आतंक का ब्रह्मास्त्र बना ड्रोन, भारत के खिलाफ पाकिस्तान कर रहा इसका इस्तेमाल

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अंकित सिंह । Jun 28 2021 12:37PM

आतंकवादी गतिविधियों में ड्रोन के इस्तेमाल का खुलासा उस समय हुआ था जब 13 अगस्त 2019 को अमृतसर के एक गांव में क्रैश होने के बाद ड्रोन पकड़ा गया था। उसी साल पंजाब के तरनतारन में भी पकड़े गए ड्रोन से आतंकवादी गतिविधियों का खुलासा हुआ था।

एक ओर जहां जम्मू-कश्मीर को लेकर दिल्ली में लगातार मंथन का दौर चल रहा है वही दूसरी ओर पाकिस्तान प्रेरित आतंकवादी गतिविधियों को भी हवा देने की कोशिश की जा रही है। हाल में ही शनिवार को देर रात जम्मू-कश्मीर में उच्च सुरक्षा वाले हवाई अड्डा परिषद में ड्रोन का इस्तेमाल कर दो बम गिराए गए। पाकिस्तानी आतंकवादियों ने महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया है। यह पहला मौका है जब आतंकवादी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। कहीं ना कहीं इसमें भारत की चिंता बढ़ा दी है। सुरक्षा विशेषज्ञ काफी पहले से ड्रोन हमले को लेकर आगाह करते रहे हैं। सूत्र बता रहे हैं कि पाकिस्तान आतंकवादियों को हथियार सप्लाई करने के लिए 2019 के बाद से ड्रोन के इस्तेमाल पर जोर दे रहा है। इस हमने ने इस बात को तो साबित कर ही दिया कि आतंकी अक्सर सरहद पार से हथियार और नशीले पदार्थ भेजने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे बल्कि अब हम लोग के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। फिलहाल इस हमले के बाद से सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। अंबाला, पठानकोट, अवंतीपुरा एयरवेज पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

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आतंकवादी गतिविधियों में ड्रोन के इस्तेमाल का खुलासा उस समय हुआ था जब 13 अगस्त 2019 को अमृतसर के एक गांव में क्रैश होने के बाद ड्रोन पकड़ा गया था। उसी साल पंजाब के तरनतारन में भी पकड़े गए ड्रोन से आतंकवादी गतिविधियों का खुलासा हुआ था। पिछले साल भी बीएसएफ ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में जासूसी ड्रोन को नीचे गिराया था। आज भी जम्मू के कालूचक में दो ड्रोन देखें गए। जवानों की फायरिंग के बाद दोनों ड्रोन गायब हो गए। फिलहाल इनके लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। शनिवार रात की घटना को लेकर जम्मू- कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने कहा कि वायु सेना स्टेशन पर हुआ हमला आतंकी हमला था। उन्होंने कहा कि पुलिस और अन्य एजेंसियां हमले के पीछे की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए साथ मिलकर काम कर रही हैं। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की आतंक रोधी जांच एजेंसी की एक टीम भी मौके पर पहुंच गयी है। 

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अधिकारियों ने बताया कि दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीमावर्ती इलाकों में तैनात रडार द्वारा ड्रोन का पता नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने संकेत दिया कि एक अलग रडार प्रणाली लगायी जा सकती है जो एक पक्षी के रूप में छोटे ड्रोन का भी पता लगा सकती है। अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन ने विस्फोटक सामग्री गिराई और रात के दौरान या तो सीमा पार या किसी अन्य स्थान चले गए। जम्मू हवाई अड्डे और अंतरराष्ट्रीय सीमा के बीच हवाई दूरी 14 किलोमीटर है। पुलिस महानिदेशक ने बताया कि एक तरफ अधिकारी ड्रोन हमले की जांच में जुटे हैं वहीं तब एक बड़े हमले को टाल दिया गया जब प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया और उसके पास से छह किलोग्राम आईईडी बरामद की गयी। सिंह ने बताया, ‘‘संदिग्ध को हिरासत में ले लिया गया है और उससे पूछताछ की जा रही है। इस मामले में कुछ और संदिग्धों को पकड़े जाने की संभावना है।’’ अधिकारियों ने बताया कि तीन और व्यक्तियों को पूछताछ के लिए पकड़ा गया है।

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अधिकारियों ने आईईडी के साथ हिरासत में लिए गए व्यक्ति का ब्योरा देते हुए कहा कि वह जम्मू क्षेत्र के बनिहाल इलाके का रहने वाला है और उसे एक आतंकी समूह में शामिल होने से पहले भीड़-भाड़ वाली जगह पर आईईडी लगाने का काम सौंपा गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय ने बताया कि उन्होंने वायुसेना के उपप्रमुख एयर मार्शल एच एस अरोड़ा से घटना के संबंध में बात की है। भारतीय वायुसेना ने ट्वीट किया कि जम्मू वायुसेना स्टेशन के तकनीकी क्षेत्र में शनिवार देर रात कम तीव्रता वाले दो विस्फोट होने की सूचना मिली। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या इस हमले ने सुरक्षा बंदोबस्त की पोल खोल दी है? एक बार फिर से इस हमले ने एयर डिफेंस सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए है? यह उन दावों की भी पोल खोल रहा है जिसमें अक्सर सुरक्षा एजेंसियां यह दावा करती हुई दिखाई देती है कि एंट्री ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जम्मू के सीमावर्ती इलाकों में इसे स्थापित भी किया गया है। 

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