कोरोना के दो टीकों को आपात मंजूरी विज्ञान के क्षेत्र में भारत की लंबी छलांग: उपराष्ट्रपति

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अपने फेसबुक पोस्ट में नायडू ने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि कैसे ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ न केवल भारतीयों बल्कि पूरी मानवता को लाभ पहुंचा सकता है। कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने में पिछले साल देश द्वारा दिखाये गये संकल्प की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने इस साल टीके को लोगों तक पहुंचाने में भी उसी भावना से काम करने का आह्वान किया।

नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भारत में कोरोना वायरस के विरुद्ध दो टीकों को सीमित आपातकालीन उपयोग के लिए दी गयी मंजूरी को सोमवार को ‘विज्ञान के क्षेत्र में देश की लंबी छलांग’ करार दिया जो मानवता को लाभ पहुंचाएगी। अपने फेसबुक पोस्ट में नायडू ने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि कैसे ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ न केवल भारतीयों बल्कि पूरी मानवता को लाभ पहुंचा सकता है। कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने में पिछले साल देश द्वारा दिखाये गये संकल्प की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने इस साल टीके को लोगों तक पहुंचाने में भी उसी भावना से काम करने का आह्वान किया। 

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उन्होंने लिखा, ‘‘भारत इस अत्यावश्यक टीके का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की अपनी योग्यता और क्षमता का प्रदर्शन करते हुए इस जानलेवा बीमारी से मानवता की रक्षा करने में अग्रणी रहा है। भारत के स्वदेशी टीके (कोवैक्सीन) में वायरस के संपूर्ण आयाम पर आधारित कुछ अनूठी विशेषताएं हैं। यह सराहनीय उपलब्धि है और सभी संबंधित लोग/पक्ष इस दूरदर्शी, दृढ़ एवं संकल्पबद्ध प्रयास के फलीभूत होने पर प्रशंसा के पात्र हैं।’’ कोविड-19 के कारण 2020 में विनाशकारी प्रभावों का जिक्र करते हुए नायडू ने कहा कि टीके का इंतजार किया जा रहा है क्योंकि सुरक्षा और संरक्षापूर्ण जीवन में लौटने का यही एकमात्र हथियार है। उन्होंने कहा, ‘‘ हर जरूरतमंद तक टीके की खुराक पहुंचने तक जश्न इंतजार कर सकता है, लेकिन इस आशावादी पल के लिए बधाई देना संदर्भ से परे नहीं है।’’ 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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