चंडीगढ़ के कांग्रेस नेता प्रदीप छाबड़ा ने पार्टी से दिया इस्तीफा, अध्यक्ष से था टकराव
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को संबोधित अपने त्यागपत्र में छाबड़ा ने कहा कि वह सभी पदों और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद पवन कुमार बंसल पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि उन्होंने उनके साथ कठपुतली जैसा व्यवहार किया।
चंडीगढ़। चंडीगढ़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप छाबड़ा ने शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। छाबड़ा का पार्टी की चंडीगढ़ इकाई के मौजूदा अध्यक्ष के साथ टकराव चल रहा था और वह पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन कुमार बंसल पर भी निशाना साध चुके हैं। कांग्रेस की चंडीगढ़ इकाई ने उन्हें कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए नोटिस भेजा था, जिसके एक दिन बाद छाबड़ा ने इस्तीफे की घोषणा की। छाबड़ा ने ट्वीट किया, ‘‘आज मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।’’
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छाबड़ा इस साल फरवरी तक कांग्रेस की चंडीगढ़ इकाई के अध्यक्ष थे। उनकी जगह सुभाष चावला ने ले ली थी। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘एक ईमानदार व्यक्ति कभी भी रोष और झूठ को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह जानना कि कब छोड़ना है यह समझदारी है, ऐसा कर पाना साहस है, सिर ऊंचा उठाकर चले जाना गरिमा है।’’ पिछले कुछ हफ्तों से छाबड़ा यह आरोप लगाते हुए चावला पर निशाना साध रहे थे कि उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है और पार्टी की बैठकों में नहीं बुलाया जा रहा है।
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हालांकि, मंगलवार को छाबड़ा को पार्टी की एक बैठक के लिए निमंत्रण भेजा गया लेकिन उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुए उसमें शामिल हो पाने में असमर्थता जतायी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को संबोधित अपने त्यागपत्र में छाबड़ा ने कहा कि वह सभी पदों और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद पवन कुमार बंसल पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि उन्होंने उनके साथ कठपुतली जैसा व्यवहार किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं 35 साल पहले चंडीगढ़ में एनएसयूआई के सदस्य के रूप में शामिल हुआ था क्योंकि मैं पार्टी की विचारधारा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की समावेशी, उदार और प्रगतिशील राजनीति की सोच में विश्वास करता था। मैंने चंडीगढ़ के लोगों की 15 साल तक पार्षद, वरिष्ठउप महापौर और महापौर के रूप में सेवा की।’’
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छाबड़ा ने कहा, ‘‘... मैंने इस उम्मीद में अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगा कि पार्टी मेरे योगदान का सम्मान करेगी।’’ उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कुछ चीजों ने उन्हें यह अहसास दिलाया है कि न तो मेरी सेवाओं को महत्व दिया जाता है और न ही मुझे वह सम्मान मिल रहा है जिसका हर व्यक्ति हकदार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे साथ एक कठपुतली की तरह व्यवहार किया जा रहा था जिसे पवन कुमार बंसल द्वारा नियंत्रित किया जाता था। बंसल के तानाशाही रवैये के कारण मेरे पास यह कदम उठाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था, जिसकी मैंने सपने में भी कल्पना नहीं की थी।’’ उन्होंने कहा कि उन्हें अब ऐसा महसूस हो रहा था कि उनका दम घुट रहा है। चंडीगढ़ के कांग्रेस नेताओं को गत सप्ताह लिखे खुले पत्र में छाबड़ा ने आरोप लगाया था कि जो लोग तीन दशक से अधिक समय से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं उन्हें पार्टी की शहर इकाई द्वारा हाल में जारी पदाधिकारियों की सूची में नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कांग्रेस की नगर इकाई द्वारा गठित कमेटी में पदाधिकारी बनाए गए लोगों को बधाई देते हुए कहा, ‘‘चंडीगढ़ कांग्रेस नेतृत्व ने आज कांग्रेस मुक्त चंडीगढ़ के लिए एक नई पारी की शुरुआत की है।’’ छाबड़ा ने यह भी सवाल किया कि नवगठित कमेटी में महिलाओं को 30 प्रतिशत प्रतिनिधित्व क्यों नहीं दिया गया।
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