आंदोलनकारी किसानों ने 15 दिनों के लिए वापस लिया रेल रोको आंदोलन, पंजाब सरकार ने फैसले का किया स्वागत
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ किसान नेताओं की बैठक के बाद यात्री गाड़ियों की नाकेबंदी को हटाने का फैसला किया गया। क्रान्तिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा, हमने 23 नवंबर की शाम से यात्री ट्रेनों के लिए अनुमति देने का फैसला किया है।
चंडीगढ़। आवश्यक आपूर्ति की भारी कमी का सामना कर रहे पंजाब को राहत देने वाले एक कदम के तहत राज्य के किसान संगठनों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना रेल रोको आंदोलन सोमवार से 15 दिनों के लिए वापस लेने का शनिवार को फैसला किया। हालांकि किसान संगठनों ने कहा कि अगर सरकार उनके मुद्दों को हल करने में नाकाम रहती है तो वे फिर से रेल पटरियों को बाधित कर देंगे। पंजाब में 24 सितंबर से ट्रेन सेवाएं स्थगित हैं जब किसानों ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ अपना रेल रोको आंदोलन शुरू किया। इससे पहले किसानों ने मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए सहमति दी थी। लेकिन रेलवे ने मालगाड़ियों को फिर से चलाने से इनकार कर दिया और कहा कि वह मालगाड़ी और यात्री ट्रेनों, दोनों का संचालन करेगा या किसी का भी संचालन नहीं करेगा।
इसे भी पढ़ें: SC ने कृषि कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली खारिज याचिका को किया बहाल
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ किसान नेताओं की बैठक के बाद यात्री गाड़ियों की नाकेबंदी को हटाने का फैसला किया गया। क्रान्तिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा, हमने 23 नवंबर की शाम से यात्री ट्रेनों के लिए अनुमति देने का फैसला किया है। पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘किसान संगठनों के साथ सार्थक बैठक हुई। यह जानकारी साझा करते हुए खुशी हो रही है कि 23 नवंबर की रात से किसान संगठनों ने 15 दिनों के लिए रेल नाकेबंदी को समाप्त करने का फैसला किया है। मैं इस कदम का स्वागत करता हूं क्योंकि इससे हमारी अर्थव्यवस्था में सामान्य स्थिति बहाल हो सकेगी। मैं केंद्र सरकार से पंजाब के लिए रेल सेवाएं फिर से शुरू करने का आग्रह करता हूं।’’ अमरिंदर से मुलाकात के पहले इस मुद्दे पर विचार करने के लिए किसान संगठनों ने अपनी बैठक की।
इसे भी पढ़ें: कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के बीच बोले तोमर, किसानों से चर्चा के लिए सरकार हर वक्त तैयार
भारती किसान मंच के अध्यक्ष बूटा सिंह शादीपुर ने यहां बैठक के बाद मीडिया से कहा कि पंजाब के हित को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय केंद्र या पंजाब सरकार के दबाव में नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र ने हमारे मुद्दों का हल नहीं किया, तो हम फिर से रेल पटरियों को बाधित करेंगे, किसान नेताओं ने कहा कि वे 26-27 नवंबर को दिल्ली चलो मार्च के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी जाएंगे। बीकेयू (डकौंडा) के अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि टोल प्लाजा, रेलवे स्टेशनों के बाहर, शॉपिंग मॉल और भाजपा नेताओं के आवासों के बाहर विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। ट्रेन सेवाओं के स्थगित होने से खेती के लिए उर्वरकों और ताप बिजलीघरों के लिए कोयले की आपूर्ति के अलावा धान खरीद भी प्रभावित हुयी है। किसान संगठनों पर उद्योगों का भी दबाव है, जिन्हें राज्य में मालगाड़ियों के नहीं चलने से करीब 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
Had a fruitful meeting with Kisan Unions. Happy to share that starting 23rd Nov night, Kisan Unions have decided to end rail blockades for 15 days. I welcome this step since it will restore normalcy to our economy. I urge Central Govt to resume rail services to Punjab forthwith. pic.twitter.com/shmIZPHFR0
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) November 21, 2020
अन्य न्यूज़