भाजपा का सवाल, तृणमूल को समर्थन देने वाले तेजस्वी और अन्य नेता बाहरी क्यों नहीं हैं?
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रभावशाली मुस्लिम मौलवी अब्बास सिद्दीकी नीत पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) जैसी विभाजनकारी ताकतें इसलिए उभर कर सामने आई हैं क्योंकि तृणमूल कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है।
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भट्टाचार्य ने कहा कि यादव ने सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात कर बिहार के मूल निवासियों से तृणमूल को वोट देने के लिए कहा जो आचार संहिता का उल्लंघन है। हालांकि भट्टाचार्य ने सीधे तौर पर यादव का नाम नहीं लेते हुए उन्हें “जेल में बंद राजद नेता और पूर्व मुख्यमंत्री का पुत्र ” कह कर संबोधित किया। उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हम सुन रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के एक नेता भी तृणमूल को नैतिक समर्थन देने का संकल्प लेने के बाद राज्य में आ रहे हैं। इसी तरह से राकांपा नेता शरद पवार के भी आने की उम्मीद है।” ‘उत्तर प्रदेश के नेता’ से भट्टाचार्य का इशारा समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की ओर था।
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उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री से एक साधारण सा सवाल पूछना चाहता हूं। आपने हमारे नेता नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जे पी नड्डा को बाहरी कहा। तो ये नेता कौन हैं?” भट्टाचार्य ने कहा, “देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को आपकी पार्टी द्वारा बाहरी बताने का तुच्छ विमर्श अब समाप्त हो चुका है।” उन्होंने कहा कि बंगाल में भाजपा के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए आने वाले किसी भी गैर भाजपा नेता का स्वागत है लेकिन सवाल है कि उन्हें भी बाहरी क्यों नहीं कहा जाना चाहिए।
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