साथ मुलाकात के दौरान यूक्रेन, म्यांमा और हिंद प्रशांत क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। विदेश मंत्री ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति से भी मुलाकात की।

चीन के साथ बातचीत

जहां तक विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीन के शीर्ष राजनयिक से मुलाकात की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी से मुलाकात की और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता से संबंधित लंबित मुद्दों पर चर्चा की। यह बैठक आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) की मंत्रिस्तरीय बैठक के इतर हुई। जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘विदेश मामलों के लिए सीपीसी केंद्रीय आयोग के कार्यालय निदेशक वांग यी के साथ एक बैठक की।’’ जयशंकर ने कहा कि उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति से संबंधित लंबित मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी बातचीत में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन/एआरएफ एजेंडा, ब्रिक्स और हिंद-प्रशांत क्षेत्र भी शामिल था।’’ उल्लेखनीय है कि भारत का लगभग तीन साल से चीन के साथ सैन्य गतिरोध बना हुआ है। जयशंकर ने दावा किया है कि यह उनके लंबे राजनयिक कॅरियर की सबसे जटिल चुनौती है। हम आपको बता दें कि चीन के पूर्व विदेश मंत्री वांग मौजूदा विदेश मंत्री किन गैंग के अस्वस्थ होने के कारण जकार्ता में आसियान बैठकों में भाग ले रहे हैं। इसी दौरान जयशंकर की वांग के साथ बैठक हुई।

इसे भी पढ़ें: जयशंकर ने आसियान महासचिव से की मुलाकात, कहा- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में केंद्रीयता के सिद्धांत के प्रति भारत प्रतिबद्ध

कनाडा को सुनाई खरी-खरी

इसके अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा की विदेश मंत्री मिलानी जॉली से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने हिंसा को उकसाने वाली स्थिति से कड़ाई से निपटने और कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया। कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की भारत विरोधी गतिविधियों के बीच जयशंकर ने इस बात का उल्लेख किया। जयशंकर ने बैठक के बाद ट्वीट किया, ‘‘जकार्ता में कनाडाई विदेश मंत्री मिलानी जॉली से मुलाकात की और हिंद-प्रशांत क्षेत्र तथा हमारे आर्थिक सहयोग पर चर्चा की।’’ उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘‘हमारे राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व को और हिंसा को भड़काने वाली स्थिति से कड़ाई से निपटने की जरूरत को रेखांकित किया।’’ हम आपको याद दिला दें कि कुछ दिन पहले ही ऑनलाइन खालिस्तान समर्थक पोस्टर के प्रसार के बाद कनाडा ने भारत को भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया था। भारत ने कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे अपने साझेदार देशों से कहा है कि चरमपंथी खालिस्तानी विचारधारा को बढ़ने नहीं दें और इनका बढ़ना रिश्तों के लिए अच्छा नहीं है।

ब्रिटेन को भी चेताया

यही मुद्दा ब्रिटेन के समक्ष भी जयशंकर ने उठाया है। लंदन स्थित भारतीय मिशन के अधिकारियों को चरमपंथी तत्वों द्वारा दी जा रही धमकियों के मद्देनजर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने ब्रितानी समकक्ष जेम्स क्लेवरली के समक्ष ब्रिटेन में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं का मामला उठाया। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में मौजूद जयशंकर ने ट्विटर पर कहा कि उन्होंने ब्रिटेन के विदेश मंत्री क्लेवरली के साथ ‘‘व्यापक चर्चा’’ की। विदेश मंत्री ने बताया कि उन्होंने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों सहित आसियान क्षेत्रीय मंच के एजेंडे के बारे में बात की और भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय आदान-प्रदान की प्रगति का संयुक्त आकलन किया। जयशंकर ने बताया कि चर्चा के दौरान उन्होंने ब्रिटेन में ‘‘हमारे राजनयिकों की सुरक्षा से संबंधित चिंताओं को उठाया।’’ 

अमेरिका से हुई गंभीर चर्चा

इसके अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से भी मुलाकात की और यू्क्रेन, म्यांमा और हिंद प्रशांत क्षेत्र जैसे मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने ट्वीट किया, ''विदेश मंत्री ब्लिंकन से मुलाकात सुखद रही। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल में अमेरिका यात्रा के बाद चर्चा की। यू्क्रेन, म्यांमा और हिंद प्रशांत जैसे मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान किया।’’ हम आपको बता दें कि हिन्द प्रशांत क्षेत्र में हिन्द महासागर, पश्चिमी एवं मध्य प्रशांत महासागर तथा दक्षिण चीन सागर आते हैं। इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता की पृष्ठभूमि में अमेरिका, भारत तथा दुनिया की कई अन्य ताकतें हिन्द प्रशांत क्षेत्र को खुला और मुक्त क्षेत्र बनाने की जरूरत पर जोर देते रहे हैं।

विदेश मंत्री जयशंकर आसियान के तहत विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने इंडोनेशिया गए हैं जिसका प्रारूप आसियान-भारत, पूर्वी एशिया शिखर बैठक और आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) है। जयशंकर ने आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) की बैठक से इतर यूरोपीय संघ के लिए विदेशी मामलों एवं सुरक्षा नीति के उच्च प्रतिनिधि और यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष जोसेफ बोरेल फोंटीलिस से भी मुलाकात की। उन्होंने बताया कि यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि जोसेफ बोरेल फोंटीलिस के साथ आज एआरएफ की बैठक से इतर मुलाकात हुई और यूक्रेन संघर्ष, म्यांमा की स्थिति पर विस्तृत चर्चा की। 

जयशंकर के संबोधन की बड़ी बातें

इसके अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) के सदस्यों से आतंकवाद के मुद्दे पर ‘एकरूप, एकजुट और कतई बर्दाश्त’ नहीं करने का रुख अपनाने की अपील की। विदेश मंत्री के इस बयान को पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में देखा जा रहा है। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आसियान क्षेत्रीय मंच की मंत्रीस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देकर और आतंकवाद से मुकाबला करके वैश्विक चुनौतियों पर प्रतिक्रिया दे रहा है। विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, ''आतंकवाद पर एआरएफ सदस्यों को एकरूप, एकजुट और कतई बर्दाश्त नहीं करने का रूख अपनाना चाहिए। इसमें इसके पनाहगाहों एवं वित्तीय नेटवर्क को ध्वस्त करना तथा सीमापार आतंकवाद सहित आतंकवाद के सभी स्वरूपों से मुकाबला करना शामिल है।’’ हम आपको बता दें कि भारत, पाकिस्तान पर उसकी धरती से पनपने वाले सीमापार आतंकवाद को रोकने की खातिर कदम उठाने के लिए दबाव देता रहा है।

जयशंकर ने आर्थिक लचीलेपन के लिए आपूर्ति श्रृंखला के विविधीकरण और ‘वैश्विक दक्षिण’ की मदद के लिए संसाधनों तक पहुंच को बढ़ाने की वकालत की। विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में तीन विषयों नौवहन मामलों, म्यांमा और आतंकवाद पर ध्यान केंद्रित किया। नौवहन मुद्दों पर जयशंकर ने ‘‘यूएनसीएलओएस 1982’’ की प्रमुखता और आसियान के रूख के समर्थन पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ''हम शांति एवं स्थिरता को कमतर करने की गतिविधियों को लेकर चिंतित हैं। कोई आचार संहिता तीसरे पक्ष के हितों एवं अधिकारों को लेकर पूर्वाग्रहपूर्ण नहीं हो।’’ इस बयान को चीन के परोक्ष संदर्भ में देखा जा रहा है जिसका इस क्षेत्र के कई देशों के साथ समुद्र संबंधी विवाद है। चीन लगभग सम्पूर्ण विवादित दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है। हालांकि ताइवान, फिलिपीन, ब्रूनेई, मलेशिया, वियतनाम सभी का इसके हिस्सों पर दावा है। म्यांमा के बारे में जयशंकर ने कहा कि भारत, आसियान के विचारों को ध्यान में रखेगा और भारत-आसियान सम्पर्क परियोजनाओं को आगे बढ़ायेगा।

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति से मुलाकात

इसके अलावा, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो के साथ मुलाकात की और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (आसियान) की अध्यक्षता के लिए इंडोनेशिया को भारत का समर्थन जताया। जयशंकर ने राष्ट्रपति विडोडो को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शुभकामनाएं भी दीं। जयशंकर ने ट्वीट में कहा, 'राष्ट्रपति विडोडो से मिलकर गौरवान्वित हूं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शुभकामनाएं दीं। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की इंडोनेशिया द्वारा अध्यक्षता का भारत समर्थन करता है।'

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़