नवाब मलिक को लेकर महाराष्ट्र में सियासी तकरार! फडणवीस ने अजित पवार को पत्र लिख जताया ऐतराज, बोले- ये ठीक नहीं
भाजपा नेता ने साफ तौर पर कहा कि सत्ता आती है और जाती है। लेकिन सत्ता से ज्यादा महत्वपूर्ण देश है। फिलहाल वह सिर्फ मेडिकल आधार पर जमानत पर बाहर हैं। अगर उन पर लगे आरोप साबित नहीं हुए तो हमें उनका स्वागत करना चाहिए।
एनसीपी विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री नवाब मलिक को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति तेज हो गई है। आज नवाब मलिक ने शीतकालीन सत्र के मौके पर विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया। इस समय हॉल में इस बात पर काफी बहस चल रही थी कि आखिर वह कहां बैठेंगे। लेकिन अंततः उन्होंने सत्तारूढ़ पीठ पर बैठने का फैसला किया। यानि कि नवाब मलिक अजित पवार गुट के साथ रहे जो महाराष्ट्र सरकार में शामिल है। अब इसी को लेकर उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार को पत्र लिखा है।
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देवेन्द्र फड़नवीस ने एनसीपी नेता अजित पवार को पत्र लिखकर एनसीपी नेता नवाब मलिक को 'महायुति' (महागठबंधन) में शामिल नहीं करने के लिए कहा। देवेन्द्र फडणवीस ने अपने पत्र को ट्विटर और फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा कि सत्ता आती है और जाती है। लेकिन सत्ता से ज्यादा महत्वपूर्ण देश है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार को लिखे पत्र में फडणवीस ने कहा, ''पूर्व मंत्री और विधानसभा सदस्य नवाब मलिक आज विधानमंडल परिसर आये और कार्यवाही में भाग लिया। विधान सभा सदस्य के रूप में उन्हें भी यह अधिकार प्राप्त है। मैं शुरू में ही स्पष्ट कर दूं कि हमारी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या शिकायत नहीं है। लेकिन, जिस तरह से उन पर आरोप लगाए गए हैं, उसे देखते हुए हमारी राय है कि उन्हें महागठबंधन में लेना उचित नहीं होगा।'
भाजपा नेता ने साफ तौर पर कहा कि सत्ता आती है और जाती है। लेकिन सत्ता से ज्यादा महत्वपूर्ण देश है। फिलहाल वह सिर्फ मेडिकल आधार पर जमानत पर बाहर हैं। अगर उन पर लगे आरोप साबित नहीं हुए तो हमें उनका स्वागत करना चाहिए। हालांकि, हमारी स्पष्ट राय है कि ऐसे आरोप लगने पर उन्हें महागठबंधन का हिस्सा बनाना ठीक नहीं है। बेशक, यह चुनना पूरी तरह हमारा अधिकार है कि किसे हमारी पार्टी में शामिल करना है। हालांकि, हर घटक दल को यह सोचना होगा कि वह महागठबंधन में बाधा नहीं बनेगी, इसलिए हम इसके खिलाफ हैं।
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देवेन्द्र फडणवीस ने आगे लिखा, ''अगर उन्हें देशद्रोहियों से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार भी कर लिया जाए, तो भी हम तत्कालीन मुख्यमंत्री और महा विकास अघाड़ी सरकार के विचारों से सहमत नहीं हो पाएंगे, जिसने उन्हें मंत्री बनाए रखा। मुझे आशा है कि आप हमारी भावनाओं पर ध्यान देंगे।”
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