यूपी में क्यों सारे भाईजान हुए परेशान? पहले अब्बाजान, फिर चाचाजान और अब आ गईं अम्मीजान
एक जमाना था कि जब जाट-मुस्लिम समीकरण के सहारे यूपी में कई नेताओं की दुकानें चलती थी। लेकिन साल 2013 के मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद दोनों समुदायों के बीच आई तल्खी से ये समीकरण बिखड़ गया। राकेश टिकैत की कोशिश मुस्लिम-जाट समीकरण को बनाकर बीजेपी को नुकसान पहुूंचाने की है। वहीं ओवैसी मुस्लिम वोट बैंक को साधना चाहते हैं।
उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल में पूरा खानदान और कुनबा जुट गया है। पहले अब्बाजान का शोर और अब चाचाजान की एंट्री हो गई। अब इसमें अम्मीजान की भी एंट्री हो गई। योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव पर तंज कसने के लिए उनके पिता मुलायम सिंह यादव को 'अब्बाजान' कह कर निशाना साधा। राकेश टिकैत ने ओवैसी को बीजेपी का चाचाजान कहा तो आप ने घुमा-फिरा कर अम्मीजान की एंट्री का जिक्र कर दिया।
सबसे पहले आए अब्बाजान
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कुशीनगर और संत कबीर नगर जिलों में करोड़ों रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया। उन्होंने विपक्षी दलों खासकर समाजवादी पार्टी (सपा) पर बिना नाम लिए तीखा प्रहार करते हुए कहा कि राम भक्तों पर गोली चलाने वाली तालिबान समर्थक जातिवादी-वंशवादी मानसिकता को प्रदेश की जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। समाजवादी पार्टी के प्रमुख का नाम लिए बिना उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अब्बाजान कहने वाले गरीबों की नौकरी पर डाका डालते थे। पूरा परिवार झोला लेकर वसूली के लिए निकल पड़ता था। अब्बाजान कहने वाले राशन हजम कर जाते थे। राशन नेपाल और बांग्लादेश पहुंच जाता था। आज जो गरीबों का राशन निगलेगा वह जेल चला जाएगा।
ओवैसी बीजेपी के चाचाजान
सियासी शोर के बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी सियासी बयान देते हुए ओवैसी को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा है कि एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी बीजेपी के चाचाजान हैं। बागपत में रैली के दौरान टिकैत ने ओवैसी और बीजेपी के बीच सांठगांठ का आरोप लगाते हुए ओवैसी को बीजेपी का चाचाजान बताया। टिकैत ने कहा कि ओवैसी बीजेपी को गाली देते हैं, फिर भी उनके खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं होता है, क्योंकि ये दोनों एक ही टीम हैं। राकेश टिकैत ने एआईएमआईएम चीफ पर निशाना साधते हुए कहा कि ये बहरूपिया है, कभी तिरछी टोपी पहनेंगे कभी सीधी टोपी पहनेंगे। टिकैत ने कहा कि बीजेपी का चाचाजान उत्तर प्रदेश में आ चुका है और उसका नाम ओवैसी है। बाहर से हमारे प्रदेश में आया तो उसका मान सम्मान रहना चाहिए। हमारी संस्कृति ये तो नहीं कहती कि हम उसको मान-सम्मान नहीं दें। उन्हें सम्मान से बुला रहे हैं। टिकैत ने कहा कि बीजेपी का चाचाजान उत्तर प्रदेश में आ चुके हैं। उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए।
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आप ने कराई अम्मीजान की एंट्री
मनीष सिसोदिया ने कहा कि उनकी राजनीति इसी पर टिकी है। लोगों को लड़ाते रहो। कभी अब्बाजान की बात कर लो, कभी ओवैसी की बात कर लो। मुझे लगा कि आ गया चुनाव अब चुनाव में सबको अब्बाजान भी याद आएंगे और अम्मीजान भी याद आएंगी।
सारे भाईजान परेशान
यूपी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि ओवैसी किसकी लैला हैं और कौन उनका मजनू है। अब्बाजन के बाद चाचाजान भी आ गए। अब सारे भाईजान परेशान हैं कि 2022 में हम करें क्या? जाएं तो जाएं कहां। न अब्बाजान साफ कर रहे हैं न चाचाजान साफ कर रहे हैं। इस लैला मजनू के खेल में भाईजान परेशान हैं।
मुस्लिम-जाट समीकरण बनाने की कोशिश
एक जमाना था कि जब जाट-मुस्लिम समीकरण के सहारे यूपी में कई नेताओं की दुकानें चलती थी। लेकिन साल 2013 के मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद दोनों समुदायों के बीच आई तल्खी से ये समीकरण बिखड़ गया। जिसके बाद बीजेपी को इसका सीधा फायदा 2014 के लोकसभा चुनाव में मिला और उसके बाद से ही जाट बीजेपी का कोर वोटबैंक बन गया। वहीं मुस्लिम सपा और बसपा की ओर चल गए। उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय 4 फीसदी के करीब है जबकि पश्चिमी यूपी में जाकर ये आंकड़ा 20 फीसदी पर पहुंच जाता है। राकेश टिकैत की कोशिश मुस्लिम-जाट समीकरण को बनाकर बीजेपी को नुकसान पहुूंचाने की है। वहीं ओवैसी मुस्लिम वोट बैंक को साधना चाहते हैं।
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