Chandrayaan-3 चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त को इस समय करेगा लैंड, ISRO ने बताया समय
इसी के साथ भारत इतिहास रच देगा। चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बनने जा रहा है। ये कारनामा अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन कर सके है। चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर अब खुद ही आगे की यात्रा कर रहा है।
चंद्रयान 3 मिशन को लेकर बड़ी जानकारी इसरो की ओर से साझा की गई है। इसरो द्वारा दी गई जानकारी मिलने के बाद हर भारतीय की नजर अब उत्सुकता के साथ चंद्रयान 3 को देख रही है। पूरा भारत चंद्रयान 3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग करने का इंतजार कर रहा है।
अबतक के अपडेट के मुताबिक चंद्रयान 3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल रविवार 20 अगस्त को डीबूस्टिंग कर चंद्रमा के करीब पहुंचा है। विक्रम लैंडर और रोवर को अब अगले पड़ाव का इंतजार है। दोनों ही 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाले है। चंद्रयान 3 का लैंडर मॉड्यूल चांद की सतह से 25 किलोमीटर की दूरी पर चांद के चक्कर लगा रहा है। इस संबंध में अब इसरो ने बड़ा अपडेट शेयर किया है जिसका पूरा भारत इंतजार कर रहा था। इसरो ने बताया कि अब 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर लैंडर शाम 6:04 बजे चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है।
इसी के साथ भारत इतिहास रच देगा। चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बनने जा रहा है। ये कारनामा अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन कर सके है। चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर अब खुद ही आगे की यात्रा कर रहा है। चंद्रयान 3 का लैंडर मॉड्यूल डीबूस्टिंग से गुजरते हुए चंद्रमा की थोड़ी निचली कक्षा में 18 अगस्त को पहुंचा था। इसके बाद चंद्रयान 3 का दूसरा डीबूस्टिंग ऑपरेशन 20 अगस्त को रात में हुआ था।
चंद्रयान 3 की 14 जुलाई को हुई थी लैंडिंग
चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल और प्रणोदन मॉड्यूल 14 जुलाई को मिशन की शुरुआत होने के 35 दिन बाद बृहस्पतिवार को सफलतापूर्वक अलग हो गए थे। इसरो के सूत्रों ने पूर्व में कहा था कि प्रणोदन मॉड्यूल से अलग हुए लैंडर को एक ऐसी कक्षा में लाने के लिए ‘डीबूस्ट’ (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजारा जाएगा, जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से कक्षा का निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किमी की दूरी पर होगा, जहां से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास किया जाएगा।
चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल को अलग करने की कवायद से पहले इसे छह, नौ, 14 और 16 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में नीचे लाने की कवायद की गई, ताकि यह चंद्रमा की सतह के नजदीक आ सके। अब 23 अगस्त को चांद पर इसकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने का प्रयास किया जाएगा। इससे पहले, 14 जुलाई के प्रक्षेपण के बाद पिछले तीन हफ्तों में पांच से अधिक प्रक्रियाओं में इसरो ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी से दूर आगे की कक्षाओं में बढ़ाया था। गत एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण कवायद में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से सफलतापूर्वक चंद्रमा की ओर भेजा गया।
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