बांग्लादेश को तोड़कर नया ईसाई देश बनाएगा अमेरिका? ये प्लान भारत के लिए कैसे है बड़े खतरे का संकेत

Bangladesh
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । May 28 2024 2:31PM

बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना ने जब कहा कि अमेरिका हमें तोड़ने की कोशिश कर रहा है। शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश में सैन्य अड्डे के लिए बेचैन अमेरिका बांग्लादेश और म्यांमार से नया देश बनाने की साजिश रच रहा है।

अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहा अमेरिका अब छोटे देशों पर अपनी बादशाहत मनवाकर दुनिया को अपनी ताकत का अंदाजा कराएगा? अमेरिका के मित्र राष्ट्र और दुश्मन तो मान नहीं रहे। भारत पर भी इसने अपने ट्रैप को फेंका था, लेकिन इसका कोई खास असर नहीं दिखा। ऐसे में बाइडेन की मुसीबतें बढ़ी है। लेकिन अमेरिका की उम्मीदें ऐसे देश पर आकर टिकी है जो भारत का पड़ोसी है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने अपने बयान से देश-दुनिया को चौंका दिया। बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना ने जब कहा कि अमेरिका हमें तोड़ने की कोशिश कर रहा है। शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश में सैन्य अड्डे के लिए बेचैन अमेरिका बांग्लादेश और म्यांमार से नया देश बनाने की साजिश रच रहा  है। 

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अमेरिका के किस प्लान को शेख हसीना ने किया एक्सपोज

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पार्टी मीटिंग में कहा कि एक गोरा आदमी हमसे चाहता है कि हम उन्हें एक बेस बनाने दें। इतना ही नहीं धर्म के आधार पर एक नया देश बनाए। शेख हसीना ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन समेत पश्चिमी देश एक ईसाई बहुल मुल्क बनाने की साजिश रच रहे हैं। इसे बनाने के लिए बांग्लादेश, म्यांमार और कुछ हिस्सा भारत का भी शामिल करके इसे बनाया जाएगा। इसे बनाने के लिए ईस्ट तिमोर का मॉडल कॉपी किया जाएगा। बांग्लादेश की पीएम का कहना है कि अमेरिका कुकी चिन, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट के साथ मिलकर कुछ ऐस प्लानिंग कर रहा है। 

क्या है ईस्ट तिमोर मॉडल

18 वीं शताब्दी में पुर्तगाल द्वारा उपनिवेशित किया गया था और 1975 तक उसके नियंत्रण में रहा। जब पुर्तगाली वापस चले गए , तो इंडोनेशिया के सैनिकों ने आक्रमण कर पूर्वी तिमोर को उसके 27 वें प्रांत के रूप में अपने में मिला लिया। स्वतंत्रता के लिए एक लंबा और खूनी संघर्ष चला, जिसके दौरान कम से कम 1,00,000 लोग मारे गए। 1999 में संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में हुए जनमत संग्रह में पूर्वी तिमोरवासियों ने स्वतंत्रता के पक्ष में मतदान किया, लेकिन इससे हिंसा और भी बढ़ गई, जब तक कि शांति सेना को प्रवेश की अनुमति नहीं दे दी गई। देश को 2002 में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई थी ।

चीन को काउंटर करने की प्लानिंग

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कुछ ऐसे ही ग्रुप हैं, जिनके अपने हित हैं। जिसे चीन व अन्य देशों की तरफ से हवा दी जाती रहती है। लेकिन ये फैली हुई आग अब बॉर्डर क्रॉस करके बांग्लादेश तक पहुंच चुकी है। म्यांमार एक बौद्ध बहुल देश है। बांग्लादेश में मुस्लिम अधिक संख्या में है। भारत के पूर्वोत्तर राज्य में बहुत से राज्यों की डेमोग्राफी काफी भिन्न है। मिजोरम में ईसाई समुदाय ज्यादा संख्या में है। मणिपुर में 40 प्रतिशत ईसाई हैं। कुकी जनजाति ईसाई बहुल है। चिन से भी ईसाई जनजाति माइग्रेट होकर वहां गई है। मिजोरम से असम कनेक्ट है। यही से उल्फा यानी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट का रोल शुरू हो जाता है। उल्फा से एक अलग देश की मांग उठाने की साजिश है। कुकी नेशनल फ्रंट को अमेरिका बांग्लादेश में एक नया देश  बनाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। दरअसल, दुनिया के 80 देशों में अमेरिका के 175 से अधिक बेस बने हुए हैं। यहां अमेरिकी फोर्स मौजूद हैं। दुनियाभर में अमेरिका के दो लाख सैनिक की मौजूदगी है। अमेरिका दुनिया पर कंट्रोल करने के लिए एक विशेष क्षेत्र में अपना बेस बनाकर छोड़ देता है। लेकिन म्यामांर, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश हो या भारत अमेरिकी  बेस की मौजूदगी नहीं है। इस पूरे इलाके को संवेदनशील माना जाता है। अमेरिका चीन को काउंटर करने के लिए ऐसी प्लानंग कर रहा है। 

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सेंट मार्टिन पर अमेरिका की नजर

वाशिंगटन की नजर कई वर्षों से बंगाल की खाड़ी में मौजूद एक छोटे से द्वीप सेंट मार्टिन पर है, जो बांग्लादेश के सबसे दक्षिणी भाग का हिस्सा है। केवल 3 किलोमीटर क्षेत्रफल वाला यह द्वीप कॉकस बाजार-टेकनॉफ प्रायद्वीप से लगभग 9 किमी दक्षिण में स्थित है। बांग्लादेश एयरफोर्स के स्क्वाड्रन लीडर (रिटायर्ड) सदरुल अहमद खान ने स्पुतनिक इंडिया से कहा, 'बांग्लादेश तब तक समर्थन देने के लिए तैयार है, जब तक यह शांति-रक्षा अभियानों, मानवीय सहायता या सैन्य अभ्यास तक सीमित है।' खान ने बताया कि अमेरिका लंबे समय से सेंट मार्टिन द्वीप पर नौसैनिक अड्डा स्थापित करने की मांग कर रहा है। बांग्लादेश ऐसी सैन्य महत्वाकांक्षाओं की निंद करता है जो हमारी संप्रभुता को नष्ट कर देगी और दक्षिण एशिया की शांति और स्थिरता को प्रभावित करेगी।

भारत और चीन के साथ बांग्लादेश के रिश्ते

भारत और चीन दोनों न केवल बांग्लादेश के साथ उनके मजबूत आर्थिक संबंधों के कारण, बल्कि क्षेत्र में उनकी व्यापक प्रतिद्वंद्विता के मद्देनजर भी। ढाका दो एशियाई दिग्गजों से साझेदारी की अपेक्षाओं को कैसे प्रबंधित करता है यह महत्वपूर्ण है, और इस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नजर रखी जाएगी। 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भारत का समर्थन चीन के पाकिस्तान के समर्थन के विपरीत है। इस इतिहास के बावजूद, व्यावहारिकता इन पड़ोसियों के साथ बांग्लादेश के वर्तमान संबंधों को आकार देती है।

द्विपक्षीय व्यापार 15 बिलियन डॉलर पार

भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 15 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया। भारत बांग्लादेश को एक महत्वपूर्ण पूर्वी बफर के रूप में मान्यता देता है, और राष्ट्रीय विकास के लिए आवश्यक बंदरगाहों और पावर ग्रिड पहुंच में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है। ऐतिहासिक संबंध और भौगोलिक निकटता एक सहजीवी व्यापार संबंध को बढ़ावा देते हैं। दूसरी ओर, चीन के साथ बांग्लादेश का दोतरफा व्यापार 2022 में 25 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया। 

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