पंजाब के बाद अब मणिपुर में क्यों होने लगी चुनाव तारीखों में बदलाव की मांग? इस वजह से वोटिंग से परहेज कर सकते हैं मतदाता!
पंजाब के बाद अब राजनीतिक दल मणिपुर में भी चुनाव की तारीखों में बदलान की मांग निर्वाचन आयोग से कर रहे हैं। बता दें कि राज्य में दो चरणों में 27 फरवरी और 3 मार्च को मतदान होने हैं।
पंजाब में सभी 117 विधानभा सीटों के लिए अब 14 फरवरी की बजाय 20 फरवरी को चुनाव होंगे। पंजाब सरकार और विभिन्न राजनीतिक दलों की मांग पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। जिसका सभी ने स्वागत किया। लेकिन पंजाब के बाद अब राजनीतिक दल मणिपुर में भी चुनाव की तारीखों में बदलान की मांग निर्वाचन आयोग से कर रहे हैं। बता दें कि राज्य में दो चरणों में 27 फरवरी और 3 मार्च को मतदान होने हैं।
क्यों हो रही ये मांग
कांग्रेस ने पहले ही भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को एक पत्र दिया है, जिसमें कहा गया है कि 27 फरवरी को रविवार है और उस दिन मतदान ईसाई समुदाय की धार्मिक भावना के खिलाफ है। आदिवासी समूहों और आदिवासी छात्र संघ की भी यही राय है। मणिपुर पीसीसी के प्रवक्ता, एआईसीसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, निंगोम्बम बुपेंडा मेइतेई ने कहा कि रविवार एक पवित्र दिन है क्योंकि ईसाइयों को अपने चर्च जाना है। हमने इस तारीख में बदलाव को लेकर विचार करने के लिए चुनाव आयोग को लिखा है। रविवार को छोड़कर कोई भी दिन ठीक है। उन्होंने पंजाब में तारीख बदल दी है और आशा है कि वे मणिपुर को लेकर भी ऐसा निर्णय लेंगे।
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मणिपुर में ईसाई आबादी 41.29 फीसदी
मुख्य रूप से मणिपुर के एक बड़े हिस्से को कवर करने वाले आदिवासी ज्यादातर ईसाई हैं। कांग्रेस से पहले, पिछले सोमवार को, ईसाई समुदाय ने भी तारीखों को फिर से निर्धारित करने के लिए चुनाव आयोग से संपर्क किया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव देवेन लैंगपोकलाकपम ने भी कहा है कि हम चुनाव आयोग से इस पर पुनर्विचार करने का भी अनुरोध करेंगे। गौरतलब है कि मणिपुर के 30 लाख लोगों में ईसाई आबादी 41.29 फीसदी है, जिसमें से 41.39 फीसदी हिंदू और 8.40 फीसदी मुस्लिम समुदाय से हैं।
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