मंदिरों के चढ़ावे बारे सरकार की नीति विरोधाभासी-कांग्रेस प्रवक्ता दीपक शर्मा बोले-नीति संवैधानिक धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध

Deepak sharma

उन्होंने कहा कि सरकार के इस बारे में आदेश कई तरह के स्वाल खड़े करते हैं।धार्मिक स्थलों पर केवल एक ही धर्म के लोग नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोग अपनी आस्था के अनुसार चढ़ावा चढ़ाते हैं।उदाहरण के रूप में शक्तिपीठ ज्वालामुखी में राजा अकबर ने सोने का छत्र चढ़ाया था।जो कि एक ऐतिहासिक घटना के रूप में इतिहास में दर्ज है।

धर्मशाला हिमाचल के मंदिरों-शक्तिपीठों, धार्मिक संस्थाओं को चढ़ावे के रूप में मिलने वाले धन बारे सरकार की नीति न केवल विरोधाभासी है बल्कि असंवैधानिक भी है। यह प्रतिक्रिया हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता दीपक शर्मा ने आजदी।

 

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उन्होंने कहा कि सरकार के इस बारे में आदेश कई तरह के स्वाल खड़े करते हैं।धार्मिक स्थलों पर केवल एक ही धर्म के लोग नहीं बल्कि सभी धर्मों के लोग अपनी आस्था के अनुसार चढ़ावा चढ़ाते हैं।उदाहरण के रूप में शक्तिपीठ ज्वालामुखी में राजा अकबर ने सोने का छत्र चढ़ाया था।जो कि एक ऐतिहासिक घटना के रूप में इतिहास में दर्ज है।व्यवहारिक रूप में इन शक्तिपीठों के पदेन आयुक्त जिलाधीश होते हैं।सरकार की वर्तमान नीति के तहत तो कोई भी दूसरे धर्म का अधिकारी फिर जिलाधीश नहीं होगा।यह तर्कसंगत नहीं है।उन्होंने कहा कि किसी भी धार्मिक संस्थान में किसी विशेष धर्म के आधार पर प्रवेश नहीं होता है।जिसकी भी आस्था हो वह प्रवेश पा सकता है।

 

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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा आभास होता है कि सम्पूर्ण जानकारी न होने की वजह से इस तरह के विरोधाभासी आदेश अफसरशाही ने दिए हैं।कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि शक्तिपीठों एवम बाबा बालकनाथ जैसे धार्मिक स्थलों में हिंदुओं के अलावा लाखों की संख्या में सिख एवम अन्य श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं।ऐसे में किसी धर्म विशेष के लोगों तक इन आस्था के केंद्रों को सीमित करना सरकार की संकीर्ण सोच को दर्शाता है।दीपक शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार एक विशेष कट्टरपंथी विचारधारा के दबाब में आ कर इस तरह के साम्प्रदायिक फैसले कर रही है।जो कि पूर्णतः आपत्तिजनक, विरोधाभासी और असंवेधानिक है।

 

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दीपक शर्मा ने कहा कि आमजन की आस्था के इन केंद्रों को सभी धर्मों के लिए खुला रखना चाहिए ।उन्होंने कहा कि जहां तक प्राप्त हुए चढ़ावे का प्रश्न है इसको लेकर वैष्णोदेवी न्यास की तर्ज़ पर पारदर्शिता के साथ कार्य होना चाहिए और इस धन का दुरुपयोग, अधिकारियों की शानो शौकत आदि पर खर्च नहीं होना चाहिए।उन्होंने कहा कि ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि इन शक्तिपीठों में राजनैतिक व्यक्तियों ने अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु न्यास का पैसा मुख्यमंत्री राहत कोष में दान करके राजनैतिक लाभ प्राप्त करने की कोशिश की।इस तरह का दुरूपयोग रोकने की आवश्यकता है।वर्तमान में सरकार द्वारा लिया गया फैसला पूर्णतः गलत है।

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