कर्नाटक की यात्रा पर निकलेंगे बीएस येदियुरप्पा, आखिर भाजपा आलाकमान को क्या संदेश देना चाहते हैं?
विशेषज्ञ मानते हैं कि अपनी इस यात्रा के जरिए येदियुरप्पा आलाकमान को बड़ा संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही साथ वह अब भी अपने अंदर की राजनीतिक सक्रियता को दिखाने के प्रयास में होंगे।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद एक बार फिर से बीएस येदियुरप्पा सक्रिय राजनीति में वापसी करने के संकेत दे रहै हैं। यही कारण है कि वह कर्नाटक की यात्रा पर निकलने वाले हैं। भले ही इसे हम एक यात्रा समझे लेकिन विशेषज्ञ इसे साधारण यात्रा नहीं मान रहे। माना जा रहा है कि येदियुरप्पा के इस यात्रा के कई मायने हैं। येदियुरप्पा के इस यात्रा पर भाजपा की भी पैनी नजर रहेगी। सबसे खास बात तो यह है कि यात्रा ऐसे समय में निकल रही है जब बीएस येदुरप्पा के उत्तराधिकारी के रूप में मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने अपनी अलग छाप छोड़ने शुरू कर दी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अपनी इस यात्रा के जरिए येदियुरप्पा आलाकमान को बड़ा संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही साथ वह अब भी अपने अंदर की राजनीतिक सक्रियता को दिखाने के प्रयास में होंगे।
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यह है कारण !
येदियुरप्पा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद छुट्टियों पर चले गए थे। लेकिन वापसी के बाद वह अब वह राज्य की यात्रा पर निकल रहे हैं। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए आलाकमान को येदियुरप्पा को मनाना पड़ा था। येदियुरप्पा को इस्तीफा दिलवाने के लिए आलाकमान के पसीने छूट गए थे। कई शर्तों के बाद आखिरकार येदियुरप्पा ने इस्तीफा दिया। लेकिन माना जा रहा है कि अब तक येदियुरप्पा से जो वायदे किए गए थे उसे पूरा नहीं किया गया है और यही कारण है कि अब वह राज्य के दौरे पर निकल कर भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि फिलहाल येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई से नाराज नहीं है। बासवराज बोम्मई की गिनती येदुरप्पा के सबसे विश्वसनीय लोगों में से होती है। बासवराज बोम्मई ने भी गंभीरता दिखाते हुए येदियुरप्पा सरकार के कोई भी फैसले को नहीं पलटा। बोम्मई लगातार येदियुरप्पा को अपनी सरकार का अभिभावक भी मानते हैं। बावजूद इसके येदियुरप्पा का कर्नाटक यात्रा अपने आप में कई संकेत दे रहा है।
नहीं बनना चाहते राज्यपाल
सूत्रों की मानें तो भाजपा आलाकमान की ओर से येदियुरप्पा को राज्यपाल बनाने का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन वह राजी नहीं हुए। भाजपा आलाकमान यह चाहता है कि राज्य में दो-दो पावर सेंटर पार्टी के लिए ठीक नहीं होगा। ऐसे में उन्हें राज्य से दूर करने की कोशिश की गई। इसके लिए खुद येदियुरप्पा के विश्वसनीय बोम्मई को जिम्मेदारी दी गई लेकिन अब तक राज्यपाल बनने के लिए येदियुरप्पा राजी नहीं हुए हैं।
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भाजपा की चिंता
भाजपा येदियुरप्पा के इस यात्रा को आम यात्रा की तरह नहीं देख रही है। येदियुरप्पा ने भले ही इसे व्यक्तिगत यात्रा कहां हो लेकिन पार्टी कई मायनों में इसे अहम मान रही है। माना जा रहा है कि इस यात्रा के जरिए येदियुरप्पा सरकार और संगठन दोनों को धर्म संकट में डाल सकते हैं। भाजपा को पुराने दिनों का भी डर सता रहा है। जब 2011 में येदियुरप्पा को इस्तीफा देने के लिए कहा गया था और उन्हें इस्तीफा देना भी पड़ था। उसके बाद वह सहज नहीं थे और बाद में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद पार्टी को कर्नाटक में बहुत नुकसान उठाना पड़ा था। हालांकि येदियुरप्पा ने 2014 में भाजपा में वापसी कर ली थी।
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