Chandrayaan-3 Launch Updates: आ गई वो घड़ी, काउंटडाउन शुरू, प्रक्षेपण 14 जुलाई को ही क्यों?
चंद्रयान 24-25 अगस्त को चांद पर उतरेगा। अगले 14 दिन रोवर लैंडर के चारों ओर 360 डिग्री में घूमेगा और कई परीक्षण करेगा। रोवर के चलने से पहिए के जो निशान चंद्रमा की सतह पर बनेंगे, उनकी तस्वीर भी लैंडर भेजेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) शुक्रवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एलवीएम3 रॉकेट पर चंद्रयान 3 अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के साथ चंद्रमा की सतह पर एक रोबोटिक लैंडर को सॉफ्ट टचडाउन करेगा। अगर सॉफ्ट-लैंडिंग सफल रही तो भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। भारत का ऐतिहासिक चंद्रयान-3 मिशन शुक्रवार को चंद्रमा की तरफ उड़ान भरेगा। चंद्रयान 24-25 अगस्त को चांद पर उतरेगा। अगले 14 दिन रोवर लैंडर के चारों ओर 360 डिग्री में घूमेगा और कई परीक्षण करेगा। रोवर के चलने से पहिए के जो निशान चंद्रमा की सतह पर बनेंगे, उनकी तस्वीर भी लैंडर भेजेगा।
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प्रक्षेपण 14 जुलाई को ही क्यों?
साल के इस समय पृथ्वी व चंद्रमा बाकी समय की तुलना में करीब होंगे। चंद्रयान-2 भी इसी वजह से 22 जुलाई 2019 को प्रक्षेपित हुआ था।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ही क्यों उतर रहा चंद्रयान-3
भारत के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को उतारने का निर्णय लिया है क्योंकि यहां उत्तरी ध्रुव के मुकाबले पानी मिलने की ज्यादा संभावना है।
चंद्रयान-3 मिशन क्या है?
चंद्रयान-3 अपने पूर्ववर्ती चंद्रयान-2 के नष्ट होने के बाद भारत द्वारा शुरू किया गया तीसरा चंद्र मिशन है। मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और रोविंग में भारत की क्षमता का प्रदर्शन करना है। अंतरिक्ष यान में एक प्रणोदन मॉड्यूल, एक लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसे चंद्र सतह के इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। मिशन का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक एक सॉफ्ट लैंडिंग करना और एक चंद्र दिवस या 14 पृथ्वी दिनों की अवधि के लिए वैज्ञानिक अन्वेषण के लिए रोवर को तैनात करना है।
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