'अगर युद्ध की नौबत आती है तो सेना के साथ पूरा देश लड़ता है', NCC को संबोधित करते हुए बोले राजनाथ
राजनाथ सिंह ने कहा कि अब तक आप की बुनियाद इतनी मजबूत बना दी है, कि उस पर आप सफलता की कितनी भी विशाल इमारत तैयार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आप जितनी भी महान विभूतियों को देखेंगे, आप पाएंगे कि दुनिया प्रायः उनको उन्हीं गुणों के कारण जानती है, जिनको उन्होंने अपने अंदर किशोरावस्था तक विकसित कर लिया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज करिअप्पा परेड ग्राउंड में गणतंत्र दिवस शिविर में एनसीसी कैडेटों और अधिकारियों को संबोधित किया। इस दौरान रक्षा मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि अगर युद्ध की नौबत आती है तो सेना के साथ पूरा देश लड़ता है। अपने बयान में रक्षा मंत्री ने कहा कि जब भी हमारी सेना है सीमा पर कदमताल करते हुए दिखाई देती है तो उस समय केवल हमारी सेना ही कदमताल नहीं करती बल्कि हमारे देश के वैज्ञानिक, इंजीनियर और सिविल अफसर भी कदम से कदम और कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहे होते हैं। रक्षा मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि यह देश अनेक प्रांतों का, अनेक भाषाओँ का और अनेक पंथों, मज़हबों और विचारों का देश हैI बावज़ूद इसके, जब राष्ट्रहित में कुछ करने की बारी आती है, तो सभी एक जुट होकर आगे बढ़ने लगते हैं। उन्होंने कहा कि NCC से टीम वर्क सीखने को मिलता है। टीम वर्क का बेहतर उदाहरण रक्षा व्यवस्था में देखने को मिलता है।
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राजनाथ सिंह ने कहा कि अब तक आप की बुनियाद इतनी मजबूत बना दी है, कि उस पर आप सफलता की कितनी भी विशाल इमारत तैयार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आप जितनी भी महान विभूतियों को देखेंगे, आप पाएंगे कि दुनिया प्रायः उनको उन्हीं गुणों के कारण जानती है, जिनको उन्होंने अपने अंदर किशोरावस्था तक विकसित कर लिया था। उन्होंने कहा कि NCC का भी उद्देश्य यही है, कि वह आपके अंदर उन विभूतियों के गुणों को विकसित करे, जिससे आप स्वयं तो अपनी राह बना सकें, साथ ही समाज को भी एक नई दिशा दे सकें। इसलिए आपको अब तक जितनी भी सीखें मिली हैं, उन्हें अपने जीवन में अच्छी तरह उतारना है, और उन्हें और अधिक विकसित करना है।
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रक्षा मंत्री ने कहा कि जब यह कहा जाता है, कि हमें एक समृद्ध और सशक्त भारत का निर्माण करना है, तो उसका वास्तविक अर्थ होता है कि हमें अपने देश को समृद्ध भी करना है, सशक्त भी करना है, और सबसे महत्त्वपूर्ण, भारत को भारत ही रहने देना है। उन्होंने कहा कि जो राष्ट्र और समाज समय के साथ नहीं बदलता है, वह कहीं पीछे छूट जाता हैI ऐसे में समय के अनुरूप खुद को ढालना हमारी आवश्यकता है। पर इस बदलाव के साथ हमारे ऊपर एक जिम्मेदारी भी है, जिसका हमें पूरी तरह पालन करना है। और वह जिम्मेदारी है हमारी विरासत के प्रति हमारा सम्मान। उन्होंने कहा कि जब यह कहा जाता है, कि हमें एक समृद्ध और सशक्त भारत का निर्माण करना है, तो उसका वास्तविक अर्थ होता है कि हमें अपने देश को समृद्ध भी करना है, सशक्त भी करना है, और सबसे महत्त्वपूर्ण, भारत को भारत ही रहने देना है।
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