Shaurya Path: India-Maldives, India-Canada, Russia-Ukraine, Indian Army, Air Force Day 2023 संबंधी मुद्दों पर Brigadier Tripathi से बातचीत

Brigadier DS Tripathi
Prabhasakshi

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने एक सवाल के जवाब में कहा कि दूसरी ओर, रूस ने यूक्रेन के साथ जंग के बीच आपात स्थिति से निपटने से देश की तैयारी को देखने के लिए राष्ट्रव्यापी अभ्यास कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव, रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात, भारतीय वायुसेना, सेना की विकलांगता पेंशन नियमों को लेकर हो रहे विवाद और भारत-कनाडा संबंधों से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-

प्रश्न-1. मालदीव में चीन समर्थित मोहम्मद मुइज राष्ट्रपति चुनाव जीत गये हैं। निर्वाचित होते ही उनके कुछ ऐसे बयान भी सामने आये हैं जो भारत विरोध के रूप में देखे जा सकते हैं। इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले बधाई दी और दोनों देशों के संबंधों को प्रगाढ़ बनाने का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि मोहम्मद मुइज ने अपने समर्थकों के बीच उत्साह में जो कुछ कहा है वह कुछ कुछ चुनाव प्रचार जैसा था लेकिन जब वह पद संभालेंगे तो उन्हें बहुत चीजों का पता चलेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें तब समझ आयेगा कि कैसे चीन ने मालदीव को कर्ज में फंसाने की चाल चली थी जबकि भारत ने मालदीव को उसके इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से बाहर निकाला था। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में वैक्सीन की बात हो या अन्न की या फिर आर्थिक मदद की, भारत ने कभी कोई कमी नहीं रखी।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रक्षा-सुरक्षा से जुड़े सहयोग और मदद भी दो देश हमेशा आपसी सहमति से करते हैं, भारत ने कभी भी किसी देश में जबरदस्ती अपने सुरक्षाकर्मी या सैनिक नहीं तैनात किये। उन्होंने कहा कि मालदीव के नये राष्ट्रपति को पद संभालने के बाद जब यह समझ आयेगा कि चीन के साथ जाने और भारत से दूर होने पर अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देश मदद करना बंद कर सकते हैं, तो वह जरूर अपना रुख बदलेंगे। उन्होंने कहा कि मालदीव की जनता की भावना भी भारत के साथ मिलकर रहने की है इसलिए नये राष्ट्रपति को उसका ख्याल रखना ही होगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को यह भी जल्द ही समझ आ जायेगा कि भारत की मदद से जो परियोजनाएं मालीदव में चल रही हैं वह उनके देश के लिए कितनी हितकारी हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारतीय पर्यटकों से होने वाली आय मालदीव की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सबसे ज्यादा सहायक होती है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक चीन का सवाल है तो वहां के राष्ट्रपति ने भी मालदीव के साथ संबंधों को और गहरा करने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि हमें ध्यान रखना होगा कि मुइज मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के करीबी सहयोगी हैं, जिन्होंने 2013 से 2018 तक राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान चीन के साथ घनिष्ठ संबंध तैयार किए थे। फिलहाल यामीन भ्रष्टाचार के मामले में 11 वर्ष की जेल की सजा काट रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की ओर से संभल कर कदम उठाये जाने की उम्मीद है।

प्रश्न-2. रूस-यूक्रेन युद्ध के वर्तमान हालात क्या हैं?

उत्तर- युद्ध से सिर्फ रूस और यूक्रेन ही नहीं ऊबे हैं बल्कि पूरी दुनिया भी ऊब चुकी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में भी यूक्रेन को मदद दिये जाने का विरोध बढ़ता जा रहा है। वहां राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार बनने की दौड़ में शामिल विवेक रामास्वामी ने तो यूक्रेन में चुनाव कराने के लिए अमेरिका से अतिरिक्त धन मांगने पर युद्धग्रस्त देश के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की आलोचना तक कर डाली है। अमेरिकी संसद में जिस तरह यूक्रेन को लेकर हंगामा दिख रहा है वह दर्शा रहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए आगे युद्ध से प्रभावित इस देश की मदद कर पाना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ के मंत्रियों ने जरूर यूक्रेन जाकर जेलेंस्की को यह दर्शाने की कोशिश की है कि उनको मदद मिलती रहेगी लेकिन घरेलू स्तर पर देखें तो यूरोपीय देशों की जनता भी यूक्रेन को अब और मदद दिये जाने के खिलाफ खड़ी हो रही है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिका में रामास्वामी ने जिस तरह कहा है कि अगर वह अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए तो यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता में कटौती कर देंगे, वह यदि वहां आने वाले राष्ट्रपति चुनावों में बड़ा मुद्दा बन गया तो किसी के लिए भी यूक्रेन की मदद के लिए खड़ा हो पाना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि हमें यह भी देखना चाहिए कि रामास्वामी ने यह भी कहा है कि हमें किसी का तुष्टिकरण नहीं करना है। उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए कि पुतिन एक दुष्ट तानाशाह हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि यूक्रेन भला है। उन्होंने बताया कि रामास्वामी ने कहा, ''यूक्रेन एक ऐसा देश है जिसने 11 विपक्षी दलों पर प्रतिबंध लगा दिया है। यही वह देश है जिसने सभी मीडिया संगठनों का एक सरकारी मीडिया शाखा में विलय कर दिया है, जिसके राष्ट्रपति ने पिछले हफ्ते एक नाजी की प्रशंसा की थी, उन्होंने अमेरिका को धमकी दी है कि अगर उन्हें अधिक धन नहीं मिलता है तो वह इस साल अपने देश यूक्रेन में आम चुनाव नहीं कराएंगे।’’

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर, रूस ने यूक्रेन के साथ जंग के बीच आपात स्थिति से निपटने से देश की तैयारी को देखने के लिए राष्ट्रव्यापी अभ्यास कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। इसके तहत समूचे रूस में सायरन बजाए गए और टीवी स्टेशन ने नियमित कार्यक्रमों को रोककर चेतावनी का प्रसारण किया। यूक्रेनी ड्रोन द्वारा मास्को और अन्य शहरों पर हमले के बाद मंगलवार को यह अभ्यास शुरू किया गया। उन्होंने कहा कि अभ्यास चलने के बीच रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हवाई रक्षा प्रणाली ने बुधवार तड़के सीमावर्ती क्षेत्रों में यूक्रेन के 31 ड्रोन को मार गिराया। अभ्यास के तहत, टीवी चैनलों ने एक नोटिस का प्रसारण किया जिसमें लिखा गया था, ''सभी सावधान हो जाएं। सार्वजनिक चेतावनी प्रणाली की तैयारी का परीक्षण किया जा रहा है। कृपया शांत रहें।” 

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस अभ्यास के बारे में रूसी मीडिया ने कहा है कि इस दौरान परमाणु शक्तियों के बीच संघर्ष के बढ़ते खतरे का उल्लेख किया गया और ऐसी स्थिति पर प्रतिक्रिया का अनुकरण किया गया है जिसमें 70 प्रतिशत आवास और सभी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे नष्ट हो गए हैं और रेडियोधर्मी से व्यापक क्षेत्र दूषित हो गया है। उन्होंने कहा कि यह परिदृश्य क्रेमलिन की चेतावनियों की ओर संकेत करता है कि पश्चिमी देशों का यूक्रेन को समर्थन रूस और नाटो के बीच सीधे टकराव का खतरा बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि संयोग से, अमेरिकी संघीय सरकार ने भी अपनी आपातकालीन चेतावनी प्रणाली का परीक्षण किया है। उन्होंने कहा कि इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान रेडियो और टेलीविजन जैसे माध्यम के जरिए 10 मिनट में अमेरिकी लोगों से बात कर सकें।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूस की तैयारी दर्शा रही है कि राष्ट्रपति पुतिन जानते हैं कि जीत एकदम तय है लेकिन वह यूक्रेन के मददगार पश्चिमी देशों को तगड़ा सबक सिखाने के लिए युद्ध को खींचे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन ने अब यूक्रेन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ाने का खेल भी शुरू कर दिया है क्योंकि वह समझते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव निकट होने के चलते अमेरिका अब यूक्रेन की ज्यादा मदद नहीं कर पायेगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह यूक्रेन पश्चिमी और नाटो देशों से मिले तमाम संसाधनों और प्रशिक्षण के बावजूद रूस को कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुँचा पा रहा है, उल्टा रूस दिन पर दिन यूक्रेन की जमीन पर अपना कब्जा बढ़ाता जा रहा है और कब्जाये इलाकों में चुनाव करा कर या मनोनीत कर अपना प्रशासन नियुक्त करता जा रहा है वह दर्शा रहा है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की अब हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं।

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प्रश्न-3. वायुसेना प्रमुख ने कहा है कि टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पूरी तरह से हटाये जाने तक तैनाती बनी रहेगी। इसके अलावा वायुसेना से दो बड़ी खबरें रहीं कि 97 अतिरिक्त तेजस मार्क-1ए विमान खरीदने पर विचार किया जा रहा है साथ ही आखिरी बार वायु सेना दिवस परेड में शामिल होने को मिग-21 लड़ाकू विमान तैयार है। इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने जो कहा है वह भारत के दुश्मनों को ध्यान से सुनना ही चाहिए और देश की जनता को भी आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी सेनाएं हर स्थिति का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वायुसेना की अभियानगत योजनाएं बहुत ही मजबूत हैं और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जहां भी यह ‘‘शत्रु की संख्या या शक्ति’’ का मुकाबला नहीं कर सकती वहां बेहतर तरकीबों, प्रशिक्षण के जरिये और पर्वतीय रडार जैसे स्वदेश निर्मित सैन्य उपकरण, लंबी दूरी की मिसाइलें तथा ‘अपग्रेडेड’ लड़ाकू विमानों को तैनात कर चुनौतियों से निबटने की बात कही गयी है। उन्होंने कहा कि वायुसेना दिवस से पहले वायुसेना प्रमुख ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद पर कहा है कि टकराव वाले शेष स्थानों से (दोनों देशों के) सैनिकों को पीछे हटाये जाने तक क्षेत्र में सीमा पर वायुसेना की तैनाती बनी रहेगी।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वायुसेना की अभियानगत शक्ति को मजबूत करने के लिए उठाये गए कदमों का विवरण देते हुए वायुसेना प्रमुख ने बताया है कि करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये की लागत से 97 तेजस मार्क 1ए विमान खरीदने के अनुबंध को जल्द पूरा किया जाएगा। फरवरी 2021 में, रक्षा मंत्रालय ने इस तरह के 83 विमानों की खरीद के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 48,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। उन्होंने बताया कि वायुसेना प्रमुख ने कहा है कि 84 सुखोई-30एमकेआई विमनों को 60,000 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत करने की एक अन्य परियोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। वायुसेना अगले सात-आठ साल में ढाई-तीन लाख करोड़ रुपये के मिलिट्री प्लेटफॉर्म, उपकरण एवं हार्डवेयर शामिल करने पर विचार कर रही है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सैन्य बुनियादी ढांचे में चीन के तेजी से विस्तार करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हवाई साजो-सामान की तैनाती किये जाने के बारे में पूछे जाने पर वायुसेना प्रमुख ने जानकारी दी है कि वायुसेना सीमा पार स्थिति पर आईएसआर (खुफिया, निगरानी, और टोह) तंत्र के जरिये निरंतर नजर रखे हुए है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वायुसेना प्रमुख ने बताया है कि वायुसेना सीमाओं पर निगरानी बेहतर करने के लिए पर्वतीय रडार तैनात करने की प्रक्रिया में जुटी हुई है। चूंकि चीन ने समूची उत्तरी सीमा पर रडार तैनात किए हैं इसलिए भारतीय वायुसेना को शत्रु की निगरानी क्षमता के बारे में पता है। उन्होंने कहा कि वायुसेना प्रमुख ने कहा है कि हमारा जवाब हमारी पर्वतीय रडार परियोजना के माध्यम से है। इसके अलावा, हमारे पास हल्के राडार हैं जिन्हें हम सीमाओं के पार होने वाले घटनाक्रमों के आधार पर लगातार तैनात और पुन: तैनात करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि वायुसेना प्रमुख ने बताया है कि लंबे समय में, हम इन सामरिक स्थानों पर पर्वतीय राडार तैनात करने पर विचार कर रहे हैं ताकि शत्रु के क्षेत्र में समान रूप से देखने में सक्षम हो सकें। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना अपनी लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए लंबी दूरी की मिसाइलों, रडार और अन्य निगरानी उपकरणों जैसी विभिन्न हथियार प्रणालियों की खरीद कर रही है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वायुसेना प्रमुख ने जानकारी दी है कि हमारा जोर हर वक्त बदलाव करने पर बना रहेगा और खास इलाकों में साजो-सामान की तैनाती के संदर्भ में तय सोच नहीं होगी। लेकिन हम बहुत ही लचीली और मजबूत युद्ध नीति रखेंगे, जिसकी हर वक्त समीक्षा की जाती रहेगी और फिर यह हमें प्राप्त खुफिया सूचनाओं पर आधारित होगी। इसके अलावा, वायुसेना को एस-400 मिसाइल प्रणाली की तीन इकाइयां प्राप्त हुई हैं और शेष दो इकाइयां अगले वर्ष तक मिल जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अनिश्चित भू-राजनीतिक स्थिति मजबूत सेना की आवश्यकता को फिर से बता रही है और वायुसेना क्षेत्र में भारत की सैन्य ताकत दिखाने का आधार बनी रहेगी।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा, रूसी मूल के मिग-21 लड़ाकू विमान 8 अक्टूबर को वार्षिक वायु सेना दिवस परेड में आखिरी बार भाग लेने के लिए तैयार हैं। भारतीय वायुसेना विमान के शेष तीन स्क्वाड्रन को चरणबद्ध तरीके से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर रही है। उन्होंने कहा कि स्वदेश विकसित तेजस मार्क-1ए विमान 2025 से मिग-21 विमानों की जगह लेंगे। उन्होंने कहा कि करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये की लागत से 97 तेजस मार्क-1ए विमान खरीदने का अनुबंध जल्द ही पूरा किया जाएगा। यह 2021 में 83 ऐसे जेट खरीदने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ हुए 48,000 करोड़ रुपये के सौदे के अतिरिक्त होगा। इस समय भारतीय वायु सेना के पास मिग-21 विमानों के तीन स्क्वाड्रन हैं, जिनमें कुल करीब 50 विमान हैं। मिग-21 विमानों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए एक समयसीमा तय की गयी है। उन्होंने कहा कि बताया जा रहा है कि मिग-21 के बाकी स्क्वाड्रन को अगले साल तक चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मिग-21 विमान आठ अक्टूबर को प्रयागराज में अंतिम बार वायु सेना दिवस परेड में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के करीब 120 विमान वायु सेना दिवस परेड में हिस्सा लेंगे। हाल में शामिल सी-295 परिवहन विमान को भी परेड में शामिल किया जाएगा। मिग-21 विमानों को 1960 के दशक की शुरुआत में वायु सेना में शामिल किया गया था। वायु सेना ने अपनी समग्र लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए 870 से ज्यादा मिग-21 लड़ाकू विमान खरीदे थे। हालांकि, इस विमान का सुरक्षा रिकॉर्ड बहुत खराब रहा है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वायुसेना प्रमुख ने एक और जो महत्वपूर्ण बात बताई है वह यह है कि भारतीय वायुसेना 60,000 करोड़ रुपये की लागत से 84 सुखोई-30 एमकेआई विमानों को उन्नत बनाने और 97 तेजस मार्क-1ए विमानों की खरीद के लिए 1.15 लाख करोड़ रुपये के सौदे को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। फरवरी 2021 में, रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना के लिए 83 तेजस एमके-1ए विमानों की खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 48,000 करोड़ रुपये का करार किया था। 97 अतिरिक्त तेजस मार्क-1ए विमानों की खरीद के बाद वायुसेना के बेडे़ में इन विमानों की कुल संख्या 180 हो जाएगी। इसके अलावा, रक्षा मंत्रालय कुल 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) खरीदने के लिए अगले साल एचएएल के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने पर भी विचार कर रहा है, जिसमें से 66 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए होंगे। वायुसेना के पास फिलहाल 10 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर हैं। वायुसेना ने 83 एलसीए-मार्क 1ए के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। अब हम 97 अतिरिक्त विमान खरीदने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में हैं। इसके अनुबंध का मूल्य 1.15 लाख करोड़ रूपये से कुछ अधिक होगा।

प्रश्न-4. विकलांगता पेंशन के नये नियमों को लेकर विवाद पर आपका क्या कहना है?

उत्तर- केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए विकलांगता पेंशन के नियमों में जो बदलाव किया है उस पर जो सवाल उठे हैं उसका समाधान सरकार को करना चाहिए। अगर पूर्व सैनिकों की शिकायतों के निवारण के मकसद से एक 'पूर्व सैनिक आयोग' का गठन कर दिया जाये तो अच्छा रहेगा। देखा जाये तो लगभग 40 प्रतिशत अधिकारी विकलांगता पेंशन के साथ सेवानिवृत्त होते हैं और वर्तमान नीति परिवर्तन पिछले कई अदालती निर्णयों, नियमों और स्वीकार्य वैश्विक मानदंडों का उल्लंघन कर सकता है इसलिए सरकार को इस मुद्दे को तत्काल देखना चाहिए।

प्रश्न-5. भारत-कनाडा के रिश्तों में तनाव बढ़ा हुआ है। भारत के कड़े रुख के बावजूद जिस तरह विदेशों में खालिस्तानी तत्व अपनी ताकत दिखा रहे हैं उसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- यह बात सही है कि भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव बढ़ा हुआ है लेकिन सब जानते हैं कि इसका असल कारण कनाडा सरकार की हठधर्मिता और उसकी तुष्टिकरण की राजनीति ही है। लेकिन भारत ने जिस तरह कड़ा रुख अपनाया है उसके चलते कनाडा के तेवर कम हुए हैं और वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सुर एकदम बदल गये हैं। उन्होंने कहा कि भारत के दबाव में जिस तरह कनाडा अपने राजनयिकों की संख्या को कम करने पर मजबूर हुआ वैसे उदाहरण कूटनीति की दुनिया में कम ही देखने को मिले हैं। उन्होंने कहा कि खालिस्तानी तत्व भले कुछ देशों में भारतीय दूतावासों के बाहर हंगामा कर रहे हों लेकिन भारत ने जिस तरह वहां की सरकारों के समक्ष यह मामला उठाया है उसके चलते संतोषजनक कार्रवाई देखने को मिली है साथ ही खालिस्तान समर्थकों के भारतीय ठिकानों पर भी छापेमारी और जब्ती की कार्रवाई के चलते ऐसे तत्वों के हौसले पस्त हुए हैं।

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