कांग्रेस के लिए चुनौतियां नहीं हो रहीं कम, चुनावी हार के जी-23 के नेता बढ़ा सकते हैं टेंशन
कांग्रेस कार्य समितिमें शामिल जी 23 के नेता कार्य समिति की बैठक में चुनावी हार का मुद्दा और पार्टी संगठन में जरूरी बदलाव और जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपनी पुरानी मांग उठा सकते हैं। हालांकि जी-23 के नेता जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहते हैं। लेकिन इन्हीं नेताओं की ओर से यह भी कह दिया गया है कि पार्टी अब और इस तरह से नहीं चल सकती है, कोई ना कोई कठोर कदम उठाना ही होगा।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद एक बार फिर से कांग्रेस के लिए मुश्किलें शुरू हो गई हैं। चुनावी राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बाद एक बार फिर से जी-23 के नेता सक्रिय हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर जी-23 के नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, भूपिंदर सिंह हुड्डा और कुछ अन्य नेता शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में जी-23 के नेताओं ने कांग्रेस की करारी हार पर गहरी चिंता व्यक्त की। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस कार्य समितिमें शामिल जी 23 के नेता कार्य समिति की बैठक में चुनावी हार का मुद्दा और पार्टी संगठन में जरूरी बदलाव और जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपनी पुरानी मांग उठा सकते हैं। हालांकि जी-23 के नेता जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहते हैं। लेकिन इन्हीं नेताओं की ओर से यह भी कह दिया गया है कि पार्टी अब और इस तरह से नहीं चल सकती है, कोई ना कोई कठोर कदम उठाना ही होगा।
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आपको बता दें कि कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह में शामिल नेताओं ने अगस्त, 2020 में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस में सक्रिय अध्यक्ष और संगठन में आमूल-चूल परिवर्तन की मांग की थी। जी-23 के नेता वर्तमान में कांग्रेस की रणनीतियों से काफी खफा चल रहे हैं। जी-23 के नेताओं में शामिल मनीष तिवारी से जब कांग्रेस के प्रदर्शन पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर कह दिया कि यह सवाल राहुल गांधी से किया जाना चाहिए। कांग्रेस के इस प्रदर्शन पर वही जवाब दे सकते हैं। जाहिर सी बात है कि मनीष तिवारी अब भी कांग्रेस की नीतियों से काफी खफा है। आपको बता दें कि जब पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा रहा था तो मनीष तिवारी इसके पक्ष में नहीं थे। इसके साथ ही मनीष तिवारी को पंजाब में स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं किया गया जबकि वह पंजाब से सांसद हैं।
सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि राहुल के बाद प्रियंका गांधी भी कांग्रेस के लिए कोई खास चमत्कार नहीं कर सकीं। उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में तो कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा है। पंजाब में भी पार्टी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा है। पराजय और अंदरूनी कलह से पहले ही कमजोर हो चुकी कांग्रेस के लिए अब उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों से चुनौतियां बढ़ गई हैं। अब वह एक ऐसे मोड़ की तरफ बढ़ती नजर आ रही है जहां उसके सामने राष्ट्रीय स्तर पर विकल्प होने की प्रासंगिकता गंवाने का खतरा पैदा हो गया है। यही नहीं, इन चुनाव परिणामों से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खाते में चुनावी नाकामी का एक और अध्याय जुड़ गया तो पहली बार सक्रिय नेता के तौर पर जनता के बीच पहुंची प्रियंका गांधी वाद्रा का जादू भी बेअसर रहा। कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती राष्ट्रीय स्तर अपनी प्रासंगिकता खोने की है।
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इस चुनावी हार के बाद ये सवाल पुरजोर ढंग से उठेगा कि क्या 2024 में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस ही राष्ट्रीय विकल्प होगी। इन पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की छवि के लिए भी धक्का माना जा रहा है। राहुल गांधी ने मुख्य रूप से पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाला था तो उत्तर प्रदेश की पार्टी प्रभारी प्रियंका ने राज्य में चुनाव अभियान की पूरी कमान संभाल रखी थी। राहुल ने 2019 के लोकसभा में चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद भी वह पार्टी के प्रमुख चेहरा और चुनाव अभियान के नेता के तौर पर अपनी भूमिका निभाते रहे तथा इस दौरान कांग्रेस को कई विफलताएं और कुछ सफतलाएं मिलीं। लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी ने ठीक-ठाक प्रदर्शन किया। महाराष्ट्र और झारखंड में वह गठबंधन सरकार का हिस्सा भी बनी। साल 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। बिहार विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटें मिलीं, जबकि वह राजद के साथ गठबंधन में 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। पिछले साल असम, केरल, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
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