Prabhasakshi Exclusive: G20 विदेश मंत्रियों की बैठक में संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं हो पाना क्या भारत के लिए झटका है?

G20 Foreign Ministers
ANI

ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि जबसे रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया है तबसे अमेरिका और रूस के विदेश मंत्री नहीं मिले थे लेकिन भारत की पहल पर दोनों के बीच मुलाकात हुई, बातचीत हुई, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे आने वाले समय में संबंध भी बेहतर होंगे।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमने इस सप्ताह ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी से जानना चाहा कि जी20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान जारी करने पर सहमति क्यों नहीं बनी? हमने यह भी जानना चाहा कि दिल्ली में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक भी हुई। इस सब को कैसे देखते हैं आप? इस पर उन्होंने कहा कि जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में यूक्रेन संघर्ष को लेकर पश्चिमी देशों और रूस के बीच तीखे मतभेदों के कारण संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं किया जा सका जबकि मेजबान देश भारत ने आम-सहमति बनाने के लिए सतत प्रयास किये। उन्होंने कहा कि हमें यह भी देखना चाहिए कि भले संयुक्त वक्तव्य नहीं जारी हो सका लेकिन भारत ने वो मुलाकात करा दी जोकि एक साल से नहीं हुई थी। 

उन्होंने कहा कि जबसे रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया है तबसे अमेरिका और रूस के विदेश मंत्री नहीं मिले थे लेकिन भारत की पहल पर दोनों के बीच मुलाकात हुई, बातचीत हुई, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे आने वाले समय में संबंध भी बेहतर होंगे। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने भी कहा है कि संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं हो पाना मेजबान के रूप में भारत के प्रयासों की कमी नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच बढ़ते ‘मतभेद’ का नतीजा है। 

उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता में हुई बैठक में अध्यक्षता सारांश और परिणाम दस्तावेज स्वीकार किये गये जिनमें समूह की कई अहम प्राथमिकताएं, जैसे.. भोजन/खाद्य पदार्थ, ऊर्जा और उर्वरक आदि सूचीबद्ध हैं। ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी ने कहा कि संयुक्त वक्तव्य के जारी नहीं हो पाने के बारे में कई राजनयिकों ने भी कहा है कि यूक्रेन संघर्ष को लेकर अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी जगत और रूस-चीन के बीच गहरा विभाजन देखा गया। वैसे जी-20 का परिणाम दस्तावेज मौजूदा वैश्विक चुनौतियों से निपटने के जी-20 के संकल्प को प्रदर्शित करता है। इस बैठक में अनेक मुद्दों पर सहमति बनी है जोकि बड़ी सफलता है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने एक स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए इस चार सदस्यीय समूह की प्रतिबद्धता जताई और कहा कि यह ‘‘कानून के शासन, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का पुरजोर समर्थन करता है। उल्लेखनीय है कि क्वाड, चार देशों- भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का समूह है। उन्होंने कहा कि चारों देश लोकतांत्रिक हैं और निर्बाध समुद्री व्यापार तथा सुरक्षा के साझा हित का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, उनके जापानी समकक्ष योशिमासा हयाशी और आस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग की मुलाकात के बाद यह घोषणा की गई कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक क्वाड कार्यकारी समूह गठित किया जाएगा। इसका उद्देश्य आतंकवाद के नये व उभरते स्वरूपों, कट्टरपंथ और हिंसक चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए उपाय तलाशना है। 

उन्होंने कहा कि मंत्रियों ने जी7 की जापान की अध्यक्षता, जी20 की भारत की अध्यक्षता और 2023 में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) की अमेरिकी मेजबानी के दौरान क्वाड के उद्देश्यों पर करीब से काम करने की प्रतिबद्धता भी जताई। यही नहीं, बैठक के बाद, चारों मंत्रियों ने ‘रायसीना डायलॉग’ के एक सत्र में हिस्सा लिया और क्वाड सदस्य देशों के हितों के समन्वय के बारे में बातचीत की। उन्होंने बताया कि क्वाड के संयुक्त बयान में चारों सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा कि क्वाड क्षेत्रीय और वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत के रूप में काम कर रहा है और यह अपने सकारात्मक और रचनात्मक एजेंडे के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र की प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित होगा।

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