RSS को समझने के लिए दिमाग से ज्यादा दिल की जरूरत है: दत्तात्रेय होसबाले

Dattatreya Hosabale
ANI

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, ‘‘हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे क्योंकि उन्हें लगता था कि इस देश में जन्म लेने के कारण देशभक्त होना उनका कर्तव्य और जिम्मेदारी है।’’ होसबाले ने कहा कि हेडगेवार ‘‘सिद्धांतों से समझौता नहीं करने वाले और सक्रिय देशभक्त थे।’’

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि संघ को समझने के लिए ‘दिमाग से अधिक’ दिल की जरूरत है। इस मौके पर संगठन के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के योगदान और समाज के लिए उनके संदेश पर प्रकाश डाला गया। होसबाले यहां संसद परिसर में जीएमसी बालयोगी सभागार में एक पुस्तक ‘मैन ऑफ द मिलेनिया; डॉ. हेडगेवार’ के विमोचन के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। 

उन्होंने कहा, ‘‘हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे क्योंकि उन्हें लगता था कि इस देश में जन्म लेने के कारण देशभक्त होना उनका कर्तव्य और जिम्मेदारी है।’’ होसबाले ने कहा कि हेडगेवार ‘‘सिद्धांतों से समझौता नहीं करने वाले और सक्रिय देशभक्त थे।’’ उन्होंने कहा कि संघ संस्थापक ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और उन्हें दो बार ‘‘एक बार 1921 में और दूसरी बार 1931 में’’ जेल की सजा हुई। 

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होसबाले ने कहा, ‘‘मैं कई बार कहता हूं कि संघ को दूर से समझने की कोशिश न करें। संघ के करीब आएं और इसे देखें। अगर आपको पसंद नहीं है तो चले जाएं। संघ को समझने के लिए दिमाग की जरूरत है। लेकिन दिमाग से ज्यादा दिल की जरूरत है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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