इस मानसून सत्र में हमारे और आपके चुने हुए प्रतिनिधियों ने किया क्या? पूरा लेखा-जोखा यहां पढ़ें
इस बार मानसून सत्र के दौरान सदन के भीतर और बाहर का मूल्यांकन आखिर किया कैसे जाए। सरकार करना क्या चाह रही है और विरोध में विपक्ष का जो तरीका रहा है। जिस तरह का नजारा कभी मंत्री के हाथों से पन्ना छिनकर फाड़ते हुए या फिर मार्शल संग धक्का-मुक्की करते हुए दिखाई दिए।
संसद जिससे देश को बहुत कुछ हासिल होता है। उसी हासिल में से एक होता है। इसी हासिल में एक होता है किसी नेता का उभरना, लोकनीतियों के लिए बिल का गढ़ना और आतंरिक और बाहरी शक्तियों से कैसे मिलकर है लड़ना। हमारी विधायिकी और इस नाते हमारे लोकतंत्र का घर है संसद। संसद का मानसून सत्र समाप्त हो गया। आम तौर पर प्रेस संसद सत्र का राउंड अप बनाती है। कितने घंटे कितने मिनट काम हुआ। डाटा वाले ये भी बताते हैं कि लोकसभा और राज्यसभा की उत्पादकता क्या रही। पहले इतने बिल पास होते थे और इस बार इतने बिल पास हुए और इसी आधार पर सरकार और विपक्ष की विधायी प्रदर्शन का मूल्यांकन होता है। लेकिन इस बार मानसून सत्र के दौरान सदन के भीतर और बाहर का मूल्यांकन आखिर किया कैसे जाए। सरकार करना क्या चाह रही है और विरोध में विपक्ष का जो तरीका रहा है। जिस तरह का नजारा कभी मंत्री के हाथों से पन्ना छिनकर फाड़ते हुए या फिर मार्शल संग धक्का-मुक्की करते हुए दिखाई दिए। अगर उस संसद की कार्यवाही अगर बच्चे गलती से भी देख लेते होंगे उनके मन में माननीयों के लिए कैसी छवि बनेगी। वो संसद का क्या मतलब लगाएंगे। शायद ऐसी जगह जहां नेता खड़े होकर शोरगुल करते हैं, छीना-झपटी करते हैं। और कभी-कभी मौका लगे तो मारपीट भी कर लेते हैं।
ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं
इस बार संसद का सत्र शुरू हुआ तो कोरोना की दूसरी लहर का विभत्स दौर बीत गया था। 20 जुलाई को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार कहती हैं ऑक्सीजन की कमी से मौत पर अलग से राज्य सरकारों ने कोई जानकारी मुहैया नहीं करवाई। इसलिए आंकड़ा नहीं है। इस बात को सुनकर जो हैरानी इस देश को हुई उसका हिसाब लगाना मुश्किल है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद मोदी सरकार ने अपने स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफा ले लिया। लेकिन क्यों? ये बताने की जरूरत नहीं। वायरस ने किसकी जान ली और सिस्टम ने किसकी इस सवाल से सभी राज्य पीछा छुड़ाकर भागते दिखे।
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पेगासस विवाद रहा सुर्खियों में
संसद का 19 जुलाई से शुरू हुआ मॉनसून सत्र अपने पूर्व निर्धारित समय से दो दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। पेगासस जासूसी मामले और तीन कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण लोकसभा में जहां मात्र 22 प्रतिशत वहीं राज्यसभा में महज 28 प्रतिशत ही कामकाज हो पाया। संसद में पूरे सत्र के दौरान गतिरोध बना रहा हालांकि राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची बनाने का अधिकार देने संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पर दोनों सदनों में सभी विपक्षी दलों ने चर्चा में भाग लिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 को शुरू हुई और इस दौरान 17 बैठकों में 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ।
इन बिलों को मिली मंजूरी
निचले सदन में अन्य पिछड़ा वर्गों से संबंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता संशोधन विधेयक 2021, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग विधेयक 2021 भी पारित हुए। सदन ने कराधान विधि संशोधन विधेयक 2021, अधिकरण सुधार विधेयक 2021, अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक 2021, राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंध संस्थान विधेयक 2021, भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण संशोधन विधेयक 2021, साधारण बीमा कारोबार राष्ट्रीयकरण संशोधन विधेयक, केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2021, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (संशोधन) विधेयक 2021, राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग (संशोधन) विधेयक 2021, निक्षेप बीमा एवं प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 तथा सीमित दायित्व भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021 को भी मंजूरी दी।
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भावुक हुए सभापति
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन में हुई घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए रुंधे गले से कहा कि वह रात भर सो नहीं सके क्योंकि लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर की पवित्रता भंग की गई। उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने कल की घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि वह इस वरिष्ठ सदन की गरिमा पर आघात के कारण का पता लगाने के लिए प्रयास करते रहे। उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर होता है और इसकी पवित्रता पर आंच नहीं आने देना चाहिए। उन्होंने कहा ‘‘कल जो सदन में हुआ, वह पहले कभी नहीं हुआ। मैं बहुत दुखी हूं।’’ उन्होंने कहा कि आधिकारियों की मेज और उसके आसपास का हिस्सा सदन के पवित्र गर्भ गृह की तरह है। इस मेज पर राज्यसभा के महासचिव, पीठासीन अधिकारी, अधिकारी और संवाददाता काम करते हैं। भरे गले से नायडू ने कहा कि इस स्थान की भी पवित्रता है।उन्होंने कहा कि मंदिर में जब श्रद्धालु जाते हैं तो उन्हें एक निश्चित स्थान तक जाने की अनुमति होती है, उसके आगे नहीं।
ओबीसी बिल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष एक साथ
सत्र से पहले सरकार ने नए मंत्रिमंडल में छटनी की और नई भर्ती भी की और इसको लेकर एक शब्द ओबीसी की खूब चर्चा हुई। जब सत्र चल रहा था सरकार ने निट परीक्षा कैटगरी कोटे में आरक्षण लागू कर दिया। जिसके बाद ओबीसी वर्ग के लिए सरकार एक और बिल संविधान संशोधन नंबर 127 लेकर आई। जिसके तहत राज्यों को अपने यहां ओबीसी सूची में जातियां जोड़ने का हक वापस मिल जाएगा। जो सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद से अधर में था। ये बिल दोनों सदनों में पास हो चुका है और राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार है। पूरे सत्र में एकलौता ये ऐसा मुद्दा रहा जिस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष कमोबेश एक स्वर में बात कर रहे थे।
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पर्चा फाड़ राजनीति
ससंद मे इस बार पर्चा फाड़ राजनीति का नजारा खूब देखने को मिला। राज्यसभा में पेगासस जासूसी विवाद पर सरकार का बयान पेश करने के लिए IT मंत्री अश्विनी वैष्णव खड़े हुए तो विपक्ष के सांसद वहां पहुंच गए, उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी। मंत्री के बयान की कॉपी फाड़ कर उसके टुकड़े हवा में फेंके गए। जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस के सदस्य शांतनु सेन को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया।
संसद की उत्पादकता बीते दो दशकों में कम रही
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़े बताते हैं कि मॉनसून सत्र में संसद की उत्पादकता बीते दो दशकों में चौथी सबसे कम रही है। संसद के निचले सदन लोकसभा की उत्पादकता सिर्फ 21% प्रतिशत रही जबकि उच्च सदन राज्यसभा की उत्पादकता 29 प्रतिशत रही। लोकसभा को 19 दिनों तक प्रति दिन छह घंटे के हिसाब से चलना था। हालांकि, पेगासस जासूसी कांड की जांच और नए कृषि कानूनों की वापसी जैसी मांगों को लेकर हंगामे से सदन की कार्यवाही बाधित होती रही। इस कारण लोकसभा में कुल मिलाकर 21 घंटे ही कामकाज हो पाया। वहीं, राज्यसभा में 28 घंटे कामकाज हुआ।- अभिनय आकाश
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