Mizoram Election: मिजोरम चुनाव में सीएम जोरामथंगा फिर आजमाएंगे अपनी किस्मत, त्रिकोणीय मुकाबले के भी आसार
इस साल के अंत तक आगामी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में मिजोरम में होने वाले विधानसभा चुनाव बड़े दिलचस्प होने वाले हैं। मिजो नेशनल फ्रंट के लोकप्रिय नेता और राज्य के सीएम जोरामथंगा लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुनावी मैदान में उतरेंगे।
इस साल के अंत तक आगामी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में मिजोरम में होने वाले विधानसभा चुनाव बड़े दिलचस्प होने वाले हैं। मिजो नेशनल फ्रंट के लोकप्रिय नेता और राज्य के सीएम जोरामथंगा लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुनावी मैदान में उतरेंगे। सीएम जोरामथंगा को मुख्य प्रतिद्वंदी जोराम पीपल्स फ्रंट के नेता लालदुहोमा और कांग्रेस पार्टी से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है।
बता दें कि इससे पहले वर्ष 1998 से 2008 के बीच भी सीएम जोरामथंगा प्रदेश के मुखिया रह चुके हैं। साल 2008 से 2018 के बीच राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार रही थी। साल 1984 से लेकर अभ तक मिजोरम में कांग्रेस और मिज़ो नेशनल फ्रंट के बीच टक्कर होती है। लेकिन इस बार त्रिकोणीय मुकाबले में जोराम पीपल्स फ्रंट के नेता लालदुहोमा भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। उनकी पार्टी ने साल 2018 के विधानसभा चुनावों में 40 में से 8 सीट जीत ली थी।
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एक-एक वोट अहम
सियासत एक ऐसी चीज है, जिसमें लोकतंत्र में एक-एक वोट का अपना ही महत्व होता है। हालांकि इस बात को कांग्रेस के कद्दावर नेता आर. एल. पियानमाविया से अच्छे से कौन जानता होगा। साल 2008 और साल 2013 के चुनावों में विजयरथ पर सवार पियानमाविया साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जमीन पर आ गिरे थे।
3 वोटों से हार गए थे कांग्रेस के दिग्गज नेता
मिजोरम कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले आर. एल. पियानमाविया के साल 2018 के विधानसभा चुनावों में जीतने की प्रबल संभावना थी। उस दौरान तुईवॉल विधानसभा क्षेत्र के महारथी के सामने मिजो नेशनल फ्रंद के लालछंदमा राल्टे चुनावी मैदान में उतरे थे। दोनों नेताओं के बीच कड़ा मुकाबला होगा। लेकिन चुनाव के नतीजों ने सभी के होश उड़ा दिए। जहां पियानमाविया को 5,204 वोट मिले थे, तो वहीं लालछंदमा के हिस्से 5207 वोट आए थे। लालछंदमा ने तीन वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।
2018 में कांग्रेस सत्ता से हुई बेदखल
साल 2018 के चुनाव ना सिर्फ पियानमाविया के लिए बल्कि उनकी पार्टी कांग्रेस के लिए भी दुस्वप्न साबित हुए थे। इस दौरान कांग्रेस के खाते में सिर्फ 5 सीटें आई थीं। इसलिए कांग्रेस को मिजोरम की सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। वहीं मिजो नेशनल फ्रंट का प्रदर्शन शानदार रहा और एक बार फिर जोरामथांगा सूबे के मुख्यमंत्री बने थे। इस दौरान ना सिर्फ कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा बल्कि यह तीसरी पार्टी बन गई। दूसरे नंबर पर लालदुहावमा की पार्टी जोराम पीपुल्स मूवमेंट बनीं।
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