5 लाख OBC सर्टिफिकेट हो जाएंगे रद्द, हाई कोर्ट ने दे दिया बड़ा फैसला, जानें क्या है पूरा मामला और इस पर CM ममता का रिएक्शन

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Prabhasakshi
अभिनय आकाश । May 22 2024 5:39PM

तृणमूल कांग्रेस 2011 से राज्य में सत्ता में आई है। नतीजतन, अदालत का आदेश केवल तृणमूल सरकार द्वारा जारी ओबीसी प्रमाण पत्र पर प्रभावी होगा। पीठ ने कहा कि इसके बाद राज्य विधायिका यानी विधानसभा को यह तय करना है कि ओबीसी कौन होगा। पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ओबीसी की सूची निर्धारित करेगा। उस सूची को राज्य विधानमंडल या विधानसभा को भेजा जाना चाहिए। जिनके नाम विधानसभा द्वारा अनुमोदित किए जाएंगे उन्हें भविष्य में ओबीसी माना जाएगा।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2010 के बाद तैयार की गई सभी ओबीसी सूची को रद्द कर दिया है। इस फैसले की वजह से पांच लाख ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द हो जाएंगे। अदालत ने कहा कि 2010 से पहले के ओबीसी व्यक्तियों के सर्टिफिकेट वैध माने जाएंगे। 2010 के बाद जिन लोगों को ओबीसी आरक्षण की वजह से नौकरियां मिल गई है या भर्ती की प्रक्रिया चल रही है, उनकी नौकरी जारी रहेगी। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को विशेष रूप से तृणमूल सरकार का उल्लेख नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि 2010 के बाद जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द कर दिए जाएंगे। संयोग से तृणमूल कांग्रेस 2011 से राज्य में सत्ता में आई है। नतीजतन, अदालत का आदेश केवल तृणमूल सरकार द्वारा जारी ओबीसी प्रमाण पत्र पर प्रभावी होगा। पीठ ने कहा कि इसके बाद राज्य विधायिका यानी विधानसभा को यह तय करना है कि ओबीसी कौन होगा। पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ओबीसी की सूची निर्धारित करेगा। उस सूची को राज्य विधानमंडल या विधानसभा को भेजा जाना चाहिए। जिनके नाम विधानसभा द्वारा अनुमोदित किए जाएंगे उन्हें भविष्य में ओबीसी माना जाएगा।

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क्या है मामले का बैकग्राउंड

कलकत्ता हाई कोर्ट का कहना है कि 2010 के बाद जितने भी ओबीसी सर्टिफिकेट बनाए गए हैं, वे कानून के मुताबिक ठीक से नहीं बनाए गए हैं। इसलिए उस प्रमाणपत्र को रद्द किया जाना चाहिए। लेकिन साथ ही हाई कोर्ट ने कहा है कि इस निर्देश का उन लोगों पर कोई असर नहीं होगा जो पहले ही इस सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी पा चुके हैं या नौकरी पाने की प्रक्रिया में हैं। अन्य लोग अब उस प्रमाणपत्र का उपयोग रोजगार प्रक्रिया में नहीं कर सकेंगे। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायाधीश राजशेखर मंथा ने बुधवार को फैसला सुनाया। जिस मामले के आधार पर हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया, वह मामला 2012 में दायर किया गया था। वादियों की ओर से वकील सुदीप्त दासगुप्ता और विक्रम बनर्जी अदालत में पेश हुए। उन्होंने कहा कि वाम मोर्चा सरकार ने 2010 में एक अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर पश्चिम बंगाल में 'अन्य पिछड़ा वर्ग' बनाया। उस कैटेगरी को 'ओबीसी-ए' नाम दिया गया है। लेकिन अगले वर्ष, वाम मोर्चा बंगाल मसनद से हट गया। 2011 में तृणमूल सत्ता में आई। नई सरकार सत्ता में आई और उस वर्ग पर अंतिम रिपोर्ट के बिना एक सूची बनाई और कानून बनाया। जिसके आधार पर तृणमूल सरकार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

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ममता बनर्जी ने दी क्या प्रतिक्रिया

कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरफ से प्रतिक्रिया सामने आई। उन्होंने एक जनसभा में कहा कि जब 26,000 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया, तब भी मैंने कहा था कि हम उनके फैसले को स्वीकार नहीं करते हैं। मैं आज भी वही बात कह रही हूं, आप जो भी फैसला देंगे, फैसले के बारे में कहा जा सकता है, ये बीजेपी का फैसला है, हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा।

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