जानें अगस्त क्रांति का आगाज़ करने वाली अरुणा आसफ अली की कहानी
1942 तक अपनी रिहाई के बाद अरुणा आसफ अली राजनीतिक रूप से बहुत सक्रिय नहीं थीं। आजादी के बाद वो राजनीति में सक्रिय रहीं और दिल्ली की पहली मेयर बनीं। अरुणा आसफ अली कांग्रेस पार्टी से संबंधित कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की सदस्या थीं। बाद में आसफ अली ने वाम दलों का रूख किया।
अरुणा आसफ अली एक भारतीय शिक्षक, राजनीतिक कार्यकर्ता और प्रकाशक थीं। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक सक्रिय भागीदार रही हैं। उन्हें 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गोवालिया टैंक मैदान, बॉम्बे में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए व्यापक रूप से याद किया जाता है। अरुणा आसफ अली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्य बनीं और नमक सत्याग्रह के दौरान सार्वजनिक जुलूसों में भाग लिया। उन्हें 1931 में गांधी-इरविन समझौते के तहत गिरफ्तार किया गया था और रिहा नहीं किया गया। जिसके परिणाम स्वरूप अन्य महिला सह-कैदियों ने परिसर छोड़ने से इनकार कर दिया जब तक कि उन्हें भी रिहा नहीं किया गया। महात्मा गांधी के हस्तक्षेप के बाद ही अंदर दिया गया। बाद में महात्मा गांधी के हस्तक्षेप के बाद ही उन्हें छोड़ दिया गया।
अगस्त क्रांति का आगाज़
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अविस्मरणीय दिन। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान में हुआ। सम्मेलन ने भारत छोड़ो संघर्ष शुरू करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। महात्मा गांधी ने दिया स्पष्ट आह्वान; करो या मरो और तब तक आराम मत करो जब तक अंग्रेज भारत छोड़ नहीं देते। गांधी के भाषण के बाद, एक 33 वर्षीय महिला ने भारतीय तिरंगा फहराया, जिस पर तब प्रतिबंध लगा दिया गया था। वीर महिला थी अरुणा आसफ अली। जिन्हें अगस्त क्रांति की रानी भी कहा जाता है। पंजाब के कालका में एक प्रमुख ब्रह्म समाजी बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्मी अरुणा गांगुली कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही स्वतंत्रता आंदोलन में दिलचस्पी बढ़ी। नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण अरुणा को गिरफ्तार किया गया।
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आजादी के बाद बनीं दिल्ली की पहली मेयर
1942 तक अपनी रिहाई के बाद वह राजनीतिक रूप से बहुत सक्रिय नहीं थीं। आजादी के बाद वो राजनीति में सक्रिय रहीं और दिल्ली की पहली मेयर बनीं। अरुणा आसफ अली कांग्रेस पार्टी से संबंधित कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की सदस्या थीं। बाद में आसफ अली ने वाम दलों का रूख किया। साल 1953 में पति आसफ अली के निधन ने उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ दिया। अरुणा आसफ अली ने जय प्रकाश नारायण के साथ मिलकर दैनिक समाचार पत्र पैट्रियाट और साप्ताहिक समाचार पत्र लिंक का भी प्रकाशन किया। जवाहर लाल नेहरू, बीजू पटनायक आदि से संबंधित होने की वजह से दोनों ही समाचार पत्र जल्द ही काफी चर्चित हो गए। 1964 में अरुणा आसफ अली दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गईं। लेकिन फिर भी वो सक्रिय राजनीति से दूर रहीं। बता दें कि अरुणा आसफ अली को इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के करीबियों में से एक माना जाता था। उन्हें 1992 में पद्म विभूषण से नवाजा गया। 29 जुलाई 1996 को उनका निधन हो गया। 1997 में मरणोपरांत अरुणा आसफ अली को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- अभिनय आकाश
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