सभी दल एक साथ चुनाव पर गंभीरता से विचार करें: उपराष्ट्रपति नायडू
राजनीतिक पार्टियों द्वारा वित्तीय स्थिति का आकलन किए बिना लोकलुभावन वादे करने पर चिंता जताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इससे निपटने के लिए एफआरबीएम अधिनियम जैसे कानून बनाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम यह कानून बना सकते हैं कि कोई भी वादा करने से पहले पर्याप्त राशि हो।
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने गुरुवार को सभी राजनीतिक दलों से लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विकल्प पर विचार करने और सहमति बनाने की अपील की। नायडू ने यहां ‘‘इंडियन डेमोक्रेसी एट वर्क- मनी पावर इन पॉलिटिक्स ’’ सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ मैं राजनीतिक पार्टियों से आह्वान करता हूं कि वे गंभीरता से एक साथ चुनाव कराने के विकल्प पर विचार करें और आम सहमति बनाएं।’’ इस सम्मेलन का आयोजन इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में किया गया है।
Elections and electoral processes are the fountainhead of the sanctity of parliamentary democracy. The purity or the impurity of these processes determines the quality and the sanctity of our polity. pic.twitter.com/V2d5k4Sdud
— Vice President of India (@VPSecretariat) January 9, 2020
उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने में खर्च होने वाली राशि में कमी लाने में मदद मिलेगी और इससे लोगों एवं दलों का लगातार ध्यान भटकाने से रोका जा सकेगा। नायडू ने कहा, ‘‘सरकारी अधिकारियों की भी जिम्मेदारी होती है जो शासन की सेवाएं मुहैया कराने की मूल जिम्मेदारी और लगातार चुनाव की वजह से वितरण प्रणाली में सुधार से इतर है।’’
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राजनीतिक पार्टियों द्वारा वित्तीय स्थिति का आकलन किए बिना लोकलुभावन वादे करने पर चिंता जताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इससे निपटने के लिए एफआरबीएम अधिनियम जैसे कानून बनाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ हम यह कानून बना सकते हैं कि कोई भी वादा करने से पहले पर्याप्त राशि हो। क्या हम एफआरबीएम (वित्तीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन) जैसे कानून बनाने पर विचार कर सकते हैं? ... क्या हम ऐसा राज्यों के लिए कुछ कर सकते हैं? उल्लेखनीय है कि इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन फाउंडेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद विश्वविद्यालय ने मिलकर किया है।
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