खतरों के खिलाड़ी से उड़ता ताबूत कैसे बना मिग-21? अब तक 200 से ज्यादा पायलटों की ले चुका है जान
रूस और चीन के बाद मिग-21 विमान का भारत तीसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता माना जाता है। साल 1964 में मिग-21 विमा को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के रूप में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था।
आज से तीन साल पहले फरवरी के महीने में बालाकोट स्ट्राइक का बदला लेने भारत के वायुसीमा में घुसे पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को हमारे वायुयोद्धाओं ने खदेड़ दिया। इसी दौरान विंग कमांडर अभिनंदन ने पुरानी तकनीक वाले मिग 21 से पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया। वैसे तो भारत के पास कई लड़ाकू विमान हैं लेकिन ज्यादातर मौकों पर मिग-21 का इस्तेमाल होता रहा है। इसे भारत का सबसे पुराना फाइटर जेट माना जाता है। मिग 21 को 1964 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। इसे सोवियत संघ द्वारा निर्मित किया गया था। लेकिन राजस्थान के बाड़मेर में मिग 21 के फिर से क्रैश होने पर इसकी सुरक्षा को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। पिछले कुछ सालों में कई मिग 21 हादसों का शिकार हुए हैं। इस विमान से पिछले 62 साल में 200 हादसे हुए हैं। किसी जमाने में फाइटर जेट मिग 21 विमान भारतीय वायुसेना की रीढ़ माने जाते थे। लेकिन अब ये विमान न तो जंग के लिए तैयार है और न उड़ान के लिए फिट है। हालांकि बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद मिग 21 विमान ने ही पाकिस्तानी फाइटर जेट्स के छक्के छुड़ाए थे। मिग 21 को फ्लाइिंग कॉफिन यानी उड़ता ताबूत भी कहते हैं।
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मिग-21 की विश्वसनीयता पर फिर सवाल उठने लगे
एक बार फिर लड़ाकू विमान मिग-21 ने धोखा दिया। भारतीय वायुसेना के दो जाबांज वायुवीरों की मिग-21 फाइटर जेट में ही चिता बन गई। इंडियन एयर फोर्स का फाइटर जेट मिग 21 दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। बीती रात राजस्थान बाड़मेर में ट्रेनिंग के दौरान मिग-21 हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में मिग-21 में सवार दोनों पायलट शहीद हो गए। विमान का मलबा करीब आधे किलोमीटर के दायरे में फैल गया। जमीन पर गिरते ही विमान में आ लग गई। जहां विमान गिरा वहां कई फीट गहरा गड्ढा हो गया। एयरफोर्स के मुताबिक 28 जुलाई की शाम उतरलाई एयरबेस से ट्वीन सिटर मिग-21 ने उड़ान भरी। विमान ने ट्रेनिंग के लिए उड़ान भरी थी। रात करीब 9:10 मिनट पर विमान क्रैश हो गया। दोनों पायलट की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे की जानकारी मिलते ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एयरचीफ मार्शल वीआर चौधरी से फोन पर बात की। इसके साथ ही राजनाथ सिंह ने हादसे पर दुख जताते हुए ट्वीट किया - राजस्थान में बाड़मेर के पास भारतीय वायुसेना के मिग-21 ट्रेनर विमान के दुर्घटना में दो वायु योद्धाओं के खोने से गहरा दुख हुआ। राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं शोक संत्पत परिवारों के साथ हैं। कोड ऑफ इनक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं। लेकिन इस हादसे के बाद मिग-21 की विश्वसनीयता पर फिर सवाल उठने लगे हैं। मिग 21 के क्रैश होने के पहले भी मामले सामने आते रहे हैं। बाड़मेर में ही पिछले साल भी मिग 21 दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।इसे भी पढ़ें: बाड़मेर जिले में भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त, दो पायलटों की मौत
रूस-चीन के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर
रूस और चीन के बाद मिग-21 विमान का भारत तीसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता माना जाता है। साल 1964 में मिग-21 विमा को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के रूप में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था। भारत ने रूस से इस विमान को यहीं पर असेंबल करने का अधिकार और तकनीक हासिल की थी। उस वक्त से लेकर अब तक इस विमान ने 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध समेत कई महत्वपूर्ण मौकों पर अहम भूमिका निभाई है। रूसी मूल का मिग-21 बाइसन भारत के छह फाइटर जेट्स में से एक है। ये सिंगल इंजन, सिंगल सीट मल्टी रोल फाइटर और ग्राउंड अटैक एयरक्राफ्ट है। इसकी अधिकतम स्पीड 2230 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसमें 23एमएम डबल बैरल कैनन (तोप) लगी होती है। इसमें चार आर-60 कम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल भी होती है। टाइप-77, टाइप-96 और बीआईएस बाइसन इसका सबसे अपग्रेड वर्जन हैं। आईएएफ के 100 से ज्यादा मिग-21 को बाइसन में अपग्रेड किया जाता है।
क्या मिग-21 को तेजस से रिप्लेस किया जाएगा?
वैसे तो भारत के पास कई लड़ाकू विमान हैं लेकिन ज्यादातर अवसरों पर मिग-21 का इस्तेमाल होता है। यह भारत का सबसे पुराना फाइटर जेट है। इसका इस्तेमाल दुश्मन को सीमा पर रोकने के लिए होता है। मिग 21 को 1964 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। इसे सोवियत संघ द्वारा निर्मित किया गया था। लेकिन वायु सेना के लड़ाकू विमानों में होने वाले हादसों और उसमें पायलटों की जान गंवाने के सबसे अधिक मामले मिग-21 में ही हुए। उस वक्त से लेकर इसके 490 बार क्रैश होने की बात सामने आई। इसके अलावा करीब 200 पायलट की इससे जान जा चुकी है। लैडिंग स्पीड इसके पीछे एक बड़ी वजह रही। इसकी लैंडिग स्पीड की वजह से इंजन में आग लगने की समस्या कई उत्पन्न हुई। 1991 में सोवियत के विघटन के बाद इसके पार्ट्स भी मिलने मुश्किल हो गए थे। हादसों की वजह से इसे उड़न ताबूत भी कहा जाता है।
राज्यसभा में हादसों के बारे में बताया गया
संसद के बजट सत्र के दौरान रक्षा मंत्रालय की तरफ से राज्यसभा में एक रिपोर्ट के जरिये इसके नुकसान के बारे में बताया गया था। हालांकि इन बताए गए हादसों में वायुसेना के 29, सेना के 12 और नौसेना के 4 शामिल हैं। हादसों में शहीद जवानों में 34 वायुसेना, 7 सेना और 1 नौसेना के हैं। हादसों में नागरिकों की मौत के बारे में उल्लेख नहीं किया गया। संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया कि नए विमानों को सैन्य बलों को सौंपने की प्रक्रिया में देरी के कारण सेना को जर्जर चीता, चेतक और मिग 21 जैसे विमानों को उड़ाना पड़ रहा है।
-अभिनय आकाश
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