बलात्कार पीड़िता बच्ची की पहचान का खुलासा करने के मामले में राहुल गांधी पर भड़का आयोग, कहा पहचान उजाकर करना अपराध

Rahul Gandhi
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एनसीपीसीआर ने एक दलित बच्ची की पहचान उजागर करने संबंधी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ट्वीट के मामले में सख्ती दिखाई है। एनसीपीसीआर ने कहा कि फोटो ट्वीट करना हर स्थिति में अपराध है। इस ट्वीट को हटाने के बाद भी अपराध बनता है। राहुल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सुनवाई हो रही है।

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि पिछले साल दुष्कर्म पीड़िता एक दलित बच्ची की पहचान उजागर करने संबंधी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कथित ट्वीट को हटाने के बारे में ट्विटर के दावे के बावजूद इस तरह का खुलासा करने का अपराध अब भी बनता है। बच्ची के माता-पिता के साथ एक तस्वीर ट्विटर पर साझा कर पीड़िता की पहचान का कथित तौर पर खुलासा करने को लेकर राहुल के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज करने के मांग करने वाली याचिका पर मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ सुनवाई कर रही है। 

सामाजिक कार्यकर्ता मकरंड सुरेश म्हादलेकर ने पिछले साल उच्च न्यायालय का रुख कर दावा किया था कि पीड़िता के माता-पिता के साथ तस्वीर साझा कर राहुल ने किशोर न्याय (देखभाल एवं बाल संरक्षण) अधिनियम, 2015 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 का उल्लंघन किया, जो यौन अपराध के मामलों में बच्चों की पहचान का खुलासा करने को निषिद्ध करता है। ट्विटर का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवय्या ने शुक्रवार को अदालत में दलील दी कि याचिका में कोई दम नहीं है क्योंकि जिस ट्वीट के बारे में बात की जा रही है उसे ‘भोगौलिक क्षेत्र में ब्लॉक’ कर दिया गया था और यह भारत में उपलब्ध नहीं है। 

उन्होंने यह भी कहा कि शुरूआत में राहुल का पूरा अकाउंट सोशल मीडिया मंच ने निलंबित कर दिया था, लेकिन बाद में इसे बहाल कर दिया। एनसीपीसीआर की ओर से पेश हुए वकील ने हालांकि दलील दी कि अपराध अब भी बनता है। उन्होंने अदालत से याचिका पर बाल अधिकार संस्था को नोटिस जारी करने का अनुरोध किया ताकि वह हलफनामा दाखिल कर सके। एनसीपीसीआर के वकील ने कहा कि हमारा मानना है कि अपराध बनता है। 

यदि अदालत मुझे नोटिस जारी करती है तो मैं हलफनामा दाखिल करूंगा। मैं याचिकाकार्ता का साथ दूंगा। याचिकाकर्ता के यह कहने पर कि उक्त ट्वीट अब भी देश के बाहर उपलब्ध है, पूवय्या ने अदालत से कहा कि ट्विटर एक विश्वव्यापी मंच है, जिसने भारतीय क्षेत्र के लिए सामग्री को तक पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया है। अदालत ने इस वक्त बाल अधिकार संस्था को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता के एक नया वकील रखने में जुटे होने पर विचार करते हुए याचिका पर सुनवाई सात दिसंबर के लिए टाल दी। 

उल्लेखनीय है कि पिछले साल एक अगस्त को नौ साल की एक दलित बच्ची की रहस्मय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उसके माता-पिता ने आरोप लगाया कि था कि उसके (बच्ची के) साथ दक्षिण पश्चिम दिल्ली के पुराने नांगल गांव स्थित श्मशान के एक पुजारी ने बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी। साथ ही, उसके शव की अंत्येष्टि कर दी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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