Prajatantra: नहीं लौटेगा बैलेट पेपर, EVM पर सुप्रीम भरोसा, मोदी के रडार पर विपक्षी नेता
सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के माध्यम से डाले गये वोट का ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ के साथ मिलान कराने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दीं और कहा कि तंत्र के किसी भी पहलू पर ‘‘आंख मूंद कर अविश्वास करना’’ बिना वजह संदेह पैदा कर सकता है।
देश में लोकसभा के चुनाव को लेकर प्रचार जबरदस्त तरीके से जारी है। आज दूसरे चरण का मतदान हुआ। इन सब के बीच ईवीएम को लेकर भी चर्चा खूब हो रही है। दरअसल, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट वेरिफिकेशन की मांग को लेकर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। बैलट पेपर की मांग को लेकर भी दर्ज याचिकाओं को कोर्ट ने खारिश कर दिया है। एक तरीके से देखें तो देश में ईवीएम को लेकर लगातार हो रही राजनीति पर यह बड़ा प्रहार है। विपक्ष बार-बार ईवीएम के साथ छेड़छाड़ होने का आरोप लगता है। हालांकि, चुनाव आयोग साफ तौर पर यह कहता रहा है कि ईवीएम के साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सत्ता पक्ष के लिए भी राहत लेकर आया है क्योंकि सबसे ज्यादा सवाल सरकार पर ही उठते हैं।
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कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के माध्यम से डाले गये वोट का ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ के साथ मिलान कराने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दीं और कहा कि तंत्र के किसी भी पहलू पर ‘‘आंख मूंद कर अविश्वास करना’’ बिना वजह संदेह पैदा कर सकता है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले में सहमति वाले दो फैसले सुनाये और इस मामले से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दीं जिनमें दोबारा मतपत्रों से चुनाव कराने की प्रकिया पुन: अपनाने का अनुरोध करने वाली याचिका भी शामिल है। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि ‘‘लोकतंत्र का अर्थ सद्भाव और सभी संस्थाओं में भरोसा बनाए रखने का प्रयास करना है।’’ न्यायालय ने दो निर्देश जारी किये। न्यायमूर्ति खन्ना ने अपने फैसले में निर्वाचन आयोग को मतदान के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में चिह्न लोड करने वाली स्टोर यूनिट्स को 45 दिनों के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित करने के निर्देश दिए। शीर्ष अदालत ने ईवीएम निर्माताओं के इंजीनियरों को यह अनुमति दी कि वे परिणाम घोषित होने के बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवारों के अनुरोध पर मशीन के ‘माइक्रोकंट्रोलर’ को सत्यापित कर सकते हैं।
विपक्ष ने क्या कहा
विपक्ष के तमाम नेता ईवीएम को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में लिखा कि वीवीपैट पर जिन याचिकाओं को आज उच्चतम न्यायालय ने खारिज किया, उनमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक पक्ष नहीं थी। हमने दो न्यायाधीशों की पीठ के फैसले पर विचार किया है और चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए वीवीपैट के अधिक से अधिक उपयोग पर हमारा राजनीतिक अभियान जारी रहेगा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कहा कि लड़ाई जारी रहेगी। वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि हम लोगों का यह कहना था कि EVM में प्रोग्रामेबल मेमोरी होती है इसलिए इसमें हेराफेरी हो सकती है... सुप्रीम कोर्ट ने हमारी इन मांगों को ठुकरा दिया है और कहा है कि चुनाव आयोग इसका सत्यापन करे कि सारे बैलट पेपर पर अगर हम बारकोड डाल दे तो उसकी मशीन से गिनती हो सकती है या नहीं।
भाजपा को मिला बड़ा मौका
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि RJD, कांग्रेस के INDI गठबंधन को न देश के संविधान की परवाह है और न ही लोकतंत्र की परवाह है। ये वह लोग हैं जिन्होंने दशकों तक बैलट पेपर के बहाने गरीबों का अधिकार छीना। पोलिंग बूथ, बैलट पेपर लूट लिए जाते थे... जब गरीबों को EVM की ताकत मिली है तो चुनाव के दिन लूट करने वालों से बर्दाश्त नहीं हो रहा था... इसलिए वे EVM को हटाना चाहते हैं... लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने मतपेटियों को लूटने इरादा रखने वालों को ऐसा गहरा झटका दिया है कि उनके सारे सपने चूर-चूर हो गए। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि आज लोकतंत्र के लिए महान दिन है क्योंकि इसकी जीत हुई है...आज बाबा साहेब अंबेडकर जी, संविधान, ईसीआई और लोकतंत्र की जीत हुई है। कांग्रेस, उसका पूरा गठबंधन और उसका पारिस्थितिकी तंत्र जो ईवीएम के खिलाफ अफवाहें और निराधार दावे फैला रहे थे, हार गए हैं।
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किसे झटका-किसे राहत
ईवीएम को लेकर पहली बार सवाल नहीं उठाया जा रहा है। 2014 से लगातार इसको लेकर सवाल विपक्षी ओर से उठाए जा रहे हैं। भाजपा के 400 पार के दाव पर विपक्ष लगातार कह रहा है कि सत्तारूढ़ दल ईवीएम के साथ छेड़छाड़ कर सकता है इसलिए उसे 400 पार का विश्वास है। हालांकि बड़ा सवाल यह है कि यह विपक्ष उस समय सवाल क्यों नहीं उठता, जब उसके उम्मीदवार या उसकी पार्टी जीत जाती है। हाल में ही पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए थे। तेलंगाना में कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली। वहीं, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर कांग्रेस ईवीएम पर सवाल उठाने लगी लेकिन तेलंगाना को लेकर कांग्रेस ने कुछ नहीं कहा और सरकार भी बनाई। ऐसे में विपक्ष दो तरह की राजनीति करने की कोशिश कर रहा है। जाहिर सी बात है कि जनता विपक्ष की इस राजनीति को देख रही होगी। दूसरी ओर भाजपा को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने विपक्ष पर निशाना साधने का बड़ा मौका दे दिया है। भाजपा खुलेआम बता सकती है कि विपक्ष हार का बहाना ढूंढ रहा है।
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