Anand Mohan की रिहाई पर बोले मुख्य सचिव, इसपर नहीं होनी चाहिए राजनीति, ओवैसी ने उठाए सवाल

Anand Mohan
ANI
अंकित सिंह । Apr 27 2023 2:48PM

आमिर सुबहानी ने साफ तौर पर कहा कि आनंद मोहन की रिहाई को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें (आनंद मोहन को) रिहा करने का फैसला पूरे रिकॉर्ड और रिपोर्ट को देखने के बाद कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत लिया गया है।

पूर्व सांसद और हत्या के दोषी आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार की राजनीति गर्म है। इसे लेकर कुछ लोग बिहार की नीतीश कुमार के नतृत्व वाली सरकार पर सवाल भी उठा रहे हैं। इन सब के बीच बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी का बड़ा बयान सामने आया है। आमिर सुबहानी ने साफ तौर पर कहा कि आनंद मोहन की रिहाई को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें (आनंद मोहन को) रिहा करने का फैसला पूरे रिकॉर्ड और रिपोर्ट को देखने के बाद कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत लिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने काह कि मुझे लगता है कि इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। 

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दूसरी ओर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नीतीश कुमार पूरे देश में विपक्षी एकता के नाम पर घुम रहे हैं और खुद को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप 2024 में दलित समुदाय को बोलेंगे कि आपने एक दलित अफसर की हत्या करने वाले व्यक्ति को छोड़ दिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि IAS अफसर जी कृष्णैया की मॉब द्वारा हत्या कर दी गई थी और आज बिहार सरकार ने जो फैसला लिया है उससे उनकी दोबारा हत्या की जा रही है। CM नीतीश कुमार और RJD नेता तेजस्वी यादव यह भूल रहे हैं कि उस समय किसकी सरकार थी, क्या लालू यादव उस समय जी कृष्णैया की पत्नी से मिले थे? आखिर क्या वजह है कि एक आदमी को छोड़ने के लिए आप कानून में संशोधन कर रहे हैं?

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वहीं, आनंद मोहन से संबंधित संशोधन के खिलाफ पटना में जनहित याचिका दायर की गई है। एडवोकेट और जनहित याचिकाकर्ता अलका वर्मा ने कहा कि इसका प्रयोजन क्या है? ऐसा कोई भी संशोधन जनहित में होना चाहिए, ये जनहित में नहीं है। यह मनमानी कार्रवाई है। यह संशोधन मनमाना है और यह अनुचित है। गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को बृहस्पतिवार सुबह सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया। मोहन की रिहाई ‘जेल सजा क्षमादान आदेश’ के तहत हुई है। हाल में बिहार सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव किया था, जिससे मोहन समेत 27 अभियुक्तों की समयपूर्व रिहाई का मार्ग प्रशस्त हुआ। गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में मोहन उम्रकैद की सजा काट रहे थे।

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