नीरज चोपड़ा ने समाप्त किया था 12 साल का वनवास, स्वर्णिम इतिहास के साथ पूरा किया था 'फर्राटा किंग' का सपना
जेवेलिन थ्रो खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने बताया था कि मिल्खा सिंह ने भारतीय खेल और एथलेटिक्स के लिए बहुत बड़ा योगदान किया, उनका सपना था कि भारत से कोई स्वर्ण पदक जीते और ओलंपिक में राष्ट्रगान बजे। उनका वो सपना पूरा हुआ लेकिन आज वो हमारे बीच नहीं हैं।
नयी दिल्ली। नीरज चोपड़ा, नाम तो सुना ही होगा... भारत का वो जांबाज़ खिलाड़ी जिसने 12 साल के वनवास को समाप्त किया और अभिनव बिंद्रा के बाद स्वर्णिम इतिहास लिखा। इतना ही नहीं वो अपने तरह के खेल के स्वर्णिम इतिहास लिखने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं। दरअसल, नीरज चोपड़ा भारत के लिए जेवलिन थ्रो खेलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में न सिर्फ 135 करोड़ भारतीयों का सपना पूरा किया बल्कि देश के फर्राटा किंग स्वर्गीय मिल्खा सिंह का भी सपना पूरा किया।
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मिल्खा सिंह का क्या था सपना ?
एक इंटरव्यू में जेवेलिन थ्रो खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने बताया था कि मिल्खा सिंह ने भारतीय खेल और एथलेटिक्स के लिए बहुत बड़ा योगदान किया, उनका सपना था कि भारत से कोई स्वर्ण पदक जीते और ओलंपिक में राष्ट्रगान बजे। उनका वो सपना पूरा हुआ लेकिन आज वो हमारे बीच नहीं हैं, मुझे लगता है कि वो आज जहां भी हैं वहां से देखकर गर्व महसूस कर रहे होंगे। दरअसल, कोरोना वायरस महामारी की वजह से मिल्खा सिंह की तबीयत बिगड़ गई थी। जिसके बाद उनका निधन हो गया था। निधन के 50 दिन के भीतर ही मिल्खा सिंह का सपना पूरा हुआ और साल 2021 में खेले गए ओलंपिक में राष्ट्रगान बजा।24 दिसंबर, 1997 को हरियाणा के पानीपत में जन्में नीरज चोपड़ा ने फगवाड़ा स्थित एलपीयू यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल की। बचपन से ही खेलों की तरफ नीरज का रुझान रहा है। जब बहुत से युगा अपने भविष्य को लेकर चिंतित और भ्रमित रहते हैं उस वक्त नीरज ने जेवलिन थ्रो में अच्छा मुकाम हासिल किया था। बचपन में गोलू-मोलू से दिखने वाले नीरज का काफी मजाक उडता था और वो अपने मोटापे से काफी परेशान भी हो गए थे फिर उन्होंने जीवन में कुछ करने का प्रण लिया।इसके बाद उन्होंने स्टेडियम जाना शुरू किया और वहां पर दूसरे खिलाड़ियों को जेवलिन थ्रो करते हुए देखा और फिर उन्होंने भी जेवलिन थ्रो किया और आज उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, उसके लिए खिलाड़ी रोज कड़ी मेहनत करते हैं और सपने देखते हैं। लेकिन पढ़ने में जितना आसान नीरज का सफर लग रहा है, उतना है नहीं। सामान्य से किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले नीरज ने जीवन में काफी संघर्ष किया है।इसे भी पढ़ें: गुजरात में छोटे बच्चों को जैवलिन थ्रो सिखाते नजर आए नीरज चोपड़ा, PM मोदी भी हुए गदगद
2016 में राजपुताना रेजिमेंड में हुई थी नियुक्ति
साल 2016 में पोलैंड में हुए आईएएएफ वर्ल्ड यू-20 चैम्पियनशिप में नीरज ने जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक हासिल किया था। जिससे प्रभावित होकर राजपुताना रेजिमेंड ने उन्हें बतौर जूनियर कमिशंड ऑफिसर के तौर पर नियुक्त किया था और उन्हें नायब सूबेदार का पद दिया था। जिसके बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके परिवार में आज तक किसी को भी सरकारी नौकरी नहीं मिली थी। यह हमारे परिवार के लिए बहुत खुशी की बात है।आपको बता दें कि नीरज ने एशियन जूनियर चैंपियनशिप 2016 में रजत, साउथ एशियन गेम्स 2016 में स्वर्ण, वर्ल्ड यू-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2016 में स्वर्ण, एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2017 में स्वर्ण, कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में स्वर्ण, एशियन गेम्स 2018 में स्वर्ण और अंतत: टोक्यो ओलंपिक में भी स्वर्णिम इतिहास रच दिया।
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