सरकार-किसान वार्ता अटकी, किसान यूनियनों ने दी आंदोलन तेज करने की चेतावनी
इस समिति में तीन ही सदस्य हैं क्योंकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया था। इस समिति के तीन अन्य सदस्यों ने बृहस्पतिवार को पक्षकारों के साथ वार्ता प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
किसान नेताओं ने आज की बैठक के बाद कहा कि भले ही बैठक पांच घंटे चली, लेकिन दोनों पक्ष मुश्किल से 30 मिनट के लिए ही आमने-सामने बैठे। बैठक की शुरुआत में ही किसान नेताओं ने सरकार को सूचित किया कि उन्होंने बुधवार को पिछले दौर की बैठक में सरकार द्वारा रखे गए प्रस्ताव को खारिज करने का निर्णय किया है। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर सहित तीनों केंद्रीय मंत्रियों ने किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों से अपने रुख पर पुनर्विचार करने को कहा जिसके बाद दोनों पक्ष दोपहर भोज के लिए चले गए। किसान नेताओं ने अपने लंगर में भोजन किया जो तीन घंटे से अधिक समय तक चला। भोजन विराम के दौरान 41 किसान नेताओं ने छोटे-छोटे समूहों में आपस में चर्चा की, जबकि तीनों केंद्रीय मंत्रियों ने विज्ञान भवन में एक अलग कक्ष में प्रतीक्षा की। बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां) के नेता जोगिंदर सिंह उग्राहां ने कहा कि वार्ता टूट गई है क्योंकि यूनियनों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने कहा कि कानूनों को निलंबित रखने की अवधि दो साल तक विस्तारित की जा सकती है, लेकिन यूनियन तीनों कानूनों को पूरी तरह वापस लिए जाने तथा फसलों की खरीद पर एमएसपी की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी मांगों पर अड़ी रहीं। मंत्रियों ने किसान यूनियनों से कहा कि उन्हें सभी संभव विकल्प दिए गए हैं और उन्हें कानूनों को निलंबित रखने के प्रस्ताव पर आपस में आंतरिक चर्चा करनी चाहिए। सूत्रों के अनुसार तोमर ने किसान नेताओं से कहा कि यदि वे प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते हैं तो सरकार एक और बैठक के लिए तैयार है।There are forces that want the agitation to continue and ensuring that no good comes out of it: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar on the eleventh round of talks between farmer unions and the government pic.twitter.com/AmJVDxbZj6
— ANI (@ANI) January 22, 2021
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मंत्री ने यूनियनों का उनके सहयोग के लिए धन्यवाद भी किया और कहा कि हालांकि कानूनों में कोई समस्या नहीं है, लेकिन सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों के सम्मान के लिए इन्हें निलंबित रखने की पेशकश की है। बैठक स्थल से बाहर आते हुए किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा कि चर्चा में कोई प्रगति नहीं हुई और सरकार ने अपने प्रस्ताव पर यूनियनों से पुन: विचार करने को कहा। कक्का बैठक से जाने वाले पहले व्यक्ति थे, लेकिन उन्होंने कहा कि यह ‘‘कुछ निजी कारणों’’ की वजह से है। बुधवार को हुई पिछले दौर की बातचीत में सरकार ने तीनों नए कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित रखने और समाधान निकालने के लिए एक संयुक्त समिति बनाने की पेशकश की थी। हालांकि बृहस्पतिवार को विचार-विमर्श के बाद किसान यूनियनों ने इस पेशकश को खारिज करने का फैसला किया और वे इन कानूनों को रद्द किए जाने तथा एमएसपी की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी दो प्रमुख मांगों पर अड़े रहे। किसान नेता दर्शनपाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने सरकार से कहा कि हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा किसी और चीज के लिए सहमत नहीं होंगे। लेकिन मंत्री ने हमें अलग से चर्चा करने और मामले पर फिर से विचार कर फैसला बताने को कहा।’’ टिकैत ने कहा, ‘‘हमने अपनी स्थिति सरकार को स्पष्ट रूप से बता दी कि हम कानूनों को निरस्त कराना चाहते हैं, न कि स्थगित। मंत्रियों ने हमें अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा।’’ कुछ नेताओं ने आशंका जताई कि यदि किसान एक बार दिल्ली की सीमाओं से चले गए तो आंदोलन अपनी ताकत खो देगा।
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भारतीय किसान यूनियन (असली अराजनीतिक) के अध्यक्ष हरपाल सिंह ने कहा, ‘‘यदि हम सरकार की पेशकश को स्वीकार कर लेते हैं, तो दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हमारे साथी भाई कानूनों को रद्द करने के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। वे हमें नहीं बख्शेंगे। हम उन्हें क्या उपलब्धि दिखाएंगे?’’ उन्होंने सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाया और आरोप लगाया कि यह विश्वास करना मुश्किल है कि वह 18 महीने तक कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित रखकर अपनी बात पर कायम रहेगी। सिंह ने कहा, ‘‘हम यहां मर जाएंगे, लेकिन कानूनों को रद्द कराए बिना वापस नहीं लौटेंगे।’’ सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने करीब 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की। संयुक्त किसान मोर्चा के तहत किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव पर बृहस्पतिवार को सिंघू बॉर्डर पर बैठक की थी। इसी मोर्चे के बैनर तले कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान संगठन पिछले लगभग दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं। मोर्चे ने एक बयान में कहा था, ‘‘बैठक में तीनों नए केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कानून बनाने की बात, इस आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में दोहराई गईं।’’ वहीं, कृषि मंत्री तोमर ने आज की बैठक के बाद कहा कि सरकार और किसानों के बीच अक्टूबर से बातचीत चल रही है तथा अब तक वार्ता के 11 दौर हुए हैं एवं एक बैठक अधिकारियों के साथ हुई। उन्होंने कहा कि किसानों के फायदे के लिए संसद में कृषि सुधार विधेयकों को पारित किया गया और आंदोलन मुख्य रूप से पंजाब के किसानों तथा कुछ अन्य राज्यों के कुछ किसानों द्वारा किया जा रहा है।
तोमर ने कहा कि सरकार ने हमेशा यह कहा है कि वह कानूनों को निरस्त करने के अलावा अन्य विकल्पों पर विचार करने को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा प्रस्ताव किसानों और देश के हित में है। हमने यूनियनों से हमारे प्रस्ताव पर शनिवार तक अपना फैसला बताने को कहा है। यदि वे सहमत हैं, तो हम फिर से बैठक करेंगे।’’ मंत्री ने कहा कि सरकार ने आंदोलन खत्म करने के लिए कई प्रस्ताव दिए, लेकिन जब आंदोलन की शुचिता खो जाती है तो कोई समाधान संभव नहीं होता। उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी ताकतें निश्चित रूप से आंदोलन जारी रखने की कोशिश कर रही हैं और जाहिर है कि वे ताकतें किसानों के हितों के खिलाफ हैं। दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों में से अधिकतर पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं। किसान संगठनों का आरोप है कि नए कृषि कानूनों से मंडी और एमएसपी खरीद प्रणालियां समाप्त हो जाएंगी तथा किसान बड़े कॉरपोरेट घरानों की दया पर निर्भर हो जाएंगे। उच्चतम अदालत ने 11 जनवरी को तीनों नए कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी और गतिरोध को दूर करने के मकसद से चार-सदस्यीय एक समिति का गठन किया था। फिलहाल, इस समिति में तीन ही सदस्य हैं क्योंकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया था। इस समिति के तीन अन्य सदस्यों ने बृहस्पतिवार को पक्षकारों के साथ वार्ता प्रक्रिया शुरू कर दी थी।The minister made us wait for three & a half hours. This is an insult to farmers. When he came, he asked us to consider the govt's proposal & said that he is ending the process of meetings... The agitation will continue peacefully: SS Pandher, Kisan Mazdoor Sangharsh Committee pic.twitter.com/J1ppwGfHCn
— ANI (@ANI) January 22, 2021
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