2024 Election: 'मोदी मित्र' क्या है, मुसलमानों को ही इसका प्रमाणपत्र क्यों दे रही है भाजपा?
जानकारी के मुताबिक के भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा अपने जनसंपर्क कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश के देवबंद शहर में लगभग 150 मुसलमानों को मोदी मित्र का प्रमाण पत्र देगी। आज हम आपको मोदी मित्र के बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर यह क्या है और भाजपा की तरफ से यह मुसलमानों को क्यों किया जा रहा है?
एक ओर जहां पटना में विपक्षी दलों की बैठक हो रही है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा भी 2024 चुनाव को लेकर अपनी तैयारियों में लगातार जुटी हुई है। 2024 चुनाव में अभी भी 10 महीने का वक्त है। लेकिन सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारियों को शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में भाजपा अल्पसंख्यकों को अपनी तरफ करने में जुटी हुई है। जानकारी के मुताबिक के भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा अपने जनसंपर्क कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश के देवबंद शहर में लगभग 150 मुसलमानों को मोदी मित्र का प्रमाण पत्र देगी। आज हम आपको मोदी मित्र के बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर यह क्या है और भाजपा की तरफ से यह मुसलमानों को क्यों किया जा रहा है?
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मोदी मित्र क्या है
मोदी मित्र का प्रमाण पत्र भाजपा के एक बड़े कार्यक्रम का हिस्सा है। यह उन लोगों के लिए है जो मोदी की नीतियों से प्रभावित है, चाहे अब तक उनका राजनीतिक रुझान कुछ भी रहा हो। इसको लेकर जानकारी देते हुए बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने बताया कि मोदी मित्र पार्टी के कार्य का हिस्सा नहीं होंगे बल्कि चुनाव से पहले हमारे समर्थन का आधार बन सकते हैं। हमारे पास इनका डेटा होगा और हम उनसे संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि हम प्रधानमंत्री का संदेश और सरकार के कामकाज को उनके पास पहुंच जाएंगे। उनके जरिए यह काम और लोगों तक पहुंच सकेंगे। मोदी मित्र अभियान 29 अप्रैल को शुरू हुआ था और अगले साल फरवरी तक चलेगा।
65 सीटों पर फोकस
इस कोशिश के लिए भाजपा ने 65 मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों को चुना है जहां उनकी आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है। उत्तर प्रदेश के तेरह सीटों का चयन किया गया है जिसमें बिजनौर, अमरोहा, कैराना, नगीना, संभल, मुजफ्फरनगर, रामपुर आदि शामिल हैं। अन्य की बात करें तो पश्चिम बंगाल में 13, जम्मू-कश्मीर में पांच, बिहार में चार, केरल और असम में छह-छह, मध्य प्रदेश में तीन, हरियाणा में दो और तेलंगाना में दो का चयन किया गया है।
क्या है भाजपा की रणनीति
पसमांदा मुसलमानों, बोहरा समुदाय, मुस्लिम पेशेवरों और शिक्षित मुसलमानों तक पहुंच कोई चुनावी रणनीति नहीं है, बल्कि मोदी के 'सबका साथ, सबका विश्वास' कार्यक्रम का एक हिस्सा है। हालाँकि, कोई इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि भारत में मुस्लिम वोट महत्वपूर्ण है - पिछली जनगणना के अनुसार यह समुदाय देश की आबादी का 14 प्रतिशत है। एक विश्लेषण के मुताबिक, देशभर की 543 लोकसभा सीटों में से 80 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है, जबकि 65 सीटों पर मुस्लिम आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है। पहले, भाजपा को एक मुस्लिम विरोधी पार्टी के रूप में माना जाता था, और यह कहानी तब और भी आगे बढ़ गई जब 16वें लोकसभा चुनाव (2014) में, संसद में उसका एक भी मुस्लिम सांसद नहीं था। यहीं कारण है कि भाजपा मुसलमानों को साधने में लगी है।
मोदी का होगा संबोधन
आम चुनाव के शुरुआती कुछ महीने बचे हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल्ली के बीचो-बीच करीब 1 लाख अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों को संबोधित करने की संभावना है। जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी इस मेगा अल्पसंख्यक सभा को नवंबर या दिसंबर में संबोधित कर सकते हैं। फिलहाल यह कार्यक्रम कहां होगा, यह तय नहीं हुआ है। लेकिन रामलीला मैदान को लेकर संभावनाए ज्यादा हैं। इसमें 1 लाख लोगों को समायोजित करने की झमता है। इसलिए, इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि यह अल्पसंख्यक पहुंच दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित की जाएगी। फिलहाल भाजपा ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है।
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1 लाख 'मोदी मित्र' होंगे शामिल
भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने मुताबिक हम इसे नवंबर या दिसंबर में करने की कोशिश कर रहे हैं। अल्पसंख्यकों में से एक लाख व्यक्तियों को दिल्ली लाया जाएगा जिन्हें स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा संबोधित किए जाने की संभावना है। चूंकि, इसमें बड़े पैमाने पर लॉजिस्टिक प्लानिंग शामिल है, बीजेपी ने पहले ही होमवर्क शुरू कर दिया है। सिद्दीकी ने कहा कि ये 1 लाख व्यक्ति 'मोदी मित्र' (मोदी के मित्र) होंगे, एक अभियान जिसके माध्यम से भाजपा उन 5,000 अल्पसंख्यकों को लक्षित करने का प्रयास करती है जो 65 अल्पसंख्यक बहुल लोकसभा क्षेत्रों में मोदी सरकार के शासन से प्रभावित हैं। लेकिन 1 लाख लोगों को दिल्ली लाना आसान काम नहीं है और बीजेपी इस बात को लेकर सतर्क है।
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