नवनीत राणा को लेकर कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, बयान दोषपूर्ण हैं लेकिन राजद्रोह के लिए ठोस सबूत नहीं
कोर्ट की तरफ से कहा गया कि राजद्रोह केस के लिए केवल अपमानजनक बयान आधार नहीं हो सकते हैं। मुंबई की विशेष अदालत ने कहा कि सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा ने संविधान की स्वतंत्रता की सीमा को लांघा है।
महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने हनुमान चालीसा विवाद को लेकर राणा दंपत्ति को रोकने की तमाम तरह की कोशिशें की। नवनीत राणा और उनके पति रवि राणा की गिरफ्तारी भी हुई और राजद्रोह की धारा भी लगाई गई। लेकिन अब उद्धव सरकार की इन्हीं कोशिशों को मुंबई की विशेष अदालत से कड़ी फटकार मिली है। कोर्ट की तरफ से कहा गया कि राजद्रोह केस के लिए केवल अपमानजनक बयान आधार नहीं हो सकते हैं। मुंबई की विशेष अदालत ने कहा कि सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा ने संविधान की स्वतंत्रता की सीमा को लांघा है।
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कोर्ट ने ये भी कहा कि केवल अपमानजनक शब्दों की अभिव्यक्ति ही उनके खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगाने का आधार नहीं हो सकते हैं। अदालत ने ये भी कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की दंपत्ति की घोषणा का इरादा हिंसक तरीकों से सरकार गिराना नहीं था। कोर्ट ने कहा कि उनके बयान दोषपूर्ण जरूर हैं लेकिन वे इतने भी पर्याप्त नहीं है कि उन्हें राजद्रोह के आरोप के दायरे में लाया जा सके।
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राणा दंपत्ति को जमानत देते हुए कोर्ट ने ये टिप्पणी की। अदालत ने माना कि इस स्तर पर प्रथम दृष्टया राजद्रोह के तहत आरोप नहीं बनते हैं। अदालत ने कहा कि ये प्रावधान तभी लागू होंगे जब लिखित और बोले गए शब्दों में हिंसा का सहारा लेकर सार्वजनिक शांति को भंग करने या अशांति पैदा करने की प्रवृत्ति या इरादा हो।
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