एक्साइज पॉलिसी को लेकर उपराज्यपाल और सरकार के बीच टकराव, सिसोदिया बोले- दुकानें खुलने से पहले LG ने बदला स्टैंड

Manish Sisodia
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उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि नई एक्साइज पॉलिसी को मंजूरी देने से पहले उपराज्यपाल साहब ने इसे ध्यान से पढ़ा और इसे लेकर कई महत्वपूर्ण और बड़े सुझाव दिए। जिसके बाद उनके सुझावों पर अमल करते हुए कैबिनेट ने पॉलिसी में बदलाव किया और जून में उपराज्यपाल के पास पॉलिसी को भेजा।

नयी दिल्ली। उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया ने शनिवार को नई एक्साइज पॉलिसी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पास पॉलिसी में अप्रत्यक्ष तौर पर फेरबदल किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने मई, 2021 में नई एक्साइज पॉलिसी को पास किया था। उसमें हमने लिखा था कि पहले की पॉलिसी में 849 दुकानें थी। ऐसे में इस पॉलिसी में लिखा गया था कि दिल्ली में दुकानों की संख्या को बढ़ाया नहीं जाएगा बल्कि 849 दुकानें ही रहेंगी। पुरानी पॉलिसी में दुकानें बेढ़ंगे तरीके से बंटी हुई थी। इसलिए नई एक्साइज पॉलिसी में कहा गया कि दुकानों को बराबरी से बांटा गया।

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उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नई एक्साइज पॉलिसी को मंजूरी देने से पहले उपराज्यपाल साहब ने इसे ध्यान से पढ़ा और इसे लेकर कई महत्वपूर्ण और बड़े सुझाव दिए। जिसके बाद उनके सुझावों पर अमल करते हुए कैबिनेट ने पॉलिसी में बदलाव किया और जून में उपराज्यपाल के पास पॉलिसी को भेजा। जिसके बाद उपराज्यपाल साहब ने पॉलिसी को मंजूरी दी।

उन्होंने कहा कि एक्साइज पॉलिसी को लेकर उपराज्यपाल ने सभी सुझाव माने लेकिन दुकानें खुलने की फाइल उपराज्यपाल के पास पहुंची तो फिर निर्णय बदल दिया गया। नवंबर के पहले सप्ताह में उपराज्यपाल के पास प्रस्ताव भेजा गया क्योंकि 17 नवंबर को दुकानें खुलने थी लेकिन 15 नवंबर को उपराज्यपाल ने एक नई शर्त लगा दी कि अवैध कालोनियों में दुकान खोलने के लिए डीडीए और एमसीडी की मंजूरी लेनी चाहिए।

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मनीष सिसोदिया ने कहा कि अवैध कालोनियों में एक्साइज पॉलिसी के तहत हमेशा दिल्ली में दुकानें खुलती रही हैं। 2015 से पहले की मैंने फाइल देखी हैं। हर साल उपराज्यपाल के पास अवैध कालोनियों में दुकानें खोलने के लिए फाइलें गई हैं तो उसे मंजूरी मिलती रही है। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल ने अचानक ही अपना स्टैंड चेंज किया। जिसकी वजह से अवैध कालोनियों में दुकान नहीं खुल पाईं और पुरानी पॉलिसी के हिसाब से जो दुकानें खुल रही थीं वो भी नहीं खुल पाई और मामला कोर्ट पहुंचा।

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