हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर को हटाने को लेकर कांग्रेसी लामबंद
पिछले चुनाव से ठीक पहले सुखविन्दर सिंह सुक्खू को हटाकर कुलदीप सिंह राठौर को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी लेकिन इस दौरान राठौर सबको साथ लेकर चलने में नाकाम रहे हैं उन्होंने अपनी कुर्सी बचाये रखने के लिये न केवल वीरभद्र सिंह के समर्थकों को तरजीह दी।
शिमला।पंजाब में कांग्रेस की कलह के बाद अब हिमाचल में कांग्रेस में बगावत के सुर सुनाई देने लगे हैं मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर की कार्यशैली कांग्रेस के बडे तबके को रास नहीं आ रही है नाराज कांग्रेसी आने वाले उपचुनावों से पहले पार्टी अध्यक्ष को हटाने को लेकर लामबंद हो गये है। पिछले चुनाव से ठीक पहले सुखविन्दर सिंह सुक्खू को हटाकर कुलदीप सिंह राठौर को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी लेकिन इस दौरान राठौर सबको साथ लेकर चलने में नाकाम रहे हैं उन्होंने अपनी कुर्सी बचाये रखने के लिये न केवल वीरभद्र सिंह के समर्थकों को तरजीह दी बल्कि संगठन में चुनावों में हारे हुये नेताओं को ही संगठन में ओहदेदारियां दी। जिससे पार्टी में उनके खिलाफ असंतोष उभर रहा है आरोप लगाया जा रहा है कि राठौर रजनीश किमटा के अलावा किसी की नहीं सुनते यही वजह है कि अब कांग्रेसी राठौर को हटाने के लिये आलाकमान पर दवाब बनाने लगे हैं।
नाराज कांग्रेसियों ने इसके लिये बाकायदा एक पत्र एआईसीसी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखा है इस गुमनाम पत्र में राज्य कांग्रेस में नेतृत्व में बदलाव की मांग की गई है। प्रदेश में अगले साल चुनाव होने ह। उससे पहले मंडी लोकसभा के अलावा तीन विधानसभा क्षेत्रों में अगले माह उपचुनाव होने हैं लेकिन इससे पहले ही कांग्रेस की गुटबाजी को हवा मिलने लगी हैं।कांग्रेस पार्टी प्रमुख को संबोधित पांच पन्नों के इस पत्र में विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद राज्य कांग्रेस चल रही रस्साकशी पर चिंता जाहिर की गई है । लिखे पत्र में 55 हस्ताक्षरकर्ता हैं, जिनमें मंडी कांग्रेस इकाई के 15 पदाधिकारी भी शामिल हैं, लेकिन यह पत्र किसने लिखा इसको लेकर तमाम नेता चुप्पी साधे हैं।
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इसमें प्रदेश कांग्रेस के 11 वरिष्ठ नेताओं के नामों का भी उल्लेख है जिन्हें वर्तमान पार्टी प्रमुख के स्थान पर बागडोर दी जा सकती है। दलील दी गई है कि इन नेताओं से किसी एक को पार्टी आगे लाये व पार्टी की कमान दे । लेकिन नाम न जाहिर करने की शर्त पर यह कह रहे हैं कि जिस तरीके से पार्टी को चलाया जा रहा है उससे अगला चुनाव तो दूर अगले माह होने वाले उपचुनाव भी नहीं जीत सकते।दूसरी ओर पत्र में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मौजूदा अध्यक्ष कुलदीप राठौर पर कई आरोप लगाये गये है। राठौर पर चुनावी राजनीति में उनकी अनुभवहीनता के साथ सभी को साथ न लेकर चलने का आरोप लगाया गया है कहा गया है कि प्रदेश में राठौर की लोकप्रियता न के बराबर है इस लिहाज से उनके रहते अगला विधानसभा चुनाव नहीं जीता जा सकता है ।दिलचस्प बात यह है कि पत्र में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कुलदीप राठौर की कमियों का हवाला दिया गया है। इसमें 11 वरिष्ठ नेताओं के नामों का भी उल्लेख है जिन्हें वर्तमान पार्टी प्रमुख के स्थान पर बागडोर देने की बात कही गई है।
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पत्र में केवल कौल सिंह ठाकुर (मंडी), आशा कुमारी (चंबा), राम लाल ठाकुर (बिलासपुर), जीएस बाली (कांगड़ा), सुखविंदर सिंह सुखू, मुकेश अग्निहोत्री (ऊना), हर्षवर्धन चौहान ( सिरमौर), प्रतिभा सिंह (शिमला), सुधीर शर्मा (कांगड़ा), राजिंदर राणा (हमीरपुर) और विप्लव ठाकुर (कांगड़ा) का उल्लेख हैं। इस पत्र में राम लाल ठाकुर के मामले को छोड़कर, राठौर के विकल्प के तौर पर पेश किये गये 11 नेताओं की ताकत और कमजोरियों का सिलसिलेवार हवाला देता है।दिलचस्प यह भी है कि इस समय कांग्रेस में वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उनकी विरासत को संभालने की भी जोड तोड में कुछ नेता लगे हैं लेकिन अब इस पत्र ने नया बखेडा खडा कर दिया है।हालांकि वीरभद्र के पुत्र विक्रमादित्य कहते हैं कि उनके सहित कोई भी इस पर दावा नहीं कर सकता वर्तमान में कांग्रेस में ऐसा कोई नेता नहीं है जिसकी पहुंच राज्य के कोने-कोने में हो। इसलिए, अगला विधानसभा चुनाव कांग्रेस के जीतने की स्थिति में उनके नेता का फैसला करने का निर्णय विधायकों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। इस बीच, कांग्रेस को वीरभद्र के परिवार के मंडी लोकसभा और अर्की विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव लड़ने या बाहर रहने के फैसले का इंतजार है।
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