दुनिया को भारत ने सिखाया आपदा में अवसर तलाशना: गजेंद्र सिंह शेखावत

Gajendra Shekhawat

उन्होंने कहा कि भारतीयों को इतिहास से सीखने और समझने की आवश्यकता है। और जब हम इतिहास को पढ़ेंगे, तो हम पाएंगे कि स्वामी विवेकानंद जैसे लोगों के ऋण को चुका पाना बेहद मुश्किल है।

नई दिल्ली/कोलकाता। ‘‘आज जब पूरा विश्व कोरोना महामारी का सामना कर रहा है, तो इस दुनिया में सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने कहा कि हम इस आपदा को अवसर में बदलेंगे। सच्चे अर्थों में भारत और भारतीयता के प्रति यह विश्वास और स्वाभिमान की भावना है।’’ यह विचार केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, कोलकाता द्वारा रविवार को आयोजित विवेकानंद सेवा सम्मान समारोह में व्यक्त किये। इस वर्ष यह सम्मान कोलकाता के प्रख्यात समाजसेवी श्री बनवारी लाल सोती को दिया गया है। समारोह में भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी मुख्य वक्ता के तौर पर एवं वरिष्ठ आयकर सलाहकार सज्जन कुमार तुल्स्यान मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि देश आज जिस मुकाम पर खड़ा है, वहां हमें हर पल भारतीय होने पर गर्व महसूस होता है। लेकिन इस मुकाम को पाने का रास्ता स्वामी विवेकानंद जैसे प्रेरणा पुरुषों ने दिखाया है। उन्होंने कहा कि भारतीयों को इतिहास से सीखने और समझने की आवश्यकता है। और जब हम इतिहास को पढ़ेंगे, तो हम पाएंगे कि स्वामी विवेकानंद जैसे लोगों के ऋण को चुका पाना बेहद मुश्किल है।

इसे भी पढ़ें: आईआईएमसी में होगा 'योद्धा पत्रकार : पुण्य स्मरण' कार्यक्रम का आयोजन

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जिस भारत की बात करते थे, उस भारत के निर्माण का संकल्प समाज के हर वर्ग को लेना होगा और इस संकल्प में युवाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि भारत का भारत से साक्षात्कार करवाने में अगर कोई व्यक्ति सफल हो सका है, तो वो सिर्फ स्वामी विवेकानंद हैं। उन्होंने समाज को नवाचार से परिचित कराया। स्वामी विवेकानंद ने मानव समाज की सेवा को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया। वे शिक्षा, स्त्री पुनरुद्धार तथा आर्थिक प्रगति के पक्ष में थे। रूढिवादिता, अंधविश्वास, निर्धनता और अशिक्षा की उन्होंने हमेशा आलोचना की। 

इसे भी पढ़ें: पत्रकारिता के आदर्श पुरुष थे मालवीय और वाजपेयी: राम बहादुर राय

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि कुछ प्रतिबद्ध लोग देश का जितना भला कर सकते हैं, उतना भला कोई बड़ी भीड़ एक पूरी सदी में भी नहीं कर सकती। इसलिए युवाओं को सफलता का सूत्र देते हुए विवेकानंद कहते थे कि कोई एक विचार लो और उसे अपनी जिंदगी बना लो। उसी के बारे में सोचो और सपने में भी वही देखो। उस विचार को जियो। सफलता का रास्ता यही है। इस दुनिया में आए हो तो अपनी छाप छोड़कर जाओ। समारोह का संचालन डॉ. तारा दूगड़ ने किया। स्वगत भाषण आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने दिया एवं श्रीमती दुर्गा व्यास ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़