Jagannath Rath Yatra 2024: भगदड़ में एक की मौत, 15 घायल, सीएम माझी ने की 4 लाख रुपये अनुग्रह राशि की घोषणा

Jagannath Temple
प्रतिरूप फोटो
ANI Image
रितिका कमठान । Jul 8 2024 11:31AM

यह दुर्घटना भगवान बलभद्र का रथ खींचने के दौरान हुई। रथ खींचने के दौरान एक व्यक्ति जमीन पर गिर गया और बाद में उसकी मृत्यु हो गई। घटना के बाद वहां भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे 15 लोग घायल हो गए।

ओडिशा के पूरी में सात जुलाई से जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत हो गई है। इस दौरान एक दुखद घटना में रविवार को पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान भगदड़ मच गई। इस हादसे में एक श्रद्धालु की मौत हो गई, जबकि 15 अन्य घायल हो गए है। घायल श्रद्धालुओं को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि, उनमें से अधिकतर को मामूली चोटें आईं और प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

इस बीच, गंभीर रूप से घायल श्रद्धालुओं का उपचार जारी है। मृतक श्रद्धालु की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है, हालांकि बताया जा रहा है कि वह ओडिशा से बाहर का रहने वाला था। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, यह दुर्घटना भगवान बलभद्र का रथ खींचने के दौरान हुई। रथ खींचने के दौरान एक व्यक्ति जमीन पर गिर गया और बाद में उसकी मृत्यु हो गई। घटना के बाद वहां भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई, जिससे 15 लोग घायल हो गए। इस बीच, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।

रथ यात्रा में लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया

वार्षिक जगन्नाथ रथ यात्रा में लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं। इस दिन भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा अपनी मौसी गुंडिचा के मंदिर की यात्रा पर निकलते हैं। आम धार्मिक मान्यता के अनुसार, पुरी में अनेक प्रकार के व्यंजन खाने के बाद जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं, लेकिन स्नान पूर्णिमा पर स्नान करने के बाद उनका स्वास्थ्य सुधर जाता है और रथ यात्रा पर वे अपने भाई-बहनों के साथ अपनी मौसी के पास चले जाते हैं। 

रथ यात्रा शुरू होने से पहले की रस्में रविवार को ही पूरी हो गई थीं। दोपहर 2.30 बजे जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने-अपने रथों पर विराजमान हुए। भगवान को सामान्य समय से दो घंटे पहले जगाया गया तथा मंगला आरती सुबह चार बजे के बजाय दो बजे की गई। मंगला आरती के बाद करीब 2.30 बजे दशावतार पूजा की गई। दोपहर 3 बजे नैत्रोत्सव मनाया गया तथा शाम 4 बजे पुरी के राजा द्वारा पूजा की गई। सुबह 5.10 बजे सूर्य पूजा की गई तथा लगभग 5.30 बजे द्वारपाल पूजा की गई। सुबह 7 बजे भगवान को खिचड़ी भोग-प्रसाद अर्पित किया गया।

उल्लेखनीय है कि 53 वर्षों के बाद ऐसा हुआ है कि 'नबाजौबन दर्शन', 'नेत्र उत्सव' और रथ यात्रा एक ही दिन आयोजित किए गए। नबाजौबन दर्शन और नेत्र उत्सव अनुष्ठान आमतौर पर रथ यात्रा से पहले किए जाते हैं।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़