वहां तो पीएम भी हर साल चादर भेजते हैं... अजमेर दरगाह विवाद पर बोले असदुद्दीन ओवैसी

Asaduddin Owaisi
ANI
अंकित सिंह । Nov 28 2024 6:33PM

ओवैसी ने दरगाह के इतिहास पर प्रकाश डाला और कहा कि जवाहरलाल नेहरू से लेकर पिछले प्रधानमंत्रियों ने दरगाह पर चादरें भेजी हैं। विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि यह दरगाह पिछले 800 वर्षों से वहां मौजूद है।

राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर हुए हालिया विवाद के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधा। इससे पहले, राजस्थान की एक अदालत ने अजमेर शरीफ दरगाह को भगवान शिव का मंदिर होने का दावा करने वाली हिंदू सेना की याचिका स्वीकार कर ली थी।

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उसी पर बोलते हुए, ओवैसी ने दरगाह के इतिहास पर प्रकाश डाला और कहा कि जवाहरलाल नेहरू से लेकर पिछले प्रधानमंत्रियों ने दरगाह पर चादरें भेजी हैं। विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि यह दरगाह पिछले 800 वर्षों से वहां मौजूद है। उस समय मुगलों का शासन था। बादशाह अकबर ने वहां बहुत सी चीजें बनवाईं। फिर मराठों का शासन आया बाद में अजमेर को 18,000 रुपये में अंग्रेजों को बेच दिया गया। 1911 में जब महारानी एलिज़ाबेथ वहां आईं तो उन्होंने वहां एक जलघर बनवाया। 

उन्होंने कहा कि नेहरू से लेकर कई प्रधान मंत्री दरगाह पर चादर भेजते रहे हैं। पीएम मोदी भी वहां चादर भेजते हैं। बीजेपी-आरएसएस ने मस्जिदों और दरगाहों को लेकर ये नफरत क्यों फैलाई है? एआईएमआईएम सांसद ओवैसी ने निचली अदालतों के आचरण पर भी सवाल उठाया, जिसका अर्थ है कि पूजा स्थल अधिनियम की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने सवाल किया कि निचली अदालतें पूजा स्थल अधिनियम पर सुनवाई क्यों नहीं कर रही हैं?

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ओवैसी ने पूछा कि उन्होंने (इस मामले में) अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को एक पक्ष बनाया है। मोदी सरकार उनसे क्या कहेगी? निचली अदालतें पूजा स्थल कानून पर सुनवाई क्यों नहीं कर रही हैं? आप हर जगह जाकर यही कहेंगे कि वहां मस्जिद या दरगाह की जगह कुछ और था. अगली बार कोई मुसलमान भी कहीं जाकर कहेगा कि यहां तो ये था ही नहीं। यह कहां रुकेगा? कानून के शासन के बारे में क्या? कहां जाएगा लोकतंत्र?

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