BJP ने पूर्वांचल के कद्दावर नेता यशवंत सिंह का निष्कासन खत्म किया
पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह का चुनाव से पहले निष्कासन रद्द करना बीजेपी की बड़ी रणनीति का हिस्सा है, वरना पार्टी ने एमएलसी चुनाव में अनुशासनहीनता में यशवंत सिंह को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया था।
लखनऊ। गुजरते समय के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी अब चुनावी गरमी धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। बीजेपी को पूर्वांचल से काफी उम्मीद है। इस लिये वह वह लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रही है। इसी कड़ी में बीजेपी के नाराज नेताओं को मनाया जा रहा है तो पार्टी छोड़ चुके दिग्गज नेताओं को भी पुनः साथ लाया जा रहा है। इसी कड़ी में बीजेपी ने कभी पूर्वांचल के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाने वाले विधान परिषद सदस्य यशवंत की पुनः भारतीय जनता पार्टी में वापसी हो गई है। 29 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने पत्र जारी कर उनके निष्कासन की समाप्ति की घोषणा की है।
पूर्वांचल की सबसे चर्चित सीटों में से एक घोसी लोकसभा चुनाव के एक माह पहले यशवंत का निष्कासन समाप्त करना एक बड़ी राजनैतिक कूटनीति का चर्चा है। यशवंत सिंह इससे पहले विधानसभा तथा विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं।
इसे भी पढ़ें: कांग्रेस के साथ इंदौर में हो गया सूरत वाला खेल, पार्टी उम्मीदवार ने वापस लिया नामांकन, विजयवर्गीय ने किया स्वागत
बताते चले प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद यशवंत सिंह ने योगी आदित्य नाथ के लिए अपनी सीट खाली कर दी थी। यशवंत सिंह को विगत एमएलसी के दौरान अनुशासनहिनता को लेकर पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। जहां 29 अप्रैल को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने इनका निष्कासन खत्म कर दिया। इस बात की पुष्टि भाजपा जिलाध्यक्ष नूपुर अग्रवाल ने की। बताया की प्रदेश नेतृत्व से निर्देश प्राप्त हुआ जिसमे बताया गया की अब यशवंत सिंह पुनः भाजपा में सम्मिलित हो गए हैं।
पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह का चुनाव से पहले निष्कासन रद्द करना बीजेपी की बड़ी रणनीति का हिस्सा है, वरना पार्टी ने एमएलसी चुनाव में अनुशासनहीनता में यशवंत सिंह को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया था। इसके पीछे कयास है कि इस कदम से पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में वापसी कर सर्वणों की नाराजगी काफी हद तक दूर करने में सफल होगी। वहीं राजनीति गलियारों में चर्चा थी कि पार्टी से बाहर चल यशवंत सिंह किसी दूसरे राजनैतिक पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर सकते थे, लेकिन पार्टी में वापसी ने इस सभी कयासों पर लगाम लगा दिया है। जिसका लोकसभा में पार्टी को असर दिखेगा।
अन्य न्यूज़