Matrubhoomi: पाकिस्तान में 7 साल अंडरकवर भारतीय जासूस बनकर रहे अजीत डोभाल, कई बार देश के लिए बन चुके हैं 'संकटमोचक'
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) ये वो शख्स है जिसमे पाकिस्तान में रहकर पाकिस्तनी खुफिया एंजेंसियों के पसीने छुड़वा दिए थे। लाख कोशिशों के बावजूद भी एजेंसियां अजीत डोभाल के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटा सकी थी।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) ये वो शख्स है जिसमे पाकिस्तान में रहकर पाकिस्तनी खुफिया एंजेंसियों के पसीने छुड़वा दिए थे। लाख कोशिशों के बावजूद भी एजेंसियां अजीत डोभाल के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटा सकी थी। भारत के हर एक्शन में आज भी अजीत डोभाल की सलाह काफी महत्व रखती हैं। सर्जिकल स्ट्राईक पर बनीं फिल्म उरी में भी हम सभी ने देखा था कि पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक जैसा बड़ा एक्शन लेने की सलाह भी अजीत डोभाल ने ही दी थी। पाकिस्तानी आतंकियों ने भारत में कई बड़े हमले लगातार करने शुरू कर दिए थे। उरी और पठानकोट जैसी घटनाओं ने देश को हिलाकर रख दिया था। देशवासियों में गुस्सा उमड़ा था वह शहीद जवानों का बदला चाहते थे ऐसे में अजीत डोभाल ने ही सरकार को सर्जिकल स्ट्राइक करने की सलाह दी थी। अजीत डोभाल के नाम से दुश्मन के छक्के छूट जाते हैं। आइये आपको आज हम बताते है कि आखिर कौन है अजीत डोभाल कैसे बनें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार।
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पुलिस और खुफिया करियर
अजीत डोभाल का जन्म उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल के गिरि बनेल्स्युन गांव में हुआ था। अजीत डोभाल के पिता मेजर जी एन डोभाल भारतीय सेना में अधिकारी थे। देश प्रेम का भाव अजीत के अंदर उनके पिता से ही आया। अपनी शुरूआती पढ़ाई के लिए वह अजमेर आये और उन्होंने वहां के मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की। बाद में उन्होंने 1967 में आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उनके शानदार प्रयासों के लिए उन्हे डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था।
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पढ़ाई करने के बाद अजीत डोभाल अपने करियर की शुरूआत पुलिस सेवा से की। डोभाल 1968 में केरल कैडर में भारतीय पुलिस सेवा में कोट्टायम जिले के एएसपी के रूप में शामिल हुए। इसके अलावा उन्होंने भारत की खुफिया एजेंसी में भी काम किया और एक एजेंट बन कर पाकिस्तान में सात साल गुजारे और पल-पल पर भारत के खिलाफ पाकिस्तान में रची जा रही साजिशों की जानकारी देते रहे। इसके अलावा अजीत डोभाल पंजाब में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल रहे।
डोभाल ने केंद्रीय सेवा में शामिल होने से पहले, 1972 में कुछ महीनों के लिए केरल के थालास्सेरी में काम किया। 1999 में कंधार में IC-814 से यात्रियों की रिहाई में वे तीन वार्ताकारों में से एक थे। जिन्होंने हाइजैक हुए प्लेन को छुड़वाने के लिए आकंतियों से बात की थी। आपको बता दें कि डोभाल ने 1971 से 1999 जितने भी प्लेन हाइजैक हुए थे उन सभी की रिहाई के लिए रणनीति तैयार की थी। उन्हें इंडियन एयरलाइंस के 15 हाइजैक हुए विमानों को रणनीति बनाकर छुड़वाने का अनुभव है।
उन्होंने एक दशक से अधिक समय तक आईबी के संचालन विंग का नेतृत्व किया और मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) के साथ-साथ इंटेलिजेंस पर संयुक्त कार्य बल (जेटीएफआई) के संस्थापक अध्यक्ष थे। अजीत डोभाल ने सिक्किम के भारत में विलय के लिए खुफिया जानकारी देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें भारत के तीसरे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम. के. नारायणन के तहत आतंकवाद विरोधी अभियानों में एक संक्षिप्त अवधि के लिए प्रशिक्षित किया गया था। वह इंडियन एयरलाइंस IC-814 के यात्रियों की रिहाई के लिए बातचीत करने के लिए कंधार भेजी गई टीम का भी हिस्सा थे। बाद में उन्हें इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया।
सेवानिवृत्ति के बाद (2005- 2014)
अजीत डोभाल जनवरी 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए। दिसंबर 2009 में वह विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक बने, जो विवेकानंद केंद्र द्वारा स्थापित एक सार्वजनिक नीति थिंक टैंक है। डोभाल भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। कई प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए संपादकीय लेख लिखने के अलावा, उन्होंने भारत और विदेशों में कई प्रसिद्ध सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों, सुरक्षा थिंक-टैंक में भारत की सुरक्षा चुनौतियों और विदेश नीति के उद्देश्यों पर व्याख्यान दिए हैं।
विदेशों में जमा कालेधन पर लिखी थी रिपोर्ट
2009 और 2011 में उन्होंने "सीक्रेट बैंकों और टैक्स हेवन्स में विदेश में भारतीय काला धन" पर दो रिपोर्टें लिखीं। हाल के वर्षों में उन्होंने IISS, लंदन, कैपिटल हिल, वाशिंगटन डीसी, ऑस्ट्रेलिया-भारत संस्थान, मेलबर्न विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज, नई दिल्ली और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में रणनीतिक मुद्दों पर अतिथि व्याख्यान दिए हैं। दुनिया की प्रमुख स्थापित और उभरती शक्तियों के बीच सहयोग की बढ़ती आवश्यकता का हवाला देते हुए, डोभाल ने वैश्विक आयोजनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर भारतीय मुद्दों को उठाया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (2014 के बाद)
आतंकियों के कब्जे में फंसी 46 भारतीय नर्सों को छुड़वाया
मोदी सरकार के आने के बाद 30 मई 2014 को अजीत डोभाल को भारत के पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। जून 2014 में डोभाल ने आईएसआईएल द्वारा मोसुल पर कब्जा करने के बाद, इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंसी 46 भारतीय नर्सों छुड़वाने में मदद की। डोभाल जमीन पर स्थिति को समझने और इराकी सरकार में उच्च स्तरीय संपर्क बनाने के लिए 25 जून 2014 को इराक गए। हालांकि उनकी रिहाई की सटीक परिस्थितियां स्पष्ट नहीं हैं, 5 जुलाई 2014 को, आईएसआईएल के आतंकवादियों ने नर्सों को एरबिल शहर में कुर्द अधिकारियों को सौंप दिया और भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से व्यवस्थित एयर इंडिया के एक विमान ने उन्हें कोच्चि वापस घर ले आया।
अलगाववादियों के खिलाफ सीमा पार सैन्य अभियान की योजना
सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के साथ, डोभाल ने म्यांमार से बाहर काम कर रहे नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN-K) अलगाववादियों के खिलाफ सीमा पार सैन्य अभियान की योजना बनाई। भारतीय अधिकारियों ने दावा किया कि मिशन सफल रहा और ऑपरेशन में नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN-K) के 20-38 अलगाववादी मारे गए। हालांकि, म्यांमार सरकार ने हमलों से इनकार किया है। म्यांमार के अधिकारियों के अनुसार, एनएससीएन-के के खिलाफ भारतीय कार्रवाई पूरी तरह से सीमा के भारतीय हिस्से में हुई।
पाकिस्तान के संबंध में भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में सैद्धांतिक बदलाव के लिए उन्हें व्यापक रूप से श्रेय दिया जाता है। यह अनुमान लगाया गया था कि सितंबर 2016 में पाकिस्तान नियंत्रित कश्मीर में भारतीय हमले उनके दिमाग की उपज थे। डोभाल को तत्कालीन विदेश सचिव एस जयशंकर और चीन में भारतीय राजदूत विजय केशव गोखले के साथ राजनयिक चैनलों और बातचीत के माध्यम से डोकलाम गतिरोध को हल करने के लिए व्यापक रूप से श्रेय दिया जाता है।
अक्टूबर 2018 में अजीत डोभाल को सामरिक नीति समूह (SPG) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। 2019 बालाकोट हवाई हमले और जवाबी कार्रवाई 2019 जम्मू और कश्मीर हवाई हमले और बाद में पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय पायलट अभिनंदन वर्धमान को पकड़ने के बाद, अजीत डोभाल ने भारतीय पायलट की रिहाई को सुरक्षित करने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ बातचीत की थी। 3 जून 2019 को, उन्हें 5 साल के लिए NSA के रूप में फिर से नियुक्त किया गया और उन्हें कैबिनेट मंत्री का व्यक्तिगत दर्जा दिया गया। डोभाल ऐसी रैंक हासिल करने वाले पहले एनएसए हैं। उन्होंने जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 26 फरवरी 2020 को जब सीएए कानून के विरोध में दिल्ली में दंगे हुए तो अजीत डोभाल स्थिति का आकलन करने और स्थानीय निवासियों को आश्वस्त करने के लिए दंगा प्रभावित पूर्वोत्तर दिल्ली की सड़कों पर निकले और लोगों से बात की थी।
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