Delhi Airport का T1 क्षक्तिग्रस्त होने के बाद हुआ एक महीने के लिए बंद, अब की जाएगी मरम्मत

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दिल्ली एयरपोर्ट पर सुबह 8-9 बजे, दोपहर 1-2 बजे, शाम 4-5 बजे और रात 8-9 बजे पीक ऑवर्स होते हैं। एयरलाइन के एक अधिकारी ने सुझाव दिया कि लोड कम करने के लिए कुछ उड़ानों को रद्द करना पड़ सकता है।

दिल्ली हवाई अड्डे की विस्तार योजनाओं को एक बड़ा झटका लग चुका है। दिल्ली एयरपोर्ट के नव-पुनर्निर्मित टर्मिनल 1 (टी1) पर बहुप्रतीक्षित परिचालन में एक महीने से अधिक की देरी हो जाएगी। ये जानकारी इकोनॉमिक टाइम्स के माध्यम से दी गई है। यह देरी पिछले शुक्रवार की घटना के बाद हुई है, जब भारी बारिश के कारण पुराने टर्मिनल की छत गिर गई थी। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी।

नए टर्मिनल का परिचालन शुरू करने की मूल योजना जुलाई के मध्य तक थी, लेकिन अब यह पूरी तरह से संरचनात्मक जांच पर निर्भर है, जिसमें एक महीने से अधिक समय लग सकता है। एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर ईटी को बताया, "इस बीच, सभी उड़ानों को टर्मिनल 2 और 3 पर ठहराया गया है।" व्यवधान के बावजूद, दिल्ली हवाई अड्डे के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि कोई भी उड़ान विलंबित या रद्द नहीं हुई है।

अधिकारी ने बताया कि एक क्रॉस-फंक्शनल टीम सक्रिय रूप से स्थिति का आकलन कर रही है तथा यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ संपर्क बनाए हुए है। दिल्ली हवाई अड्डे के सबसे छोटे टर्मिनल, टर्मिनल 2 को शुरू में नए टर्मिनल के खुलने के बाद परिचालन फिर से शुरू करने की योजना बनाई गई थी। हालांकि, घटना के बाद, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की एक टीम छत गिरने के संभावित कारण की जांच कर रही है, जिससे छत और कई बीम भी क्षतिग्रस्त हो गए।

गौरतलब है कि देश के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे के रूप में, जो प्रतिदिन 1,100 से अधिक उड़ानों को संभालता है। दिल्ली हवाई अड्डे ने हाल ही में 8,000 करोड़ रुपये की विस्तार परियोजना पूरी की है। इस विस्तार का उद्देश्य हवाई अड्डे की क्षमता को प्रति वर्ष लगभग 100 मिलियन यात्रियों तक बढ़ाना है। इस परियोजना में टर्मिनल 1 के मौजूदा प्रस्थान और आगमन भवनों को एक नए टर्मिनल में एकीकृत करना शामिल है, जिससे इसकी क्षमता दोगुनी होकर प्रतिवर्ष 40 मिलियन यात्रियों तक हो जाएगी। घटना के मद्देनजर, इंडिगो की 72 उड़ानों को टर्मिनल 1 से स्थानांतरित कर दिया गया है, जिनमें से लगभग आधी को टर्मिनल 2 पर स्थानांतरित कर दिया गया है।

एयरलाइन अधिकारियों के अनुसार, हालांकि टर्मिनल 2 प्रति घंटे लगभग 1,400 यात्रियों को संभाल सकता है, लेकिन नई उड़ानों के आने से भीड़भाड़ बढ़ गई है। एक अधिकारी ने कहा, "हवाई अड्डे पर स्थिति अब सर्दियों के कोहरे के मौसम जैसी हो गई है, जहां पहले से तय समय से कहीं अधिक यात्रियों को संभालना पड़ रहा है।" दुर्घटना से पहले ही हवाई अड्डे ने टर्मिनल 1 से उड़ान संचालन स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।

बता दें कि इससे पहले नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने रविवार को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर बढ़ते यात्री प्रवाह के प्रबंधन पर चर्चा की। इस वृद्धि से निपटने के लिए अतिरिक्त मानवशक्ति और एक्स-रे मशीनें तैनात की गई हैं, तथा एयरलाइनों को सलाह दी गई है कि वे उड़ानों को गैर-पीक घंटों में पुनर्निर्धारित करें।

वर्तमान में, दिल्ली एयरपोर्ट पर सुबह 8-9 बजे, दोपहर 1-2 बजे, शाम 4-5 बजे और रात 8-9 बजे पीक ऑवर्स होते हैं। एयरलाइन के एक अधिकारी ने सुझाव दिया कि लोड कम करने के लिए कुछ उड़ानों को रद्द करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, "एयरलाइंस के समय पर संचालन पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि यात्रियों को विमान में चढ़ने में काफी समय लग रहा है।" अधिकारी ने बताया, "एप्रन में सीमित स्थान के कारण विमान यात्रियों को टी-2 पर उतार रहे हैं, फिर टैक्सी से उतरकर टी-3 में पार्क कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "हम टर्मिनल 3 और टर्मिनल 2 पर उड़ान परिचालन जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जबकि टर्मिनल 1 पर परिचालन अस्थायी रूप से निलंबित है।" 

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