एक के बाद एक राजनेताओं पर ED की स्ट्राइक, किस आधार पर आरोपियों की संपत्ति को किया जाता है कुर्क, जब्त सामान का क्या होता है?

ed
अभिनय आकाश । Apr 6 2022 6:36PM

मुंबई में एजेंसी ने राउत की पत्नी वर्षा राउत सहित तीन व्यक्तियों से जुड़ी 115 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया। दिल्ली में अलग से ईडी ने जैन और उनके रिश्तेदारों से कथित रूप से जुड़ी पांच कंपनियों की 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 5 अप्रैल को दो प्रमुख विपक्षी नेताओं, शिवसेना सांसद संजय राउत और आप नेता और दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। मुंबई में एजेंसी ने राउत की पत्नी वर्षा राउत सहित तीन व्यक्तियों से जुड़ी 115 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया। दिल्ली में अलग से ईडी ने जैन और उनके रिश्तेदारों से कथित रूप से जुड़ी पांच कंपनियों की 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। इन दोनों मामलों में केंद्रीय एजेंसी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई की है। ऐसे में आज आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है, ईडी किस आधार पर आरोपियों की संपत्ति कुर्क करती है। जब्त किए गए सामानों का क्या होता है। इसकी कानूनी प्रक्रिया क्या है।

ईडी क्या करती है? 

प्रवर्तन निदेशालय अंग्रेजी में कहे तो इन्फोर्समैन डॉयरेक्टरेट यानी ईडी भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन एक विशेष वित्तीय जांच एजेंसी है। ईडी के प्रमुख तौर पर फेमा 1999 के उल्लंघन से संबंधित मामलों जैसे हवाला, लेनदेन और फॉरेन एक्सचेंज रैकेटियरिंग के मामलों की जांच करता है। ईडी विदेशी मुद्रा का अवैध व्यापार, विदेशों में संपत्ति की खरीद, भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा के कब्जे से जुड़े मामले में जांच करता है।  

इसे भी पढ़ें: सत्येंद्र जैन बहुत ईमानदार व्यक्ति हैं, उनके खिलाफ ईडी का मामला खारिज हो जाएगा: आप

संजय राउत की संपत्ति क्यों जब्त हुई?

2007 में गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी को महाराष्ट्र हाउसिंग ऐंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने पात्रा चॉल के पुनर्विकास के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया। पात्रा चॉल के 672 किरायदारों के लिए फ्लैट तैयार करने थे और 3000 फ्लैट अथॉरिटी को सौंपने थे। फ्लैट सौंपने के बाद गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी को बची हुई भूमि को बिक्री और डेवलपमेंट के लिए अनुमति दी जानी थी। हालांकि गुरुआशीष कंस्ट्रक्शन ने अथॉरिटी या पात्रा चॉल को दिए जाने वाले किसी अन्य फ्लैट को डेवलप नहीं किया। बल्कि उसने 1034 करोड़ रुपये में लगभग आठ अन्य बिल्डरों को जमीन बेच दी। चॉल घोटाले में आरोपी कंपनी के डॉयरेक्टर प्रवीण राउत शिवसेना नेता संजय राउत के दोस्त हैं और पीएमसी बैंक घोटाले मामले में जांच के दौरान उनका नाम भी सामने आया था। आरोप है कि प्रवीण राउत की पत्नी माधुरी ने संजय राउत की पत्नी वर्षा को 55 लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया। जिसका इस्तेमाल राउत परिवार ने दादर में एक फ्लैट खरीदने के लिए किया। 

इससे पहले किन पर हुई कार्रवाई

ईडी ने जनवरी 2021 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और अक्टूबर 2018 में पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के बेटे शिवगंगा के सांसद कार्ति चिदंबरम सहित अन्य राजनेताओं के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की है। फारूक के मामले में (जम्मू और कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन से संबंधित एक मामले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच से संबंधित), कुर्क की गई संपत्तियों में श्रीनगर में उसका गुप्कर रोड स्थित निवास जहां वो उस वक्त रह रहे थे। इसके अलावा सुंजवां, श्रीनगर के रेजीडेंसी रोड पर व्यावसायिक संपत्तियों के साथ तंगामार्ग में दो अन्य आवासीय संपत्तियां शामिल थीं। कार्ति के मामले में (आईएनएक्स मीडिया मामले से संबंधित), 50 करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्ति कुर्क की गई, जिसमें समरसेट, यूनाइटेड किंगडम में एक बंगला, बार्सिलोना, स्पेन में एक टेनिस क्लब, कोडाइकनाल में कृषि भूमि, ऊटी में एक बंगला, और जोर बाग, नई दिल्ली में कार्ति और उनकी मां नलिनी के स्वामित्व वाले घर का 50% प्रतिशत शामिल है। 

इसे भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर शस्त्र लाइसेंस जारी करने के मामले में ईडी ने 4.69 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की

ईडी जब किसी आरोपी की संपत्ति कुर्क होती है तो क्या होता है?

सबसे बड़ा सवाल कि क्या इसका मतलब यह है कि राउत, जैन या किसी और जैसे व्यक्तियों को तुरंत इन घरों या कार्यालयों से बाहर कर दिया जाता है? जरूरी नहीं है कि ठीक ऐसा ही हो। ईडी द्वारा जारी अनंतिम कुर्की आदेश किसी संपत्ति को तत्काल सील करने का कारण नहीं बनता है। उदाहरण के लिए फारूक अब्दुल्ला ने अपने घर में रहना जारी रखा, जबकि मामला अदालतों में लंबित रहा। चिदम्बरम परिवार ने भी नई दिल्ली में अपनी संपत्ति का 50% कुर्क होने के बाद भी उसका आनंद लेना जारी रखा। 2020 में ईडी ने कार्ति को बेदखली का नोटिस जारी किया था, इसके खिलाफ उन्होंने कानूनी सुरक्षा हासिल कर ली थी।

ईडी का कुर्की आदेश की मियाद कब तक है? 

ईडी का अस्थायी कुर्की आदेश 180 दिनों के लिए वैध है। इस दौरान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत न्यायनिर्णायक प्राधिकरण द्वारा इसकी पुष्टि की जानी चाहिए। यदि इसकी पुष्टि नहीं होती है, तो संपत्ति स्वतः ही कुर्की से मुक्त हो जाती है। यदि इसकी पुष्टि हो जाती है, तो आरोपी पुष्टिकरण को 45 दिनों के भीतर अपीलीय न्यायाधिकरण में और बाद में संबंधित उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है।

इसे भी पढ़ें: ईडी ने धनशोधन मामले में बिहार के भू-माफिया की संपत्तियां कुर्क कीं

संपत्ति की कुर्की पर कानून क्या कहता है?

कुर्की का उद्देश्य एक आरोपी को कुर्क की गई संपत्ति के लाभों से वंचित करना है। कानून ये भी प्रावधान करता है कि मुकदमा पूरा होने तक संपत्ति आरोपी के लिए सीमा से बाहर रहेगी। हालांकि, उपयोग में आने वाली संपत्तियों को आम तौर पर तब तक सील नहीं किया जाता है जब तक कि मामला अपने तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंच जाता। आमतौर पर अभियुक्त अपीलीय न्यायाधिकरणों या उच्च न्यायालयों में संपत्ति की रिहाई को सुरक्षित करता है, या एक स्टे पाने में सक्षम होता है। जब तक मामला अदालतों में लंबित रहता है, तब तक इसे उपयोग में लाया जा सकता है। 

ईडी किस आधार पर आरोपी व्यक्तियों की संपत्तियों को कुर्क करता है?

पीएमएलए के तहत ईडी निदेशक के निर्देश पर अपराध की आय, जो कि एक आपराधिक गतिविधि से उत्पन्न धन है, संलग्न है। हालांकि, अगर वह संपत्ति कुर्की के लिए उपलब्ध नहीं है, तो एजेंसी उस मूल्य के बराबर संपत्ति संलग्न कर सकती है। पीएमएलए "अपराध की आय" को "किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी अनुसूचित अपराध या ऐसी किसी संपत्ति के मूल्य से संबंधित आपराधिक गतिविधि के परिणामस्वरूप प्राप्त की गई संपत्ति के रूप में परिभाषित करता है। जहां ऐसी संपत्ति को लिया या रखा जाता है। जबकि अपराध की आय के बराबर संपत्ति की कुर्की के विचार का विरोध किया गया है, अतीत में विभिन्न अदालती आदेशों ने "ऐसी किसी भी संपत्ति के मूल्य" शब्द की ईडी की व्याख्या के पक्ष में फैसला सुनाया है, जिसका अर्थ है कि एजेंसी किसी भी संपत्ति को कुर्क कर सकती है।

जब्त किए सामानों का क्या होता है?

जब ईडी की तरफ से किसी की संपत्ति को जब्त किया जाता है तो इसका रख-रखाव भी एजेंसी की ओर से ही किया जाता है। ईडी केस चलने तक या कोर्ट के आदेश तक इसे अपने पास रखती है। कोर्ट के फैसले के आधार पर इसे अच्छी कीमत पर बेचने की कोशिश की जाती है। किसी भी आरोपी की संप्तति सीज करने के बाद ईडी उसे तब तक नहीं बेच सकती जब तक की कोर्ट आरोपी को दोषी नहीं ठहरा देती है। 

-अभिनय आकाश

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़