अमेरिका की एक चूक भारत को पड़ रही भारी, M4 Carbine कैसे जम्मू-कश्मीर में खतरा बन रही हैं?
सीमा पार करने वाले लगभग सभी आतंकवादियों के पास एके-47 राइफल और एम4 कार्बाइन हैं। इससे सुरक्षा बलों को काफी नुकसान हुआ है. एम4 राइफल पहली बार 2017 में जम्मू-कश्मीर में देखी गई थी, जब सुरक्षा बलों ने पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अज़हर के भतीजे तल्हा रशीद मसूद को मार गिराया था। तब से, कठुआ, रियासी, पुंछ और राजौरी में हुए हमलों सहित कई आतंकी घटनाओं में एम4 राइफलों का इस्तेमाल किया गया है। हाल ही में आई एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर सीमा के पास लॉन्च पैड पर बड़ी संख्या में आतंकी जमा हो गए हैं और बर्फबारी से पहले ज्यादा से ज्यादा घुसपैठ कराने की कोशिश की जा रही है।
जम्मू-कश्मीर के अखनूर में मुठभेड़ में मारे गए तीन आतंकियों के पास से अमेरिकी एम4 राइफलें बरामद होने से सुरक्षा बलों में हड़कंप मच गया है। सेनाएं इस बात का आकलन कर रही हैं कि अफगानिस्तान से वापसी के दौरान अमेरिकी सेना द्वारा छोड़ी गई ये घातक राइफलें जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों तक कैसे पहुंच रही थीं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत में सीमा पार करने वाले आतंकवादियों को इन शीर्ष श्रेणी के हथियारों की आपूर्ति कर रही थी, जो बुलेटप्रूफ वाहनों को भेदने की क्षमता रखते हैं। ये राइफलें स्टील की गोलियों से लैस हैं जो इतनी शक्तिशाली हैं कि मजबूत वाहनों और बुनियादी ढांचे को व्यापक नुकसान पहुंचा सकती हैं।
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सूत्रों ने बताया कि सीमा पार करने वाले लगभग सभी आतंकवादियों के पास एके-47 राइफल और एम4 कार्बाइन हैं। इससे सुरक्षा बलों को काफी नुकसान हुआ है. एम4 राइफल पहली बार 2017 में जम्मू-कश्मीर में देखी गई थी, जब सुरक्षा बलों ने पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अज़हर के भतीजे तल्हा रशीद मसूद को मार गिराया था। तब से, कठुआ, रियासी, पुंछ और राजौरी में हुए हमलों सहित कई आतंकी घटनाओं में एम4 राइफलों का इस्तेमाल किया गया है। हाल ही में आई एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर सीमा के पास लॉन्च पैड पर बड़ी संख्या में आतंकी जमा हो गए हैं और बर्फबारी से पहले ज्यादा से ज्यादा घुसपैठ कराने की कोशिश की जा रही है।
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हाल ही में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई जिसमें आईएसआई अधिकारियों और आतंकवादी समूहों के शीर्ष कमांडरों ने भाग लिया। बैठक में आतंकियों को अमेरिका निर्मित एम4 कार्बाइन मुहैया कराने पर चर्चा हुई. उसी बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर हमलों को अंजाम देने के लिए ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) द्वारा रसद और सहायता प्रदान की जाएगी।
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