आर्टिकल 370 के हटने के बाद कश्मीर में कई छुटि्टयों को किया गया रद्द, इन जगहों के बदले गये नाम
जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के खात्मे के बाद वहां नाम बदलने की सियासत भी तेज हो गई है। जम्मू संभाग में देखें तो नाम बदलने की एक परंपरा सी शुरु हो गई है। उदाहरण के तौर पर जम्मू कश्मीर के दो मुख्य चौक चौराहों को नए नाम दे दिए गए है।
आर्टिकल 370 हटने और दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंटने के बाद जम्मू-कश्मीर के प्रशासनिक कार्यप्रणाली में कई बदलाव आए है। यह बदलाव वहां की सार्वजनिक छुट्टियों में भी देखने को मिली। 5 अगस्त 2019 को जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में खड़े होकर जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के खत्म होने की बात कही उसके बाद से ही एक नए विवाद का जन्म हो गया। हालांकि सरकार ने जम्मू कश्मीर की स्थिति को सामान्य रखने और वहां विकास को रफ्तार देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। जम्मू कश्मीर में स्थितियां सामान्य होने तक फिलहाल चुनाव की संभावनाएं दिखाई नहीं दे रही है। वहां के कार्यभार वर्तमान में उप राज्यपाल के ऊपर निर्भर करता है। पिछले 1 सालों में वहां की स्थितियों में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। वहां सार्वजनिक छुट्टियों को भी कम कर दिया गया है।
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दरअसल, जम्मू-कश्मीर में शेख अब्दुल्ला की जयंती तथा शहीदी दिवस की छुट्टियां रद्द कर दी गई है। हाल ही में जम्मू कश्मीर सरकार ने दो मौजूदा छुट्टियों को रद्द कर दिया जबकि इनके स्थान पर एक नई छुट्टी की शुरुआत की। जिन दो सार्वजनिक छुट्टियों को कम किया गया है उनमें 5 दिसंबर और 13 जुलाई है। आपको बता दें कि 5 दिसंबर को शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती मनाई जाती है। जम्मू कश्मीर की राजनीति में शेख अब्दुल्ला का अहम योगदान है। वह नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक रहे हैं। इसके अलावा वह जम्मू-कश्मीर के पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी रहे हैं। हालांकि जब इन छुट्टियों को रद्द करने का फैसला लिया गया तो घाटी की सियासत गरमा गई। नेशनल कांफ्रेंस के अलावा कई विपक्षी दलों ने आंदोलन करने की भी धमकी दे दी थी। वहीं जम्मू कश्मीर में 13 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। 13 जुलाई की भी सार्वजनिक अवकाश को सरकार ने रद्द कर दिया।
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आपको बता दें कि 13 जुलाई 1931 को श्रीनगर सेंट्रल जेल के बाहर डोगरा शासन के खिलाफ विद्रोह कर रहे 22 मुसलमानों की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से कश्मीर में इससे शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। दूसरी ओर सरकार ने जम्मू कश्मीर में 26 अक्टूबर को एक नए सार्वजनिक अवकाश की शुरुआत की है। सरकार की ओर से 26 अक्टूबर को अवकाश घोषित किया गया है। जम्मू कश्मीर में अब 26 अक्टूबर विलय दिवस के रूप में मनाया जाएगा। हालांकि जम्मू संभाग के लोगों की ओर से महाराजा हरि सिंह की जयंती को छुट्टी घोषित किए जाने की मांग कब से की जा रही थी लेकिन यह तो नहीं हुआ पर विलय दिवस को अवकाश कर दिया गया। आपको बता दें कि 2019 के लिए घोषित की गई छुट्टियों में पूरे प्रदेश में 28 दिनों का अवकाश था पर 2020 की छुट्टियों में अब यह 27 दिन का ही अवकाश है। कश्मीर और जम्मू संभाग की छुट्टियों में किसी भी प्रकार के बदलाव नहीं किए गए हैं।
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जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के खात्मे के बाद वहां नाम बदलने की सियासत भी तेज हो गई है। जम्मू संभाग में देखें तो नाम बदलने की एक परंपरा सी शुरु हो गई है। उदाहरण के तौर पर जम्मू कश्मीर के दो मुख्य चौक चौराहों को नए नाम दे दिए गए है। जम्मू नगर निगम में सिटी चौक का नाम बदलकर भारत माता चौक रख दिया है। इसी तरह सर्कुलर रोड चौक का नाम अब अटल चौक रखा गया है। फिलहाल जम्मू और कश्मीर संभाग के कई और क्षेत्रों के नाम बदलने की बात कही जा रही है। प्रशासन की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि नाम बदलने से जम्मू कश्मीर के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना और भी उभरेगी। साथ ही साथ पर्यटन के क्षेत्र में भी विकास देखने को मिलेगा।
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