शिवसेना एवं राकांपा में टूट के कारण कांग्रेस विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी : देवड़ा

milind deora
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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि शरद पवार द्वारा स्थापित राकांपा और शिवसेना के बड़े हिस्से के भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का दामन थामने से महाराष्ट्र में कांग्रेस की संभावनाएं बढ़ेंगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है जिसने अपने कुनबे को बरकरार रखा है। यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अब विपक्ष की ओर से लड़ाई का नेतृत्व करेगी। (महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के लिए)सीट-बंटवारे और गठबंधनपर बातचीत इस तरह से की जाएगी कि मेज पर सभी को बराबर सीटें मिलें।

कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने बुधवार को कहा कि शिवसेना और और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में विभाजन की वजह से उनकी पार्टी महाराष्ट्र में सबसे बड़ी विपक्षी ताकत के तौर पर उभरी है और वह अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगियों के खिलाफ लड़ाई की अगुवाई करेगी। देवड़ा ने कहा कि कोई भी नहीं सोच सकता था कि दशकों से वैचारिक तौर पर प्रतिद्वंद्वी रहे कांग्रेस और शिवसेना (अविभाजित) एक साथ आएंगे, लेकिन 2019 में ऐसा हुआ। उनका गठबंधन कांग्रेस के लिए कुछ मौके और चुनौतियां लेकर आया। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना (अविभाजित) राकांपा और कांग्रेस ने महा विकास आघड़ी (एमवीए) नाम से गठबंधन बनाकर सरकार बनाई थी जो पिछले साल गिर गई थी।

उन्होंने कहा कि अवसर यह था कि कांग्रेस सत्ता में वापस आ गई थी और चुनौती यह थी कि क्या भाजपा के खिलाफ राजनीति का मुख्य ध्रुव कांग्रेस होगी? दक्षिण मुंबई से लोकसभा के पूर्व सदस्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, “ (कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष) राहुल गांधी की पदयात्रा (भारत जोड़ो यात्रा) और हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है। हम पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव आत्मविश्वास के साथ लड़ रहे हैं... कुछ राज्य ऐसे हैं जहां कांग्रेस की जीत होगी।” देवड़ा (46) ने कहा कि जब कोई राजनीतिक दल मुंबई में चुनावी रूप से अच्छा प्रदर्शन करता है, तो वह केंद्र में सरकार बनाता है।

उन्होंने कहा, “ मेरी राय में, मुंबई भारत में राजनीति का प्रतिबिंब है। हमें याद रखना चाहिए कि जब भी कोई पार्टी मुंबई में अच्छा प्रदर्शन करती है, तो वह अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय स्तर पर सरकार बनाती है। हमने ऐसा 1999 (भाजपा), 2004, 2009 (कांग्रेस), 2014 और 2019 (भाजपा) में होते देखा है।” पूर्व सांसद ने स्वीकार किया कि कांग्रेस ने मुंबई में अपनी जमीन खो दी है और इसका एक कारण यह है कि पिछले चार से पांच वर्षों में महाराष्ट्र की राजनीति काफी हद तक बाधित हुई है। यह वही अवधि है जब कुछ दलों में विभाजन हुआ और राजनीतिक निष्ठाएं बदली और वैचारिक तौर पर प्रतिद्वंद्वी दलों के बीच गठबंधन हुआ।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि शरद पवार द्वारा स्थापित राकांपा और शिवसेना के बड़े हिस्से के भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का दामन थामने से महाराष्ट्र में कांग्रेस की संभावनाएं बढ़ेंगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है जिसने अपने कुनबे को बरकरार रखा है। यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अब विपक्ष की ओर से लड़ाई का नेतृत्व करेगी। (महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के लिए)सीट-बंटवारे और गठबंधनपर बातचीत इस तरह से की जाएगी कि मेज पर सभी को बराबर सीटें मिलें।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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