सत्ता में वापसी कर भाजपा ने उत्तराखंड में रचा इतिहास, 47 सीटों पर फहराई विजय पताका

BJP

विधानसभा चुनाव के बृहस्पतिवार को घोषित परिणामों में 70 में से 47 सीटों पर विजय पताका फहराने के साथ ही भाजपा ने बहुमत के 36 के जादुई आंकड़े को आसानी से पार करते हुए सत्ता की दौड़ में फिर बाजी मार ली।

देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के रथ पर सवार होकर भाजपा ने बृहस्पतिवार को दो तिहाई बहुमत के साथ उत्तराखंड में सत्ता में वापसी कर एक नया इतिहास रच दिया। विधानसभा चुनाव के बृहस्पतिवार को घोषित परिणामों में 70 में से 47 सीटों पर विजय पताका फहराने के साथ ही भाजपा ने बहुमत के 36 के जादुई आंकड़े को आसानी से पार करते हुए सत्ता की दौड़ में फिर बाजी मार ली। वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के बाद अस्तित्व में आए इस प्रदेश के चुनावी इतिहास में किसी भी पार्टी ने लगातार दो बार सरकार नहीं बनायी है और भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता में आती रही हैं।

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हालांकि, इस बार अपने लिए 60 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित करने वाली भाजपा अपने पुराने प्रदर्शन को नहीं दोहरा पायी। पिछले चुनाव में भाजपा ने 70 में से 57 पर जीत हासिल कर जबरदस्त जनादेश हासिल किया था। सत्ता विरोधी लहर के दम पर सरकार बनाने का सपना देख रही कांग्रेस का प्रदर्शन भी आशानुरूप नहीं रहा और उसके मुख्यमंत्री पद के अघोषित दावेदार हरीश रावत सहित कई दिग्गज उम्मीदवार चुनाव हार गए। हालांकि, उसने 2017 के अपने पिछले प्रदर्शन में कुछ सुधार करते हुए 18 सीटें अपने नाम कीं जबकि एक अन्य पर उसका उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए है। पिछले चुनाव में कांग्रेस महज 11 सीटों पर सिमट गयी थी।

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प्रदेश में दो-दो सीटें बहुजन समाज पार्टी तथा निर्दलीय के खाते में गयी हैं। इस बीच, चुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अपनी विधानसभा सीट खटीमा को बरकरार रखने में विफल रहने से, हालांकि, भाजपा की जीत का मजा किरकिरा हो गया। धामी कांग्रेस के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष भुवन चंद्र कापड़ी से 6,579 मतों के अंतर से पराजित हो गए। धामी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी यतीश्वरानंद हरिद्वार ग्रामीण सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा रावत से हार गए। अनुपमा कांग्रेस नेता हरीश रावत की पुत्री हैं। प्रदेश में कांग्रेस के चुनावी अभियान की अगुवाई करने वाले रावत लालकुआं सीट से भाजपा प्रत्याशी मोहन सिंह बिष्ट से 17,527 वोटों के भारी अंतर से हार गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी श्रीनगर सीट से निवर्तमान विधायक धनसिंह रावत के हाथों पराजित हो गए।

जागेश्वर सीट पर अब तक अजेय रहे कांग्रेस के एक और दिग्गज गोविंद सिंह कुंजवाल भाजपा के मोहन सिंह से 5,883 मतों से हार गए। देहरादून जिले के रायपुर से भाजपा के उमेश शर्मा काउ ने एक बार फिर 30,052 मतों से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट को हराकर न केवल अपनी सीट बरकरार रखी बल्कि प्रदेश में सबसे बड़ी जीत भी हासिल की। पिछले चुनाव में भी काउ ने 36,000 मतों से प्रदेश में सबसे बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। आम आदमी पार्टी के मुफ्त बिजली, मुफ्त तीर्थयात्रा और बेरोजगारी भत्ता सहित अन्य वादे प्रदेश की जनता को लुभाने में विफल रहे और उसका खाता भी नहीं खुल पाया। आप के मुख्यमंत्री पद के चेहरे रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल गंगोत्री सीट पर भाजपा के सुरेश चौहान और कांग्रेस के विजयपाल सिंह सजवाण के बाद तीसरे स्थान पर रहे। आप ने प्रदेश की सभी 70 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ा था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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